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अय्यूब 40

40
1फिर यहोवा ने अय्यूब से यह भी कहा:
2“क्या जो बकवास करता है वह सर्वशक्तिमान से झगड़ा करे?
जो परमेश्वर से विवाद करता है वह इसका उत्तर दे।”
अय्यूब का परमेश्वर को उत्तर
3तब अय्यूब ने यहोवा को उत्तर दिया:
4“देख, मैं तो तुच्छ हूँ, मैं तुझे क्या उत्तर दूँ?
मैं अपनी उँगली दाँत तले दबाता हूँ।
5 एक बार तो मैं कह चुका#40:5 एक बार तो मैं कह चुका: स्वयं को निरपराध दर्शाने के लिए। उसने एक बार परमेश्वर के बारे में श्रद्धा रहित एवं अनुचित भाषा का उपयोग किया जिसे अब वह समझ रहा है। , परन्तु और कुछ न कहूँगा:
हाँ दो बार भी मैं कह चुका, परन्तु अब कुछ और आगे न बढ़ूँगा।”
6तब यहोवा ने अय्यूब को आँधी में से यह उत्तर दिया:
7“पुरुष के समान अपनी कमर बाँध ले,
मैं तुझ से प्रश्न करता हूँ, और तू मुझे बता। (अय्यू. 38:3)
8क्या तू मेरा न्याय भी व्यर्थ ठहराएगा?
क्या तू आप निर्दोष ठहरने की मनसा से मुझ को दोषी ठहराएगा?
9 क्या तेरा बाहुबल परमेश्वर के तुल्य है?#40:9 क्या तेरा बाहुबल परमेश्वर के तुल्य है?: बाहुबल अर्थात् शक्ति; अय्यूब क्या अपनी शक्ति की तुलना परमेश्वर की सर्वशक्ति से करने का साहस करेगा?
क्या तू उसके समान शब्द से गरज सकता है?
10“अब अपने को महिमा और प्रताप से संवार
और ऐश्वर्य और तेज के वस्त्र पहन ले।
11अपने अति क्रोध की बाढ़ को बहा दे,
और एक-एक घमण्डी को देखते ही उसे नीचा कर।
12हर एक घमण्डी को देखकर झुका दे,
और दुष्ट लोगों को जहाँ खड़े हों वहाँ से गिरा दे।
13उनको एक संग मिट्टी में मिला दे,
और उस गुप्त स्थान में उनके मुँह बाँध दे।
14तब मैं भी तेरे विषय में मान लूँगा,
कि तेरा ही दाहिना हाथ तेरा उद्धार कर सकता है।
15“उस जलगज को देख, जिसको मैंने तेरे साथ बनाया है,
वह बैल के समान घास खाता है।
16देख उसकी कमर में बल है,
और उसके पेट के पट्ठों में उसकी सामर्थ्य रहती है।
17वह अपनी पूँछ को देवदार के समान हिलाता है;
उसकी जाँघों की नसें एक दूसरे से मिली हुई हैं।
18उसकी हड्डियाँ मानो पीतल की नलियाँ हैं,
उसकी पसलियाँ मानो लोहे के बेंड़े हैं।
19“वह परमेश्वर का मुख्य कार्य है;
जो उसका सृजनहार हो उसके निकट तलवार लेकर आए!
20निश्चय पहाड़ों पर उसका चारा मिलता है,
जहाँ और सब वन पशु कलोल करते हैं।
21वह कमल के पौधों के नीचे रहता नरकटों की आड़ में
और कीच पर लेटा करता है
22कमल के पौधे उस पर छाया करते हैं,
वह नाले के बेंत के वृक्षों से घिरा रहता है।
23चाहे नदी की बाढ़ भी हो तो भी वह न घबराएगा,
चाहे यरदन भी बढ़कर उसके मुँह तक आए परन्तु वह निर्भय रहेगा।
24जब वह चौकस हो तब क्या कोई उसको पकड़ सकेगा,
या उसके नाथ में फंदा लगा सकेगा?

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