होशे 9
9
देश निकाले का दु:ख
1हे इस्राएल, तू उस पुकार का आनन्द मत मना, जैसे देश—देश के लोग मनाते हैं! तू प्रसन्न मत हो! तने तो एक वेश्या के जैसा आचरण किया है और प्ररमेश्वर को बिसरा दिया है। तूने हर खलिहान की धरती पर व्यभिचार किया है। 2किन्तु उन खलिहानों से मिला अन्न इस्राएल को पर्याप्त भोजन नही दे पायेगा। इस्राएल के लिये पर्याप्त दाखमधु भी नहीं रहेगी।
3इस्राएल के लोग यहोवा की धरती पर नहीं रह पायेंगे। एप्रैम मिस्र को लौट जायेगा। अश्शूर में उन्हें वैसा खाना खाना पड़ेगा जैसे उन्हें नहीं खाना चाहिये। 4इस्राएल के निवासी यहोवा को दाखमधु का चढ़ावा नहीं चढ़ायेंगे। वे उसे बलियाँ अर्पित नहीं कर पायेंगे। ये बलियाँ उनके लिये विलाप करते हुए की राटी जैसी होंगी। जो इसे खाएंगे वैसे भी अपवित्र हो जाएंगे। यहोवा के मन्दिर में उनकी रोटी नहीं जा पायेगी। उनके पास बस उतनी सी ही रोटी होगी, जिससे वे मात्र जीवित रह पायेंगे। 5वे (इस्राएली) यहोवा के अवकाश के दिनों अथवा उत्सवों को मना नहीं पायेंगे।
6इस्राएल के लोग पूरी तरह से नष्ट होने के डर से अश्शूर को गये थे किन्तु मिस्र उन्हें इकट्ठा करके ले लेगा। मोप के लोग उन्हें गाड़ देंगे। चाँदी से भरे उनके खजानों पर खरपतवार उग आयेगा। उनके डेरों में, कँटीली झाड़ियाँ उग आयेंगी।
इस्राएल ने सच्चे नबियों को नकारा
7नबी कहता है, “हे इस्राएल, इन बातों को जान ले दण्ड देने का समय आ गया है। जो बुरे काम तूने किये हैं, तेरे लिये उनके भूगतान का समय आ गया है।” किन्तु इस्राएल के लोग कहते हैं, “नबी मूर्ख है, परमेश्वर की आत्मा से युक्त यह पुरूष उन्मादी है।” नबी कहता है, “तुम्हारे बुरे कामो के लिये तुम्हें दण्ड दिया जायेगा। तुम्हारी घृणा के लिये तुम्हें दण्ड दिया जायेगा।”
8परमेश्वर और नबी उन पहरेदारों के समान हैं जो ऊपर से एप्रैम पर ध्यान रखे हुए हैं। किन्तु मार्ग तो अनेक फँदों से भरा हुआ है। किन्तु लोग तो नबी से उसके परमेश्वर के घर तक में घृणा करते हैं।
9गिबा के दिनों की तरह इस्राएल के लोग तो बर्बादी के बीच गहरे उतर चुके हैं। यहोवा इस्राएलियों के पापों का ध्यान कर के, उन्हें उनके पापों का दण्ड देगा।
मूर्ति पूजा के कारण इस्राएल का विनाश
10“जैसे रेगिस्तान में किसी को अंगूर मिल जायें, मेरे लिये इस्राएल का मिलना वैसा ही था। तुम्हारे पूर्वज मुझे ऐसे ही मिले जैसे ऋतु के प्रारम्भ में अंजीर के पेड़ पर किसी को अंजीर के पहले फल मिलते हैं। किन्तु वे तो बाल—पोर के पास चले गये। वे बदल गये और ऐसे हो गये जैसे कोई सड़ी—गली वस्तु होती है। वे जिन भयानक वस्तुओं को (झूठे देवताओं को) प्रेम करते थे, उन्हीं के जैसे हो गये।
इस्राएलियों का वंश नहीं बढ़ेगा
