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सभोपदेशक 6:2

सभोपदेशक 6:2 HINOVBSI

किसी मनुष्य को परमेश्‍वर धन सम्पत्ति और प्रतिष्‍ठा यहाँ तक देता है कि जो कुछ उसका मन चाहता है उसे उसकी कुछ भी घटी नहीं होती, तौभी परमेश्‍वर उसको उसमें से खाने नहीं देता, कोई दूसरा ही उसे खाता है; यह व्यर्थ और भयानक दु:ख है।

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