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श्रेष्ठगीत 1

1
1श्रेष्‍ठगीत जो सुलैमान का है।#1 राजा 4:32
पहला गीत
वधू
2वह अपने मुँह के चुम्बनों से मुझे चूमे!
क्योंकि तेरा प्रेम दाखमधु से उत्तम है,
3तेरे भाँति भाँति के इत्रों की सुगन्ध उत्तम है,
तेरा नाम उंडेले हुए इत्र के तुल्य है;
इसलिये कुमारियाँ तुझ से प्रेम रखती हैं।
4मुझे खींच ले; हम तेरे पीछे दौड़ेंगे।
राजा मुझे अपने महल में ले आया है।
हम तुझ में मगन और आनन्दित होंगे;
हम दाखमधु से अधिक तेरे प्रेम की
चर्चा करेंगे;
वे ठीक ही तुझ से प्रेम रखती हैं।
5हे यरूशलेम की पुत्रियो,
मैं काली तो हूँ परन्तु सुन्दर हूँ,
केदार के तम्बुओं के
और सुलैमान के परदों के तुल्य हूँ।
6मुझे इसलिये न घूर कि मैं साँवली हूँ,
क्योंकि मैं धूप से झुलस गई#1:6 मूल में, सूर्य ने मुझे जलाया
मेरी माता के पुत्र मुझ से अप्रसन्न थे,
उन्होंने मुझ को दाख की बारियों की
रखवालिन बनाया;
परन्तु मैं ने अपनी निज दाख की बारी
की रखवाली नहीं की!
7हे मेरे प्राणप्रिय, मुझे बता,
तू अपनी भेड़–बकरियाँ कहाँ चराता है,
दोपहर को तू उन्हें कहाँ बैठाता है;
मैं क्यों तेरे संगियों की भेड़–बकरियों
के पास
घूँघट काढ़े हुए भटकती फिरूँ?
वर
8हे स्त्रियों में सुन्दरी, यदि तू यह न जानती हो
तो भेड़–बकरियों के खुरों के चिह्नों पर चल,
और चरवाहों के तम्बुओं के पास
अपनी बकरियों के बच्‍चों को चरा।
9हे मेरी प्रिय, मैं ने तेरी तुलना
फ़िरौन के रथों में जुती हुई घोड़ी से की है।
10तेरे गाल केशों की लटों के बीच
क्या ही सुन्दर हैं,
और तेरा कण्ठ हीरों की लड़ियों के बीच।
वधू
11हम तेरे लिये चाँदी के फूलदार सोने के
आभूषण बनाएँगे।
12जब राजा अपनी मेज के पास बैठा था
मेरी जटामासी की सुगन्ध फैल रही थी।
13मेरा प्रेमी मेरे लिये लोबान की थैली के
समान है
जो मेरी छातियों के बीच में पड़ी रहती है।
14मेरा प्रेमी मेरे लिये मेंहदी के फूलों के गुच्छे
के समान है,
जो एनगदी की दाख की बारियों में होता है।
वर
15तू सुन्दरी है, हे मेरी प्रिय, तू सुन्दरी है;
तेरी आँखें कबूतरी की सी हैं।
वधू
16हे मेरे प्रिय, तू सुन्दर और मनभावना है।
और हमारा बिछौना भी हरा है;
17हमारे घर के धरन देवदार हैं
और हमारी छत की कड़ियाँ सनौवर हैं।

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