होशे भूमिका
भूमिका
721 ई० पू० में सामरिया के पतन से पहले के संकट भरे समय में, भविष्यद्वक्ता होशे ने भविष्यद्वक्ता आमोस के बाद इस्राएल के उत्तरी राज्य में प्रचार किया था। वह लोगों के मूर्तिपूजा मे फँसने और परमेश्वर के प्रति उनके अविश्वास के कारण विशेष रूप से चिन्तित था। होशे ने इस अविश्वास को एक व्यभिचारिणी स्त्री के साथ अपने निरर्थक विवाह के द्वारा बड़े साहसपूर्वक दर्शाया था। जिस प्रकार उसकी पत्नी, गोमेर, उसके प्रति विश्वासघाती बन गई थी, उसी प्रकार परमेश्वर के लोगों ने प्रभु को त्याग दिया था। इसके कारण इस्राएल पर परमेश्वर का दण्ड पड़ेगा। पर अन्त में अपने लोगों के प्रति परमेश्वर का अनन्त प्रेम विजयी होगा और वह इस जाति को फिर से स्वीकार करेगा और अपने साथ इसके सम्बन्ध को पुन: स्थापित करेगा। यह प्रेम इन भावुक शब्दों में व्यक्त किया गया है : “हे एप्रैम, मैं तुझे कैसे छोड़ दूँ? हे इस्राएल, मैं कैसे तुझे शत्रु के वश में कर दूँ?… मेरा हृदय तो उलट–पुलट हो गया, मेरा मन स्नेह के मारे पिघल गया है” (11:8)।
रूप–रेखा :
होशे का विवाह और उसका परिवार 1:1–3:5
इस्राएल के विरुद्ध संदेश 4:1–13:16
पश्चाताप और प्रतिज्ञा का एक संदेश 14:1–9
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होशे भूमिका: HINOVBSI
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Hindi OV (Re-edited) Bible - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible
Copyright © 2012 by The Bible Society of India
Used by permission. All rights reserved worldwide.
होशे भूमिका
भूमिका
721 ई० पू० में सामरिया के पतन से पहले के संकट भरे समय में, भविष्यद्वक्ता होशे ने भविष्यद्वक्ता आमोस के बाद इस्राएल के उत्तरी राज्य में प्रचार किया था। वह लोगों के मूर्तिपूजा मे फँसने और परमेश्वर के प्रति उनके अविश्वास के कारण विशेष रूप से चिन्तित था। होशे ने इस अविश्वास को एक व्यभिचारिणी स्त्री के साथ अपने निरर्थक विवाह के द्वारा बड़े साहसपूर्वक दर्शाया था। जिस प्रकार उसकी पत्नी, गोमेर, उसके प्रति विश्वासघाती बन गई थी, उसी प्रकार परमेश्वर के लोगों ने प्रभु को त्याग दिया था। इसके कारण इस्राएल पर परमेश्वर का दण्ड पड़ेगा। पर अन्त में अपने लोगों के प्रति परमेश्वर का अनन्त प्रेम विजयी होगा और वह इस जाति को फिर से स्वीकार करेगा और अपने साथ इसके सम्बन्ध को पुन: स्थापित करेगा। यह प्रेम इन भावुक शब्दों में व्यक्त किया गया है : “हे एप्रैम, मैं तुझे कैसे छोड़ दूँ? हे इस्राएल, मैं कैसे तुझे शत्रु के वश में कर दूँ?… मेरा हृदय तो उलट–पुलट हो गया, मेरा मन स्नेह के मारे पिघल गया है” (11:8)।
रूप–रेखा :
होशे का विवाह और उसका परिवार 1:1–3:5
इस्राएल के विरुद्ध संदेश 4:1–13:16
पश्चाताप और प्रतिज्ञा का एक संदेश 14:1–9
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