YouVersion Logo
Search Icon

यिर्मयाह 36

36
मन्दिर में बारूक द्वारा पुस्तक का पढ़ा जाना
1फिर योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज्य के चौथे बरस में#2 राजा 24:1; 2 इति 36:5–7; दानि 1:1,2 यहोवा की ओर से यह वचन यिर्मयाह के पास पहुँचा : 2“एक पुस्तक लेकर जितने वचन मैं ने तुझ से योशिय्याह के दिनों से लेकर अर्थात् जब मैं तुझ से बातें करने लगा उस समय से आज के दिन तक इस्राएल और यहूदा और सब जातियों के विषय में कहे हैं, सब को उसमें लिख। 3क्या जाने यहूदा का घराना उस सारी विपत्ति का समाचार सुनकर जो मैं उन पर डालने की कल्पना कर रहा हूँ अपनी बुरी चाल से फिरे और मैं उनके अधर्म और पाप को क्षमा करूँ।”
4अत: यिर्मयाह ने नेरिय्याह के पुत्र बारूक को बुलाया, और बारूक ने यहोवा के सब वचन जो उसने यिर्मयाह से कहे थे यिर्मयाह के मुख से सुनकर पुस्तक में लिख दिए। 5फिर यिर्मयाह ने बारूक को आज्ञा दी और कहा, “मैं तो बन्धा हुआ हूँ, मैं यहोवा के भवन में नहीं जा सकता। 6इसलिये तू उपवास के दिन यहोवा के भवन में जाकर उसके जो वचन तू ने मुझ से सुनकर लिखे हैं, पुस्तक में से लोगों को पढ़कर सुनाना, और जितने यहूदी लोग अपने अपने नगरों से आएँगे, उनको भी पढ़कर सुनाना। 7क्या जाने वे यहोवा से गिड़गिड़ाकर प्रार्थना करें और अपनी अपनी बुरी चाल से फिरें; क्योंकि जो क्रोध और जलजलाहट यहोवा ने अपनी इस प्रजा पर भड़काने को कहा है, वह बड़ी है।” 8यिर्मयाह भविष्यद्वक्‍ता की इस आज्ञा के अनुसार नेरिय्याह के पुत्र बारूक ने, यहोवा के भवन में उस पुस्तक में से उसके वचन पढ़कर सुनाए।
9योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज्य के पाँचवें बरस के नौवें महीने में यरूशलेम में जितने लोग थे, और यहूदा के नगरों से जितने लोग यरूशलेम में आए थे, उन्होंने यहोवा के सामने उपवास करने का प्रचार किया। 10तब बारूक ने यहोवा के भवन में सब लोगों को शपान के पुत्र गमर्याह जो प्रधान था, उसकी कोठरी में जो ऊपर के आँगन में यहोवा के भवन के नये फाटक के पास थी, यिर्मयाह के सब वचन पुस्तक में से पढ़ सुनाए।
हाकिमों को पढ़ कर सुनाया जाना
11तब शापान के पुत्र गमर्याह के बेटे मीकायाह ने यहोवा के सारे वचन पुस्तक में से सुने, 12और वह राजभवन के प्रधान की कोठरी में उतर गया, और क्या देखा कि वहाँ एलीशामा प्रधान और शमायाह का पुत्र दलायाह और अबबोर का पुत्र एलनातान और शापान का पुत्र गमर्याह और हनन्याह का पुत्र सिदकिय्याह और सब हाकिम बैठे हुए हैं। 13मीकायाह ने जितने वचन उस समय सुने, जब बारूक ने पुस्तक में से लोगों को पढ़ सुनाए थे, उन सब का वर्णन किया। 14उन्हें सुनकर सब हाकिमों ने यहूदी को जो नतन्याह का पुत्र और शेलेम्याह का पोता और कूशी का परपोता था, बारूक के पास यह कहने को भेजा, “जिस पुस्तक में से तू ने सब लोगों को पढ़ सुनाया है, उसे अपने हाथ में लेता आ।” अत: नेरिय्याह का पुत्र बारूक वह पुस्तक हाथ में लिए हुए उनके पास आया। 15तब उन्होंने उससे कहा, “अब बैठ जा और हमें यह पढ़कर सुना।” तब बारूक ने उनको पढ़कर सुना दिया। 16जब वे उन सब वचनों को सुन चुके, तब थरथराते हुए एक दूसरे को देखने लगे; और उन्होंने बारूक से कहा, “हम निश्‍चय राजा से इन सब वचनों का वर्णन करेंगे।” 17फिर उन्होंने बारूक से कहा, “हम से कह, क्या तू ने ये सब वचन उसके मुख से सुनकर लिखे?” 18बारूक ने उनसे कहा, “वह ये सब वचन अपने मुख से मुझे सुनाता गया और मैं इन्हें पुस्तक में स्याही से लिखता गया।” 19तब हाकिमों ने बारूक से कहा, “जा, तू अपने आपको और यिर्मयाह को छिपा, और कोई न जानने पाए कि तुम कहाँ हो।”
