मत्ती 25
25
लाढा की बाठ नाळबाळी दस छोर्या को कस्सो
1 #
लूक 12:35
उं दन सरग को राज वा दस छोर्या की न्याई होव्अलो ज्यो दिया जोर लाढा सुं मलबा नखळी। 2वाम्अ सुं पांच आळसी अर पांच चतर छी। 3पांचु आळसी छोर्या खुदका दिया तो लेली पण वाकी लार तेल कोन्अ लेई। 4उण्डी चतर छोर्या खुदका दिया की लार तेल का भरया राछ बी लेली। 5लाढ़ो आबा मं मोड़ो होग्यो जिसुं वा सबळयां न्अ ऊंघ आबा लागगी अर वे सोगी।
6“आधी रयात की हुडदंग माची ‘लाढ़ो आर्यो छ! उसुं मलबा चालो।’ 7ज्दया सबळी कुंवारी छोर्या उठी अर अपणा-अपणा दिया न्अ तियार करबा लागगी। 8जद्या आळसी छोर्या चतर छोर्या न्अ खेई, ‘मान्अ थांको चन्योक तेल देद्यो, म्हाका दिया बझबाळा छ।’
9“चतर वान्अ खेई, ‘नई म्हे कोन्अ दे सका। क्युं क फेर यो न्अ तो म्हाक्अ बेई पूरो होव्अलो अर न्अ थांक्अ बेई। जिसुं थे जार तेल बेचबाळा सुं खुद बेई तेल मोल लियाओ।’ 10ज्दया वे तेल मोल लेबा जाईरी छी क लाढ़ो आ पुच्यो। तो ज्यो छोर्या तियार छी उंकी लार बियाऊ का छाळ्ळा मं माईन्अ चलगी अर फेर कोई कुवाड़ा न्अ जुड़ दियो।
11 #
लूक 13:25
“अर फेर आखरी मं वे बाकी की छोर्या बी गई अर खेई, ‘अजी कुवाड़ खोलो, मान्अ बी माईन्अ आबाद्यो।’ 12पण वो वान्अ खियो, ‘म थान्अ सांची खेर्यो छु म थान्अ कोन्अ जाणु।’”
13“जिसुं सावधानर्यो। क्युं क थे न्अ तो उं दन न्अ जाणो अर न्अ उं बगत न्अ ज्दया मनख को छोरो पाछो आवलो।”
तीन नोकरा को कस्सो
(लूका 19:11–27)
14 #
लूक 19:11–27
“सरग को राज उं मनख की न्याऊ छ ज्यो यात्रा मं जाबा सुं पेली खुदका नोकरा न्अ बलार खुदकी सबळी जमीधरा प अधिकारी बणायो। 15वो वाम्अ सुं एक न्अ सोना की पांच हजार मोहरां दियो, दूसरा न्अ दो हजार मोहरां अर तीसरा न्अ एक हजार मोहरां दियो। वो सबळा न्अ वांकी काबलियत क बरयाबर देर यात्रा मं चलग्यो। 16जिन्अ सोना की पांच हजार मोहरां मली छी वो वान्अ काम मं लगार पांच हजार मोहरां ओर कमा लियो। 17अस्यान'ई जिन्अ दो हजार मोहरां मली छी वो बी दो हजार मोहरां ओर कमा लियो। 18पण जिन्अ एक हजार सोना की मोहरां मली छी वो जार वान्अ जमी मं एक खाढ़ो खोदर गाढ़ दियो।
19“घणा दन बित्या पाछ्अ वां नोकरा को मालिक पाछो आयो अर सबळा सुं स्याप लेबा लागग्यो। 20वो मनख जिन्अ पांच हजार सोना की मोहरां मली छी खुदका मालिक कन्अ पांच हजार मोहरां ओर लेजार खियो, ‘मालिक साब, थे मन्अ पांच हजार मोहरां सुंप्या छा। सोना की ये पांच हजार मोहरां ओर छ, ज्यो मं कमायो छु।’ 21उंको मालिक उन्अ खियो, ‘स्याबास! तु चन्याक मं भरोसो करबा जस्यान को बस्वासहाळो चोखो नोकर छ, म थन्अ ओर सावटा को अधिकार द्युलो। माईन्अ जार म्हारी खुसी मं भेळ्अ होजा।’ 