11“इस्राएल का वैभव कहीं वैसे ही उड़ जायेगा, जैसे कोई पक्षी उड़ जाता है। वहाँ न कोई गर्भ धारण करेगा, न कोई जन्म लेगा और न ही बच्चे होंगे। 12किन्तु यदि इस्राएली अपने बच्चे पाल भी लेंगे तो भी सब बेकार हो जायेगा। मैं उनसे उनके बच्चे छीन लूँगा। मैं उन्हें त्याग दूँगा और उन्हें विपदाओं के अलावा कुछ भी नहीं मिल पायेगा।”
13मैं देख रहा हूँ कि एप्रैम अपनी संतानों को एक फंदे की ओर ले जा रहा है। एप्रैम अपने बच्चों को इस हत्यारे के पास बाहर ला रहा है। 14वे यहोवा, तुझे उनको जो देना है, उसे तू उन्हें दे दे। उन्हें एक ऐसा गर्भ दे, जो गिर जाता है। उन्हें ऐसे स्तन दे जो दूध नहीं पिला पाते।
15उनकी समूची बुराई गिल्गाल में है।
वहीं मैंने उनसे घृणा करना शुरू किया था।
मैं उन्हें मेरे घर से निकल जाने को विवश करूँगा,
उनके उन कुकर्मों के लिये जिनको वे करते हैं।
मैं उनसे अब प्यार नहीं करता रहूँगा।
उनके सभी मुखिया मुझसे बागी हो गये हैं, अब वे मेरे विरोध में हो गये हैं।
16एप्रैम को दण्ड दिया जायेगा,
उनकी जड़ सूख रहीं है।
उनके और अधिक संतानें अब नहीं होंगी।
चाहे उनकी संतानें होती रहें
किन्तु उनके दुलारे शिशुओं को जो उनके शरीर से पैदा होते हैं मैं मार डालूँगा।
17वे लोग मेरे परमेश्वर की तो नहीं सुनेंगे;
सो वह भी उनकी बात सुनने को नकार देगा
और फिर वे अन्य देशों के बीच बिना किसी घर के भटकते हुए फिरेंगे।
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देश निकाले का दु:ख
1हे इस्राएल, तू उस पुकार का आनन्द मत मना, जैसे देश—देश के लोग मनाते हैं! तू प्रसन्न मत हो! तने तो एक वेश्या के जैसा आचरण किया है और प्ररमेश्वर को बिसरा दिया है। तूने हर खलिहान की धरती पर व्यभिचार किया है। 2किन्तु उन खलिहानों से मिला अन्न इस्राएल को पर्याप्त भोजन नही दे पायेगा। इस्राएल के लिये पर्याप्त दाखमधु भी नहीं रहेगी।
3इस्राएल के लोग यहोवा की धरती पर नहीं रह पायेंगे। एप्रैम मिस्र को लौट जायेगा। अश्शूर में उन्हें वैसा खाना खाना पड़ेगा जैसे उन्हें नहीं खाना चाहिये। 4इस्राएल के निवासी यहोवा को दाखमधु का चढ़ावा नहीं चढ़ायेंगे। वे उसे बलियाँ अर्पित नहीं कर पायेंगे। ये बलियाँ उनके लिये विलाप करते हुए की राटी जैसी होंगी। जो इसे खाएंगे वैसे भी अपवित्र हो जाएंगे। यहोवा के मन्दिर में उनकी रोटी नहीं जा पायेगी। उनके पास बस उतनी सी ही रोटी होगी, जिससे वे मात्र जीवित रह पायेंगे। 5वे (इस्राएली) यहोवा के अवकाश के दिनों अथवा उत्सवों को मना नहीं पायेंगे।
6इस्राएल के लोग पूरी तरह से नष्ट होने के डर से अश्शूर को गये थे किन्तु मिस्र उन्हें इकट्ठा करके ले लेगा। मोप के लोग उन्हें गाड़ देंगे। चाँदी से भरे उनके खजानों पर खरपतवार उग आयेगा। उनके डेरों में, कँटीली झाड़ियाँ उग आयेंगी।
इस्राएल ने सच्चे नबियों को नकारा