राजा द्वारा पुस्तक का जलाया जाना
20तब वे पुस्तक को एलीशामा प्रधान की कोठरी में रखकर राजा के पास आँगन में आए; और राजा को वे सब वचन कह सुनाए। 21तब राजा ने यहूदी को पुस्तक ले आने के लिये भेजा, उसने उसे एलीशामा प्रधान की कोठरी में से लेकर राजा को और जो हाकिम राजा के आसपास खड़े थे उनको भी पढ़ सुनाया। 22राजा शीतकाल के भवन में बैठा हुआ था, क्योंकि नौवाँ महीना था और उसके सामने अँगीठी जल रही थी। 23जब यहूदी तीन चार पृष्‍ठ पढ़ चुका, तब राजा ने उसे चाकू से काटा और जो आग अँगीठी में थी उसमें फेंक दिया; इस प्रकार अँगीठी की आग में पूरी पुस्तक जलकर भस्म हो गई। 24परन्तु न कोई डरा और न किसी ने अपने कपड़े फाड़े, अर्थात् न तो राजा ने और न उसके कर्मचारियों में से किसी ने ऐसा किया, जिन्होंने वे सब वचन सुने थे। 25एलनातान, और दलायाह, और गमर्याह ने तो राजा से विनती भी की थी कि पुस्तक को न जलाए, परन्तु उसने उनकी एक न सुनी। 26राजा ने राजपुत्र यरहमेल को और अज्रीएल के पुत्र सरायाह को और अब्देल के पुत्र शेलेम्याह को आज्ञा दी कि बारूक लेखक और यिर्मयाह भविष्यद्वक्‍ता को पकड़ लें, परन्तु यहोवा ने उनको छिपा रखा।
यिर्मयाह का एक और पुस्तक लिखना
27जब राजा ने उन वचनों की पुस्तक को जो बारूक ने यिर्मयाह के मुख से सुन सुनकर लिखी थी, जला दिया, तब यहोवा का यह वचन यिर्मयाह के पास पहुँचा : 28“फिर एक और पुस्तक लेकर उसमें यहूदा के राजा यहोयाकीम की जलाई हुई पहली पुस्तक के सब वचन लिख दे। 29और यहूदा के राजा यहोयाकीम के विषय में कह, ‘यहोवा यों कहता है : तू ने उस पुस्तक को यह कहकर जला दिया है कि तू ने उसमें यह क्यों लिखा है कि बेबीलोन का राजा निश्‍चय आकर इस देश का नाश करेगा, और उसमें न तो मनुष्य को छोड़ेगा और न पशु को। 30इसलिये यहोवा यहूदा के राजा यहोयाकीम के विषय में यों कहता है : उसका कोई दाऊद की गद्दी पर विराजमान न रहेगा; और उसका शव ऐसा फेंक दिया जाएगा कि दिन को धूप में और रात को पाले में पड़ा रहेगा। 31मैं उसको और उसके वंश और कर्मचारियों को उनके अधर्म का दण्ड दूँगा; और जितनी विपत्ति मैं ने उन पर और यरूशलेम के निवासियों और यहूदा के सब लोगों पर डालने को कहा है, और जिसको उन्होंने सच नहीं माना, उन सब को मैं उन पर डालूँगा।’ ”
32तब यिर्मयाह ने दूसरी पुस्तक लेकर नेरिय्याह के पुत्र बारूक लेखक को दी, और जो पुस्तक यहूदा के राजा यहोयाकीम ने आग में जला दी थी, उसमें के सब वचनों को बारूक ने यिर्मयाह के मुख से सुन सुनकर उसमें लिख दिए; और उन वचनों में उनके समान और भी बहुत सी बातें बढ़ा दी गईं।

Highlight

Share

Copy

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in