22फेर जिन्अ सोना की दो हजार मोहरां मली छी खुदका मालिक कन्अ आर खियो, ‘मालिक साब, थे मन्अ सोना की दो हजार मोहरां दिया छा, सोना की ये दो हजार मोहरां ओर छ ज्यो म कमायो छु।’ 23उंको मालिक उन्अ खियो, ‘स्याबास! तु चन्याक मं भरोसो करबा जस्यान को बस्वासहाळो चोखो नोकर छ। म थन्अ ओर सावटा को अधिकार द्युलो। माईन्अ जार म्हारी खुसी मं भेळ्अ होजा।’ 24फेर वो जिन्अ सोना की एक हजार मोहरां मली छी, खुदका मालिक कन्अ आर खियो, ‘मालिक साब म जाणु छु तु घणु खराब मनख छ। तु उण्डअ काट्अ छ जण्ढ्अ तु कोन्अ बायो, अर जण्ढ्अ तु कांई बी बीज कोन्अ बायो उण्डअ काट्अ छ। 25तो म डरपग्यो छो अर जार सोना की मोहरां न्अ जमी मं गाढ़ दियो, यो ल्अ, ज्यो थारो छ, लेल्अ।’ 26उंको मालिक उन्अ खियो, ‘तु एक बरो अर आळसी नोकर छ तु जाण्अ छ क म बना बाया ई काटु छु अर जण्ढ्अ कोन्अ बाऊ उण्डअ सुं भेळो करू छु। 27तो थन्अ म्हारो धन साऊकारा कन्अ जमा करा देणी चायजे छी, फेर ज्दया म आतो तो ज्यो म्हारो छ ब्याज समेत ले लेतो।’ 28जिसुं ई कन्अ सुं या मोहरां न्अ लेल्यो अर जिकन्अ सोना की दस हजार मोहरां छ ये उन्अई देद्यो। 29#मत्ती 13:12; मर 4:25; लूक 8:18क्युं क जिकन्अ छ, उन्अ ओर दियो जावलो अर उकन्अ घणुसारो हो जाव्अलो; पण जिकन्अ कोन्अ उसुं वो बी कुस्का लियो जावलो ज्यो उंको छ। 30#मत्ती 8:12; 22:13; लूक 13:28अर ई बनाकाम का नोकर न्अ बारअ अन्धेरा मं पटकद्यो जण्ढ्अ रोबो अर कचकच्या भिचबो होवलो।”
न्याऊ को दन
31 #
मत्ती 16:27;
मत्ती 19:28
“मनख को छोरो ज्दया आवलो, तो सरग की महमा मं खुदका सबळा सरगदूता समेत स्यानदार सिंहासन प बेठ्अलो 32तो सबळी जात्या उंक्अ साम्अ भेळी करी जाव्अली अर जस्यान गुवाळ लळ्डया न्अ छाळ्या सुं न्यारी करअ छ वस्यान ई वो वान्अ एक-दूसरा सुं न्यारो कर देव्अलो। 33वो लळ्डया न्अ खुदकी जीवणी-बगल अर छाळ्या न्अ बांवळी बगल उबी करअलो।
34“फेर वो राजो खुदकी जीवणी-बगल हाळान्अ खेवलो, ‘म्हारा बाप सुं आसीर्वाद पाया मनखवो, आवो अर ज्यो राज थां बेई जगत न्अ बणाबा सुं पेली तियार कर्यो गियो छ उंको अधिकार ल्यो। 35यो राज थांको छ क्युं क म भूखो छो अर तु मन्अ खाबा बेई दियो, म तसायो छो अर तु मन्अ पाणी पायो। मं अण्जाण छो अर तु मन्अ माईन्अ लेर गियो। 36म नातकणो छो, अर तु मन्अ लत्ता पेरायो। म बिमार छो, अर तु म्हारी सेवा कर्यो। म बंदी छो अर तु म्हारअ कन्अ आयो।’
37“फेर जुवाब मं धरमी मनख उन्अ बुज्अला, ‘परबु, म्हे थन्अ कद्या भूखो देख्या अर खुवाया अर म्हे थन्अ कद्या तसायो देख्या अर पाणी पाया? 38थन्अ म्हे कद्या सांकड्अ सुं जातो अण्जाण देखर माईन्अ लेग्या छा अर नातकणो देखर थन्अ कद्या लत्ता पराया छा? 39अर म्हे कद्या थन्अ बेमार अर बन्दी देख्या अर थार कन्अ आया।’
