YouVersion Logo
Search Icon

इफिसियों 3

3
अन्यजातियों में पौलुस की सेवा
1इसी कारण मैं पौलुस जो तुम अन्यजातियों के लिये मसीह यीशु का बन्दी हूँ – 2यदि तुम ने परमेश्‍वर के उस अनुग्रह के प्रबंध का समाचार सुना हो, जो तुम्हारे लिये मुझे दिया गया, 3अर्थात् यह कि वह भेद मुझ पर प्रकाशन के द्वारा प्रगट हुआ, जैसा मैं पहले ही संक्षेप में लिख चुका हूँ, 4जिससे तुम पढ़कर जान सकते हो कि मैं मसीह का वह भेद कहाँ तक समझता हूँ। 5जो अन्य समयों में मनुष्यों की सन्तानों को ऐसा नहीं बताया गया था, जैसा कि आत्मा के द्वारा अब उसके पवित्र प्रेरितों और भविष्यद्वक्‍ताओं पर प्रगट किया गया है। 6अर्थात् यह कि मसीह यीशु में सुसमाचार के द्वारा अन्यजातीय लोग मीरास में साझी, और एक ही देह के और प्रतिज्ञा के भागी हैं।#कुलु 1:26,27
7मैं परमेश्‍वर के अनुग्रह के उस दान के अनुसार, जो उसकी सामर्थ्य के प्रभाव के अनुसार मुझे दिया गया, उस सुसमाचार का सेवक बना। 8मुझ पर जो सब पवित्र लोगों में से छोटे से भी छोटा हूँ, यह अनुग्रह हुआ कि मैं अन्यजातियों को मसीह के अगम्य धन का सुसमाचार सुनाऊँ, 9और सब पर यह बात प्रकाशित करूँ कि उस भेद का प्रबन्ध क्या है, जो सब के सृजनहार परमेश्‍वर में आदि से गुप्‍त था। 10ताकि अब कलीसिया के द्वारा, परमेश्‍वर का विभिन्न प्रकार का ज्ञान उन प्रधानों और अधिकारियों पर जो स्वर्गीय स्थानों में हैं, प्रगट किया जाए। 11उस सनातन मनसा के अनुसार जो उसने हमारे प्रभु मसीह यीशु में की थी। 12जिसमें हम को उस पर विश्‍वास करने से साहस और भरोसे के साथ परमेश्‍वर के निकट आने का अधिकार है। 13इसलिये मैं विनती करता हूँ कि जो क्लेश तुम्हारे लिये मुझे हो रहे हैं, उनके कारण साहस न छोड़ो, क्योंकि उन में तुम्हारी महिमा है।
मसीह का प्रेम
14मैं इसी कारण उस पिता के सामने घुटने टेकता हूँ, 15जिस से स्वर्ग और पृथ्वी पर, हर एक#3:15 या सारे घराने का नाम रखा जाता है, 16कि वह अपनी महिमा के धन के अनुसार तुम्हें यह दान दे कि तुम उसके आत्मा से अपने भीतरी मनुष्यत्व में सामर्थ्य पाकर बलवन्त होते जाओ; 17और विश्‍वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में बसे कि तुम प्रेम में जड़ पकड़कर और नेव डाल कर, 18सब पवित्र लोगों के साथ भली–भाँति समझने की शक्‍ति पाओ कि उसकी चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊँचाई, और गहराई कितनी है, 19और मसीह के उस प्रेम को जान सको जो ज्ञान से परे है कि तुम परमेश्‍वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण हो जाओ।
20अब जो ऐसा सामर्थी है कि हमारी विनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ्य के अनुसार जो हम में कार्य करता है, 21कलीसिया में और मसीह यीशु में उसकी महिमा पीढ़ी से पीढ़ी तक युगानुयुग होती रहे। आमीन।

Highlight

Share

Copy

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in