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भजन संहिता 51

51
पाप–क्षमा के लिये प्रार्थना
प्रधान बजानेवाले के लिये दाऊद का भजन, जब नातान नबी उसके पास इसलिये आया कि वह बतशेबा के पास गया था#2 शमू 12:1–15
1हे परमेश्‍वर, अपनी करुणा के अनुसार
मुझ पर अनुग्रह कर;
अपनी बड़ी दया के अनुसार मेरे अपराधों
को मिटा दे।
2मुझे भली भाँति धोकर मेरा अधर्म दूर कर,
और मेरा पाप छुड़ाकर मुझे शुद्ध कर!
3मैं तो अपने अपराधों को जानता हूँ,
और मेरा पाप निरन्तर मेरी दृष्‍टि में रहता है।
4मैं ने केवल तेरे ही विरुद्ध पाप किया,
और जो तेरी दृष्‍टि में बुरा है, वही किया है;
ताकि तू बोलने में धर्मी
और न्याय करने में निष्कलंक ठहरे।#रोम 3:4
5देख, मैं अधर्म के साथ उत्पन्न हुआ,
और पाप के साथ अपनी माता के गर्भ
में पड़ा।
6देख, तू हृदय की सच्‍चाई से प्रसन्न होता है;
और मेरे मन ही में ज्ञान सिखाएगा।
7जूफा से मुझे शुद्ध कर, तो मैं पवित्र हो
जाऊँगा;
मुझे धो, और मैं हिम से भी अधिक
श्‍वेत बनूँगा।
8मुझे हर्ष और आनन्द की बातें सुना,
जिससे जो हड्डियाँ तू ने तोड़ डाली हैं,
वे मगन हो जाएँ।
9अपना मुख मेरे पापों की ओर से फेर ले,
और मेरे सारे अधर्म के कामों को मिटा डाल।
10हे परमेश्‍वर, मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्न कर,
और मेरे भीतर स्थिर आत्मा नये सिरे
से उत्पन्न कर।
11मुझे अपने सामने से निकाल न दे,
और अपने पवित्र आत्मा को मुझ से
अलग न कर।
12अपने किए हुए उद्धार का हर्ष मुझे
फिर से दे,
और उदार आत्मा देकर मुझे सम्भाल।
13तब मैं अपराधियों को तेरा मार्ग सिखाऊँगा,
और पापी तेरी ओर फिरेंगे।
14हे परमेश्‍वर, हे मेरे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर,
मुझे हत्या के अपराध से छुड़ा ले,
तब मैं तेरे धर्म का जयजयकार करने पाऊँगा।
15हे प्रभु, मेरा मुँह खोल दे
तब मैं तेरा गुणानुवाद कर सकूँगा।
16क्योंकि तू मेलबलि से प्रसन्न नहीं होता,
नहीं तो मैं देता;
होमबलि से भी तू प्रसन्न नहीं होता।
17टूटा मन परमेश्‍वर के योग्य बलिदान है;
हे परमेश्‍वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को
तुच्छ नहीं जानता।
18प्रसन्न होकर सिय्योन की भलाई कर,
यरूशलेम की शहरपनाह को तू बना,
19तब तू धर्म के बलिदानों से अर्थात् सर्वांग
पशुओं के होमबलि से प्रसन्न होगा;
तब लोग तेरी वेदी पर बैल चढ़ाएँगे।

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