40“फेर राजो वान्अ जुवाब मं खेवलो, ‘म थान्अ सांची खेर्यो छु ज्दया बी थे म्हारा भोळा-ढाळा भाया मंसुं एक बेई बी कोई-कांई कर्या तो थे वो म्हारअ बेई ई कर्या छा।’
41“फेर वो राजो खुदकी बांवळी बगलाळा न्अ खेवलो, ‘ह सरापित वो! म्हारअ कन्अ सुं चलजावो, अर उं कद्या बी कोन्अ बझबाळी आग मं जा पड़ो ज्यो आग सेतान अर उंका दूता बेई तियार करी गई छ। 42याई थांकी सज्या छ क्युं क म भूखो छो पण तु मन्अ खाबा बेई कांई कोन्अ दियो, 43म अण्जाण छो पण तु मन्अ माईन्अ कोन्अ लेग्यो। म नातकणो छो पण तु मन्अ लत्ता कोन्अ पेरायो। म बिमार अर बन्दी छो पण तु म्हारो ध्यान कोन्अ रखाण्यो।’
44“फेर वे उन्अ बुज्अला, ‘परबु, म्हे थन्अ कद्या भूखो, तसायो, अण्जाण, नातकणो, बेमार या बन्दी देख्या अर थारी सेवा कोन्अ कर्या।’
45“फेर वो जुवाब मं वान्अ खेवलो, ‘म थान्अ सांची खेर्यो छु ज्दया बी थे म्हारा भोळा-ढाळा भाया मंसुं एक बेई बी कोई-कांई करबा मं आळस कर्या तो वो थे म्हारअ बेई ही कोई-कांई करबा मं आळस कर्या छा।’
46“फेर वे बरा मनख सदामेस की सज्या पावला अर धरमी मनख सदामेस की जन्दगी मं चल जावला।”
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मत्ती 25: डि एच डि
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मत्ती 25
25
लाढा की बाठ नाळबाळी दस छोर्या को कस्सो
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लूक 12:35
उं दन सरग को राज वा दस छोर्या की न्याई होव्अलो ज्यो दिया जोर लाढा सुं मलबा नखळी। 2वाम्अ सुं पांच आळसी अर पांच चतर छी। 3पांचु आळसी छोर्या खुदका दिया तो लेली पण वाकी लार तेल कोन्अ लेई। 4उण्डी चतर छोर्या खुदका दिया की लार तेल का भरया राछ बी लेली। 5लाढ़ो आबा मं मोड़ो होग्यो जिसुं वा सबळयां न्अ ऊंघ आबा लागगी अर वे सोगी।
6“आधी रयात की हुडदंग माची ‘लाढ़ो आर्यो छ! उसुं मलबा चालो।’ 7ज्दया सबळी कुंवारी छोर्या उठी अर अपणा-अपणा दिया न्अ तियार करबा लागगी। 8जद्या आळसी छोर्या चतर छोर्या न्अ खेई, ‘मान्अ थांको चन्योक तेल देद्यो, म्हाका दिया बझबाळा छ।’
9“चतर वान्अ खेई, ‘नई म्हे कोन्अ दे सका। क्युं क फेर यो न्अ तो म्हाक्अ बेई पूरो होव्अलो अर न्अ थांक्अ बेई। जिसुं थे जार तेल बेचबाळा सुं खुद बेई तेल मोल लियाओ।’ 10ज्दया वे तेल मोल लेबा जाईरी छी क लाढ़ो आ पुच्यो। तो ज्यो छोर्या तियार छी उंकी लार बियाऊ का छाळ्ळा मं माईन्अ चलगी अर फेर कोई कुवाड़ा न्अ जुड़ दियो।
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लूक 13:25
“अर फेर आखरी मं वे बाकी की छोर्या बी गई अर खेई, ‘अजी कुवाड़ खोलो, मान्अ बी माईन्अ आबाद्यो।’ 12पण वो वान्अ खियो, ‘म थान्अ सांची खेर्यो छु म थान्अ कोन्अ जाणु।’”
