2 कुरिन्थियों 6
6
1परमेश्वर के कार्य में साथ-साथ काम करने के नाते हम तुम लोगों से आग्रह करते हैं कि परमेश्वर का जो अनुग्रह तुम्हें मिला है, उसे व्यर्थ मत जाने दो। 2क्योंकि उसने कहा है:
“मैंने उचित समय पर तेरी सुन ली,
और मैं उद्धार के दिन तुझे सहारा देने आया।”#यश 49:8
देखो! “उचित समय” यही है। देखो! “उद्धार का दिन” यही है।
3हम किसी के लिए कोई विरोध उपस्थित नहीं करते जिससे हमारे काम में कोई कमी आये। 4बल्कि परमेश्वर के सेवक के रूप में हम हर तरह से अपने आप को अच्छा सिद्ध करते रहते हैं। धैर्य के साथ सब कुछ सहते हुए यातनाओं के बीच, विपत्तियों के बीच, कठिनाइयों के बीच 5मार खाते हुए, बन्दीगृहों में रहते हुए, अशांति के बीच, परिश्रम करते हुए, रातों-रात पलक भी न झपका कर, भूखे रह कर 6अपनी पवित्रता, ज्ञान और धैर्य से, अपनी दयालुता, पवित्र आत्मा के वरदानों और सच्चे प्रेम, 7अपने सच्चे संदेश और परमेश्वर की शक्ति से नेकी को ही अपने दायें-बायें हाथों में ढाल के रूप में लेकर
8हम आदर और निरादर के बीच अपमान और सम्मान में अपने को उपस्थित करते रहते हैं। हमें ठग समझा जाता है, यद्यपि हम सच्चे हैं। 9हमें गुमनाम समझा जाता है, जबकि हमें सभी जानते हैं। हमें मरते हुओं सा जाना जाता है, पर देखो हम तो जीवित हैं। हमें दण्ड भोगते हुओं सा जाना जाता है, तब भी देखो हम मृत्यु को नहीं सौंपे जा रहे हैं। 10हमें शोक से व्याकुल समझा जाता है, जबकि हम तो सदा ही प्रसन्न रहते हैं। हम दीन-हीनों के रूप में जाने जाते हैं, जबकि हम बहुतों को वैभवशाली बना रहे हैं। लोग समझते हैं हमारे पास कुछ नहीं है, जबकि हमारे पास तो सब कुछ है।
11हे कुरिन्थियो, हमने तुमसे पूरी तरह खुल कर बातें की हैं। तुम्हारे लिये हमारा मन खुला है। 12हमारा प्रेम तुम्हारे लिये कम नहीं हुआ है। किन्तु तुमने हमसे प्यार करना रोक दिया है। 13तुम्हें अपना बच्चा समझते हुए मैं कह रहा हूँ कि बदले में अपना मन तुम्हें भी हमारे लिये पूरी तरह खुला रखना चाहिए।
हम परमेश्वर के मन्दिर हैं
14अविश्वासियों के साथ बेमेल संगत मत करो क्योंकि नेकी और बुराई की भला कैसी समानता? या प्रकाश और अंधेरे में भला मित्रता कैसे हो सकती है? 15ऐसे ही मसीह का शैतान से कैसा तालमेल? अथवा अविश्वासी के साथ विश्वासी का कैसा साझा? 16परमेश्वर के मन्दिर का मूर्तियों से क्या नाता? क्योंकि हम स्वयं उस सजीव परमेश्वर के मन्दिर हैं, जैसा कि परमेश्वर ने कहा था:
“मैं उनमें निवास करूँगा; चलूँ फिरूँगा,
मैं उनका परमेश्वर होऊँगा और वे मेरे जन बनेंगे।”#लैव्य 26:11-12
17“इसलिए तुम उनमें से बाहर आ जाओ,
उनसे अपने को अलग करो,
अब तुम कभी कुछ भी न छूओ जो अशुद्ध है
तब मैं तुमको अपनाऊँगा।”#यश 52:11
18“और मैं तुम्हारा पिता बनूँगा,
तुम मेरे पुत्र और पुत्री होगे, सर्वशक्तिमान प्रभु यह कहता है।”#2 शमू 7:8, 14
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2 कुरिन्थियों 6