7नबी कहता है, “हे इस्राएल, इन बातों को जान ले दण्ड देने का समय आ गया है। जो बुरे काम तूने किये हैं, तेरे लिये उनके भूगतान का समय आ गया है।” किन्तु इस्राएल के लोग कहते हैं, “नबी मूर्ख है, परमेश्वर की आत्मा से युक्त यह पुरूष उन्मादी है।” नबी कहता है, “तुम्हारे बुरे कामो के लिये तुम्हें दण्ड दिया जायेगा। तुम्हारी घृणा के लिये तुम्हें दण्ड दिया जायेगा।”
8परमेश्वर और नबी उन पहरेदारों के समान हैं जो ऊपर से एप्रैम पर ध्यान रखे हुए हैं। किन्तु मार्ग तो अनेक फँदों से भरा हुआ है। किन्तु लोग तो नबी से उसके परमेश्वर के घर तक में घृणा करते हैं।
9गिबा के दिनों की तरह इस्राएल के लोग तो बर्बादी के बीच गहरे उतर चुके हैं। यहोवा इस्राएलियों के पापों का ध्यान कर के, उन्हें उनके पापों का दण्ड देगा।
मूर्ति पूजा के कारण इस्राएल का विनाश
10“जैसे रेगिस्तान में किसी को अंगूर मिल जायें, मेरे लिये इस्राएल का मिलना वैसा ही था। तुम्हारे पूर्वज मुझे ऐसे ही मिले जैसे ऋतु के प्रारम्भ में अंजीर के पेड़ पर किसी को अंजीर के पहले फल मिलते हैं। किन्तु वे तो बाल—पोर के पास चले गये। वे बदल गये और ऐसे हो गये जैसे कोई सड़ी—गली वस्तु होती है। वे जिन भयानक वस्तुओं को (झूठे देवताओं को) प्रेम करते थे, उन्हीं के जैसे हो गये।
इस्राएलियों का वंश नहीं बढ़ेगा
11“इस्राएल का वैभव कहीं वैसे ही उड़ जायेगा, जैसे कोई पक्षी उड़ जाता है। वहाँ न कोई गर्भ धारण करेगा, न कोई जन्म लेगा और न ही बच्चे होंगे। 12किन्तु यदि इस्राएली अपने बच्चे पाल भी लेंगे तो भी सब बेकार हो जायेगा। मैं उनसे उनके बच्चे छीन लूँगा। मैं उन्हें त्याग दूँगा और उन्हें विपदाओं के अलावा कुछ भी नहीं मिल पायेगा।”
13मैं देख रहा हूँ कि एप्रैम अपनी संतानों को एक फंदे की ओर ले जा रहा है। एप्रैम अपने बच्चों को इस हत्यारे के पास बाहर ला रहा है। 14वे यहोवा, तुझे उनको जो देना है, उसे तू उन्हें दे दे। उन्हें एक ऐसा गर्भ दे, जो गिर जाता है। उन्हें ऐसे स्तन दे जो दूध नहीं पिला पाते।
15उनकी समूची बुराई गिल्गाल में है।
वहीं मैंने उनसे घृणा करना शुरू किया था।
मैं उन्हें मेरे घर से निकल जाने को विवश करूँगा,
उनके उन कुकर्मों के लिये जिनको वे करते हैं।
मैं उनसे अब प्यार नहीं करता रहूँगा।
उनके सभी मुखिया मुझसे बागी हो गये हैं, अब वे मेरे विरोध में हो गये हैं।
16एप्रैम को दण्ड दिया जायेगा,
उनकी जड़ सूख रहीं है।
उनके और अधिक संतानें अब नहीं होंगी।
चाहे उनकी संतानें होती रहें
किन्तु उनके दुलारे शिशुओं को जो उनके शरीर से पैदा होते हैं मैं मार डालूँगा।
17वे लोग मेरे परमेश्वर की तो नहीं सुनेंगे;
सो वह भी उनकी बात सुनने को नकार देगा
और फिर वे अन्य देशों के बीच बिना किसी घर के भटकते हुए फिरेंगे।
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