13“जिसुं सावधानर्यो। क्युं क थे न्अ तो उं दन न्अ जाणो अर न्अ उं बगत न्अ ज्दया मनख को छोरो पाछो आवलो।”
तीन नोकरा को कस्सो
(लूका 19:11–27)
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लूक 19:11–27
“सरग को राज उं मनख की न्याऊ छ ज्यो यात्रा मं जाबा सुं पेली खुदका नोकरा न्अ बलार खुदकी सबळी जमीधरा प अधिकारी बणायो। 15वो वाम्अ सुं एक न्अ सोना की पांच हजार मोहरां दियो, दूसरा न्अ दो हजार मोहरां अर तीसरा न्अ एक हजार मोहरां दियो। वो सबळा न्अ वांकी काबलियत क बरयाबर देर यात्रा मं चलग्यो। 16जिन्अ सोना की पांच हजार मोहरां मली छी वो वान्अ काम मं लगार पांच हजार मोहरां ओर कमा लियो। 17अस्यान'ई जिन्अ दो हजार मोहरां मली छी वो बी दो हजार मोहरां ओर कमा लियो। 18पण जिन्अ एक हजार सोना की मोहरां मली छी वो जार वान्अ जमी मं एक खाढ़ो खोदर गाढ़ दियो।
19“घणा दन बित्या पाछ्अ वां नोकरा को मालिक पाछो आयो अर सबळा सुं स्याप लेबा लागग्यो। 20वो मनख जिन्अ पांच हजार सोना की मोहरां मली छी खुदका मालिक कन्अ पांच हजार मोहरां ओर लेजार खियो, ‘मालिक साब, थे मन्अ पांच हजार मोहरां सुंप्या छा। सोना की ये पांच हजार मोहरां ओर छ, ज्यो मं कमायो छु।’ 21उंको मालिक उन्अ खियो, ‘स्याबास! तु चन्याक मं भरोसो करबा जस्यान को बस्वासहाळो चोखो नोकर छ, म थन्अ ओर सावटा को अधिकार द्युलो। माईन्अ जार म्हारी खुसी मं भेळ्अ होजा।’ 22फेर जिन्अ सोना की दो हजार मोहरां मली छी खुदका मालिक कन्अ आर खियो, ‘मालिक साब, थे मन्अ सोना की दो हजार मोहरां दिया छा, सोना की ये दो हजार मोहरां ओर छ ज्यो म कमायो छु।’ 23उंको मालिक उन्अ खियो, ‘स्याबास! तु चन्याक मं भरोसो करबा जस्यान को बस्वासहाळो चोखो नोकर छ। म थन्अ ओर सावटा को अधिकार द्युलो। माईन्अ जार म्हारी खुसी मं भेळ्अ होजा।’ 24फेर वो जिन्अ सोना की एक हजार मोहरां मली छी, खुदका मालिक कन्अ आर खियो, ‘मालिक साब म जाणु छु तु घणु खराब मनख छ। तु उण्डअ काट्अ छ जण्ढ्अ तु कोन्अ बायो, अर जण्ढ्अ तु कांई बी बीज कोन्अ बायो उण्डअ काट्अ छ। 25तो म डरपग्यो छो अर जार सोना की मोहरां न्अ जमी मं गाढ़ दियो, यो ल्अ, ज्यो थारो छ, लेल्अ।’ 26उंको मालिक उन्अ खियो, ‘तु एक बरो अर आळसी नोकर छ तु जाण्अ छ क म बना बाया ई काटु छु अर जण्ढ्अ कोन्अ बाऊ उण्डअ सुं भेळो करू छु। 27तो थन्अ म्हारो धन साऊकारा कन्अ जमा करा देणी चायजे छी, फेर ज्दया म आतो तो ज्यो म्हारो छ ब्याज समेत ले लेतो।’ 28जिसुं ई कन्अ सुं या मोहरां न्अ लेल्यो अर जिकन्अ सोना की दस हजार मोहरां छ ये उन्अई देद्यो। 29#मत्ती 13:12; मर 4:25; लूक 8:18क्युं क जिकन्अ छ, उन्अ ओर दियो जावलो अर उकन्अ घणुसारो हो जाव्अलो; पण जिकन्अ कोन्अ उसुं वो बी कुस्का लियो जावलो ज्यो उंको छ। 30#मत्ती 8:12; 22:13; लूक 13:28अर ई बनाकाम का नोकर न्अ बारअ अन्धेरा मं पटकद्यो जण्ढ्अ रोबो अर कचकच्या भिचबो होवलो।”
