नीतिवचन भूमिका
भूमिका
नीतिवचन की पुस्तक कहावतों और लोकोक्तियों के रूप में नैतिक और धार्मिक शिक्षाओं का एक संग्रह है। इनमें से अधिकांश का सम्बन्ध प्रतिदिन के व्यावहारिक जीवन से है। इसका आरम्भ इस स्मरण पत्र के साथ होता है कि “यहोवा का भय मानना बुद्धि का मूल है,” और फिर न केवल धार्मिक सदाचार परन्तु सामान्य ज्ञान और अच्छे आचरण से सम्बन्धित बातों का भी वर्णन पाया जाता है। इसकी कई छोटी–छोटी कहावतें प्राचीन इस्राएली गुरुओं के अन्त:करण को प्रगट करती हैं कि किसी विशेष परिस्थिति में एक बुद्धिमान व्यक्ति क्या करेगा। इनमें से कुछ पारिवारिक रिश्तों से सम्बन्धित हैं तो कुछ कार्य–व्यापार से सम्बन्धित। कुछ कहावतें सामाजिक जीवन में शिष्टाचार से सम्बन्धित हैं, तो कुछ आत्म–संयम की आवश्यकता के विषय में बताती हैं। इसमें दीनता, सहनशीलता, गरीबों के प्रति आदरभाव और मित्रों के प्रति विश्वासयोग्य रहने आदि गुणों के विषय में बहुत कुछ कहा गया है।
रूप–रेखा :
बुद्धि की स्तुति में 1:1—9:18
सुलैमान के नीतिवचन 10:1—29:27
आगूर के वचन 30:1–33
अन्य नीतिवचन 31:1–31
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नीतिवचन भूमिका: HINOVBSI
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Hindi OV (Re-edited) Bible - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible
Copyright © 2012 by The Bible Society of India
Used by permission. All rights reserved worldwide.
नीतिवचन भूमिका
भूमिका
नीतिवचन की पुस्तक कहावतों और लोकोक्तियों के रूप में नैतिक और धार्मिक शिक्षाओं का एक संग्रह है। इनमें से अधिकांश का सम्बन्ध प्रतिदिन के व्यावहारिक जीवन से है। इसका आरम्भ इस स्मरण पत्र के साथ होता है कि “यहोवा का भय मानना बुद्धि का मूल है,” और फिर न केवल धार्मिक सदाचार परन्तु सामान्य ज्ञान और अच्छे आचरण से सम्बन्धित बातों का भी वर्णन पाया जाता है। इसकी कई छोटी–छोटी कहावतें प्राचीन इस्राएली गुरुओं के अन्त:करण को प्रगट करती हैं कि किसी विशेष परिस्थिति में एक बुद्धिमान व्यक्ति क्या करेगा। इनमें से कुछ पारिवारिक रिश्तों से सम्बन्धित हैं तो कुछ कार्य–व्यापार से सम्बन्धित। कुछ कहावतें सामाजिक जीवन में शिष्टाचार से सम्बन्धित हैं, तो कुछ आत्म–संयम की आवश्यकता के विषय में बताती हैं। इसमें दीनता, सहनशीलता, गरीबों के प्रति आदरभाव और मित्रों के प्रति विश्वासयोग्य रहने आदि गुणों के विषय में बहुत कुछ कहा गया है।
रूप–रेखा :
बुद्धि की स्तुति में 1:1—9:18
सुलैमान के नीतिवचन 10:1—29:27
आगूर के वचन 30:1–33
अन्य नीतिवचन 31:1–31
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