YouVersion Logo
Search Icon

श्रेष्‍ठ गीत पुस्‍तक-परिचय

पुस्‍तक-परिचय
“श्रेष्‍ठ गीत” एक काव्‍य संग्रह है। इसमें प्रेम-गीत संकलित हैं। ये गीत वास्‍तव में वर-वधू के प्रेमालाप हैं। वर अपनी वधू से गीत के माध्‍यम से अपने प्रेम की अभिव्यक्‍ति करता है। वधू भी उसको गीत के माध्‍यम से प्रत्‍युत्तर देती है, और सखियाँ भी उसके स्‍वर में स्‍वर मिलाती हैं।
इब्रानी बाइबिल में “श्रेष्‍ठ गीत” का उपशीर्षक “सुलेमान का श्रेष्‍ठ गीत” है। हो सकता है कि ऐसे प्रेम-गीतों की रचना में राजा सुलेमान का हाथ हो, अथवा वह विवाहोत्‍सव के मंच-मंडप का नायक माना जाता रहा हो।
इन प्रेमगीतों की व्‍याख्‍या के संबंध में विद्वानों में मतैक्‍य नहीं है। कुछ लोग इन्‍हें मानवी स्‍तर पर प्रेम-संबंधी गीति-काव्‍य मानते हैं। अन्‍य लोग श्रेष्‍ठ गीत को रूपक-काव्‍य मानते हैं, और उसमें आध्‍यात्‍मिक अर्थ देखते हैं। प्राचीन व्‍याख्‍याकार मानते हैं कि यह प्रेम परमेश्‍वर का अपने निज लोगों के प्रति है (होशे 2:16-19)। उसी सोच-विचार में, भक्‍ति-रस की भाषा में, यह प्रेमालाप “नया-विधान” के उस संबंध पर लागू किया जा सकता है, जो प्रभु येशु मसीह और उनकी भक्‍त मंडली के बीच में है।
विषय-वस्‍तु की रूपरेखा
पहला गीत 1:1−2:7
दूसरा गीत 2:8−3:5
तीसरा गीत 3:6−5:1
चौथा गीत 5:2−6:3
पांचवां गीत 6:4−8:4
छठा गीत 8:5-14

Highlight

Share

Copy

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in