न्याऊ को दन
31 #
मत्ती 16:27;
मत्ती 19:28
“मनख को छोरो ज्दया आवलो, तो सरग की महमा मं खुदका सबळा सरगदूता समेत स्यानदार सिंहासन प बेठ्अलो 32तो सबळी जात्या उंक्अ साम्अ भेळी करी जाव्अली अर जस्यान गुवाळ लळ्डया न्अ छाळ्या सुं न्यारी करअ छ वस्यान ई वो वान्अ एक-दूसरा सुं न्यारो कर देव्अलो। 33वो लळ्डया न्अ खुदकी जीवणी-बगल अर छाळ्या न्अ बांवळी बगल उबी करअलो।
34“फेर वो राजो खुदकी जीवणी-बगल हाळान्अ खेवलो, ‘म्हारा बाप सुं आसीर्वाद पाया मनखवो, आवो अर ज्यो राज थां बेई जगत न्अ बणाबा सुं पेली तियार कर्यो गियो छ उंको अधिकार ल्यो। 35यो राज थांको छ क्युं क म भूखो छो अर तु मन्अ खाबा बेई दियो, म तसायो छो अर तु मन्अ पाणी पायो। मं अण्जाण छो अर तु मन्अ माईन्अ लेर गियो। 36म नातकणो छो, अर तु मन्अ लत्ता पेरायो। म बिमार छो, अर तु म्हारी सेवा कर्यो। म बंदी छो अर तु म्हारअ कन्अ आयो।’
37“फेर जुवाब मं धरमी मनख उन्अ बुज्अला, ‘परबु, म्हे थन्अ कद्या भूखो देख्या अर खुवाया अर म्हे थन्अ कद्या तसायो देख्या अर पाणी पाया? 38थन्अ म्हे कद्या सांकड्अ सुं जातो अण्जाण देखर माईन्अ लेग्या छा अर नातकणो देखर थन्अ कद्या लत्ता पराया छा? 39अर म्हे कद्या थन्अ बेमार अर बन्दी देख्या अर थार कन्अ आया।’
40“फेर राजो वान्अ जुवाब मं खेवलो, ‘म थान्अ सांची खेर्यो छु ज्दया बी थे म्हारा भोळा-ढाळा भाया मंसुं एक बेई बी कोई-कांई कर्या तो थे वो म्हारअ बेई ई कर्या छा।’
41“फेर वो राजो खुदकी बांवळी बगलाळा न्अ खेवलो, ‘ह सरापित वो! म्हारअ कन्अ सुं चलजावो, अर उं कद्या बी कोन्अ बझबाळी आग मं जा पड़ो ज्यो आग सेतान अर उंका दूता बेई तियार करी गई छ। 42याई थांकी सज्या छ क्युं क म भूखो छो पण तु मन्अ खाबा बेई कांई कोन्अ दियो, 43म अण्जाण छो पण तु मन्अ माईन्अ कोन्अ लेग्यो। म नातकणो छो पण तु मन्अ लत्ता कोन्अ पेरायो। म बिमार अर बन्दी छो पण तु म्हारो ध्यान कोन्अ रखाण्यो।’
44“फेर वे उन्अ बुज्अला, ‘परबु, म्हे थन्अ कद्या भूखो, तसायो, अण्जाण, नातकणो, बेमार या बन्दी देख्या अर थारी सेवा कोन्अ कर्या।’
45“फेर वो जुवाब मं वान्अ खेवलो, ‘म थान्अ सांची खेर्यो छु ज्दया बी थे म्हारा भोळा-ढाळा भाया मंसुं एक बेई बी कोई-कांई करबा मं आळस कर्या तो वो थे म्हारअ बेई ही कोई-कांई करबा मं आळस कर्या छा।’
46“फेर वे बरा मनख सदामेस की सज्या पावला अर धरमी मनख सदामेस की जन्दगी मं चल जावला।”
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