अय्यूब 25
25
बिलदद का कथन
1तब शूही बिलदद ने कहा,
2“प्रभुता करना और भय मनवाना
यह उसी का काम है;
वह अपने ऊँचे ऊँचे स्थानों में शान्ति रखता है।
3क्या उसकी सेनाओं की गिनती हो
सकती है?
कौन है जिस पर उसका प्रकाश नहीं पड़ता?
4फिर मनुष्य परमेश्वर की दृष्टि में धर्मी कैसे
ठहर सकता है?
जो स्त्री से उत्पन्न हुआ है वह कैसे निर्मल
हो सकता है?
5देख, उसकी दृष्टि में चन्द्रमा भी अन्धेरा ठहरता,
और तारे भी निर्मल नहीं ठहरते।
6फिर मनुष्य की क्या गिनती जो कीड़ा है,
और आदमी कहाँ रहा जो केंचुआ है!”
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अय्यूब 25: HINOVBSI
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Hindi OV (Re-edited) Bible - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible
Copyright © 2012 by The Bible Society of India
Used by permission. All rights reserved worldwide.
अय्यूब 25
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बिलदद का कथन
1तब शूही बिलदद ने कहा,
2“प्रभुता करना और भय मनवाना
यह उसी का काम है;
वह अपने ऊँचे ऊँचे स्थानों में शान्ति रखता है।
3क्या उसकी सेनाओं की गिनती हो
सकती है?
कौन है जिस पर उसका प्रकाश नहीं पड़ता?
4फिर मनुष्य परमेश्वर की दृष्टि में धर्मी कैसे
ठहर सकता है?
जो स्त्री से उत्पन्न हुआ है वह कैसे निर्मल
हो सकता है?
5देख, उसकी दृष्टि में चन्द्रमा भी अन्धेरा ठहरता,
और तारे भी निर्मल नहीं ठहरते।
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और आदमी कहाँ रहा जो केंचुआ है!”
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