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नीतिवचन 2:1-5

नीतिवचन 2:1-5 IRVHIN

हे मेरे पुत्र, यदि तू मेरे वचन ग्रहण करे, और मेरी आज्ञाओं को अपने हृदय में रख छोड़े, और बुद्धि की बात ध्यान से सुने, और समझ की बात मन लगाकर सोचे; (नीति. 23:12) यदि तू प्रवीणता और समझ के लिये अति यत्न से पुकारे, और उसको चाँदी के समान ढूँढ़े, और गुप्त धन के समान उसकी खोज में लगा रहे; (मत्ती 13:44) तो तू यहोवा के भय को समझेगा, और परमेश्वर का ज्ञान तुझे प्राप्त होगा।

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