YouVersion Logo
Search Icon

श्रेष्ठगीत 6

6
यरूशलेम की पुत्रियों का उससे कथन
1स्त्रियों में सुन्दरतम स्त्री,
बता तेरा प्रियतम कहाँ चला गया
किस राह से तेरा प्रियतम चला गया है
हमें बता ताकि हम तेरे साथ उसको ढूँढ सके।
यरूशलेम की पुत्रियों को उसका उत्तर
2मेरा प्रिय अपने उपवन में चला गया,
सुगंधित क्यारियों में,
उपवन में अपनी भेड़ चराने को
और कुमुदिनियाँ एकत्र करने को।
3मैं हूँ अपने प्रियतम की
और वह मेरा प्रियतम है।
वह कुमुदिनियों के बीच चराया करता है।
पुरुष का वचन स्त्री के प्रति
4मेरी प्रिय, तू तिर्सा सी सुन्दर है,
तू यरूशलेम सी मनोहर है, तू इतनी अद्भुत है
जैसे कोई दिवारों से घिरा नगर हो।
5मेरे ऊपर से तू आँखें हटा ले!
तेरे नयन मुझको उत्तेजित करते हैं!
तेरे केश लम्बे हैं और वे ऐसे लहराते है
जैसे गिलाद की पहाड़ी से बकरियों का झुण्ड उछलता हुआ उतरता आता हो।
6तेरे दाँत ऐसे सफेद है
जैसे मेंढ़े जो अभी—अभी नहा कर निकली हों।
वे सभी जुड़वा बच्चों को जन्म दिया करती हैं
और उनमें से किसी का भी बच्चा नहीं मरा है।
7घूँघट के नीचे तेरी कनपटियाँ
ऐसी हैं जैसे अनार की दो फाँके हों।
8वहाँ साठ रानियाँ,
अस्सी सेविकायें
और नयी असंख्य कुमारियाँ हैं।
9किन्तु मेरी कबूतरी, मेरी निर्मल,
उनमें एक मात्र है।
जिस मां ने उसे जन्म दिया
वह उस माँ की प्रिय है।
कुमारियों ने उसे देखा और उसे सराहा।
हाँ, रानियों और सेविकाओं ने भी उसको देखकर उसकी प्रशंसा की थी।
स्त्रियों द्वारा उसकी प्रशंसा
10वह कुमारियाँ कौन है
वह भोर सी चमकती है।
वह चाँद सी सुन्दर है,
वह इतनी भव्य है जितना सूर्य,
वह ऐसी अद्भुत है जैसे आकाश में सेना।
स्त्री का वचन
11मैं गिरीदार पेड़ों के बगीचे में घाटी की बहार को
देखने को उतर गयी,
यह देखने कि अंगूर की बेले कितनी बड़ी हैं
और अनार की कलियाँ खिली हैं कि नहीं।
12इससे पहले कि मैं यह जान पाती, मेरे मन ने मुझको राजा के व्यक्तियों के रथ में पहुँचा दिया।
यरूशलेम की पुत्रियों को उसको बुलावा
13वापस आ, वापस आ, ओ शुलेम्मिन!
वापस आ, वापस आ, ताकि हम तुझे देख सके।
क्यों ऐसे शुलेम्मिन को घूरती हो
जैसे वह महनैम के नृत्य की नर्तकी हो

Highlight

Share

Copy

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in