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1परमेश्वर के कार्य में साथ-साथ काम करने के नाते हम तुम लोगों से आग्रह करते हैं कि परमेश्वर का जो अनुग्रह तुम्हें मिला है, उसे व्यर्थ मत जाने दो। 2क्योंकि उसने कहा है:
“मैंने उचित समय पर तेरी सुन ली,
और मैं उद्धार के दिन तुझे सहारा देने आया।”#यश 49:8
देखो! “उचित समय” यही है। देखो! “उद्धार का दिन” यही है।
3हम किसी के लिए कोई विरोध उपस्थित नहीं करते जिससे हमारे काम में कोई कमी आये। 4बल्कि परमेश्वर के सेवक के रूप में हम हर तरह से अपने आप को अच्छा सिद्ध करते रहते हैं। धैर्य के साथ सब कुछ सहते हुए यातनाओं के बीच, विपत्तियों के बीच, कठिनाइयों के बीच 5मार खाते हुए, बन्दीगृहों में रहते हुए, अशांति के बीच, परिश्रम करते हुए, रातों-रात पलक भी न झपका कर, भूखे रह कर 6अपनी पवित्रता, ज्ञान और धैर्य से, अपनी दयालुता, पवित्र आत्मा के वरदानों और सच्चे प्रेम, 7अपने सच्चे संदेश और परमेश्वर की शक्ति से नेकी को ही अपने दायें-बायें हाथों में ढाल के रूप में लेकर
8हम आदर और निरादर के बीच अपमान और सम्मान में अपने को उपस्थित करते रहते हैं। हमें ठग समझा जाता है, यद्यपि हम सच्चे हैं। 9हमें गुमनाम समझा जाता है, जबकि हमें सभी जानते हैं। हमें मरते हुओं सा जाना जाता है, पर देखो हम तो जीवित हैं। हमें दण्ड भोगते हुओं सा जाना जाता है, तब भी देखो हम मृत्यु को नहीं सौंपे जा रहे हैं। 10हमें शोक से व्याकुल समझा जाता है, जबकि हम तो सदा ही प्रसन्न रहते हैं। हम दीन-हीनों के रूप में जाने जाते हैं, जबकि हम बहुतों को वैभवशाली बना रहे हैं। लोग समझते हैं हमारे पास कुछ नहीं है, जबकि हमारे पास तो सब कुछ है।
11हे कुरिन्थियो, हमने तुमसे पूरी तरह खुल कर बातें की हैं। तुम्हारे लिये हमारा मन खुला है। 12हमारा प्रेम तुम्हारे लिये कम नहीं हुआ है। किन्तु तुमने हमसे प्यार करना रोक दिया है। 13तुम्हें अपना बच्चा समझते हुए मैं कह रहा हूँ कि बदले में अपना मन तुम्हें भी हमारे लिये पूरी तरह खुला रखना चाहिए।
हम परमेश्वर के मन्दिर हैं
14अविश्वासियों के साथ बेमेल संगत मत करो क्योंकि नेकी और बुराई की भला कैसी समानता? या प्रकाश और अंधेरे में भला मित्रता कैसे हो सकती है? 15ऐसे ही मसीह का शैतान से कैसा तालमेल? अथवा अविश्वासी के साथ विश्वासी का कैसा साझा? 16परमेश्वर के मन्दिर का मूर्तियों से क्या नाता? क्योंकि हम स्वयं उस सजीव परमेश्वर के मन्दिर हैं, जैसा कि परमेश्वर ने कहा था:
“मैं उनमें निवास करूँगा; चलूँ फिरूँगा,
मैं उनका परमेश्वर होऊँगा और वे मेरे जन बनेंगे।”#लैव्य 26:11-12
17“इसलिए तुम उनमें से बाहर आ जाओ,
उनसे अपने को अलग करो,
अब तुम कभी कुछ भी न छूओ जो अशुद्ध है
तब मैं तुमको अपनाऊँगा।”#यश 52:11
18“और मैं तुम्हारा पिता बनूँगा,
तुम मेरे पुत्र और पुत्री होगे, सर्वशक्तिमान प्रभु यह कहता है।”#2 शमू 7:8, 14
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