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भजन संहिता 32:2

भजन संहिता 32:2 IRVHIN

क्या ही धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म का यहोवा लेखा न ले, और जिसकी आत्मा में कपट न हो। (रोम. 4:8)

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