लूका 12
12
फरीसियाँ के जस्या कपटी मती बणो
(मत्ती 10:26–27)
1 #
मत्ती 16:6; मर 8:15 पसे जद्याँ हजारो मनक भेळा वेग्या हा अन अटा तईं के, मनक एक-दूँजा के ऊपरे पड़रिया हा, तद्याँ ईसू आपणाँ चेलाऊँ क्यो के, “फरीसियाँ का कपट रूपी हाज्याऊँ बंचन रेवो। 2#मर 4:22; लूका 8:17कई भी छाने ने हे ज्यो परगट ने किदो जाई अन ने कई ढाक्यो तको हे ज्यो चोड़े ने किदो जाई। 3अणी वाते ज्यो कई थाँ अन्दारा में क्यो हे। वो उजिता में हुण्यो जाई। अन ज्यो थाँ ओवरा में छाने-छाने किंका कान्दड़ा में क्यो हो, वींने मेड़्या पूँ हाराई का हामे घोसित किदो जाई।”
खाली परमेसरऊँ दरपो
(मत्ती 10:28–31)
4“पण, हो मारा हण्डाळ्याँ, मूँ थाँकाऊँ कूँ हूँ के, वाँकाऊँ मती दरपो, जी खाली थाँकी देह को नास कर सके हे। पण, वींका केड़े वीं कई ने कर सके हे, वाँकाऊँ दरपो मती। 5मूँ थाँने बताऊँ हूँ के, थाँने बेस परमेसरऊँ दरपणो छावे। ज्यो मारन नरक में नाकबा की तागत राके हे। 6कई दो प्यईसा की पाँच सरकल्या ने वके हे? पछे भी परमेसर वाकामूँ एक ने भी ने भूले हे। 7अन देको, थाँका माता का एक-एक बाल तक गण्या तका हे। अणी वाते दरपो मती। थाँ तो नरी सरकल्याऊँ घणा किमती हो।”
ईसू का नामऊँ हरमावो मती
(मत्ती 10:32–33; 12:32; 10:19–20)
8“मूँ थाँकाऊँ केवूँ हूँ, ज्यो कुई मनकाँ का हामे मने मान लेई वाँने मूँ मनक को पूत परमेसर का हरग-दुताँ का हामे मान लेऊँ। 9पण, ज्यो मनकाँ का हामे मने ने माने हे, वाँने भी परमेसर का हरग-दुताँ का हामे ने मान्यो जाई। 10#मत्ती 12:32; मर 3:29ज्यो कुई मूँ मनक का पूत का विरोद में कई गलती करी, वींकी गलती माप किदी जाई, पण ज्यो कुई पुवितर आत्मा का विरोद में कई गलती करी, तो वींने कदी माप ने किदो जाई।
11 #
मत्ती 10:19,20; मर 13:11; लूका 21:14,15 “जद्याँ मनक थाँने यहूदी पंचात में, हाकम का हामे अन अदिकारियाँ का हामे लेजाई, तो चन्ता मती करज्यो के, थाँ आपणो बचाव कस्यान करो कन थाँने कई केणो पड़ी। 12काँके पुवितर आत्मा थाँने हिकाई के, वणी टेम थाँने कई केणो हे।”
हवारती का वाते चेतावणी
13पसे लोग-बागाँ की भीड़ मेंऊँ एक जणे ईसुऊँ क्यो, “ओ गरुजी, थाँ मारा भईऊँ केवो के, मारा बाप की धन-दोलत को बटवारो कर दे।”
14ईसू वींने क्यो, “अरे भला मनक, मने थाँको न्याव कन बटवारो करबावाळो कणी बणायो हे?” 15अन वणा ओरी भी क्यो, “हेंचेत रेवो अन हारी तरियाँ का लोब-लाळचऊँ आपणाँ खुद ने बचान राको, काँके कणी को जीवन वींकी धन-दोलतऊँ बड़न ने वेवे हे।”
16पसे ईसू वाँकाऊँ एक केणी की के, “कणी धनवान के हव हाक पेदा वी। 17जद्याँ वो आपणाँ मन में बच्यार करबा लागो के, ‘मूँ कई करूँ। काँके मारा अटे जगाँ ने हे। जटे मारी हाक ने मेलू।’ 18पसे वणी मनक क्यो, ‘मूँ ओ करूँ हूँ के, मारी बकारियाँ ने तोड़न मोटी वणाऊँ, अन पसे वाँमें हारी हाक अन दूजी हारी चिजाँ मेलू। 19अन आपणी आत्माऊँ केवूँ के, “आत्मा, थाँरा पा घणा वरा का वाते धन-दोलत हे। आणन्द का हाते खा अन पीं अन राजी-खुसी रे।” ’ 20पण, परमेसर वणीऊँ क्यो, ‘ए वेण्डा मनक, अणी रातेईस थूँ मर जाई। जो कई भी थें भेळो किदो हे। वो किंको रेई?’ 21अणीस तरियाँ अस्याईस वीं मनक भी हे, जी आपणाँ वाते धन-दोलत भेळी करे हे, पण परमेसर की देकणी में वो धनवान ने हे।”
परमेसरऊँ मोटो कुई भी ने हे
(मत्ती 6:25–34)
22पसे ईसू आपणाँ चेलाऊँ क्यो, ईं वाते मूँ थाँकाऊँ केवूँ हूँ के, आपणाँ जीव की चन्ता-फिकर मती करज्यो के, “आपाँ कई खावा? आपाँ कई पेरो? 23काँके खाणाऊँ जीव अन कपड़ाऊँ सरीर घणो खास हे। 24कागला पे ज्यान दो के, वी ने तो कई बावे हे, अन ने काटे हे अन ने वाँका नके बकारिया वेवे हे, तुई परमेसर वाँने पाळे हे। पण थाँको मोल तो जीव-जनावराऊँ घणो हेलो हे। 25थाकामूँ कूण अस्यो हे? ज्यो चन्ता करन आपणी उमर में एक घड़ी भी बढा सके हे। 26अणी वाते यद्याँ थाँ हाराऊँ फोरा काम ने भी ने कर सको हो, तो दूजी बाताँ का वाते, कई लेबा चन्ता-फिकर करो हे? 27काकड़ का फुल पे ज्यान दो के, वी कस्यान मोटा वेवे हे? वी ने तो काम करे हे। अन नेई काते हे। तद्याँ भी मूँ थाँकाऊँ केवूँ हूँ के, सुलेमान भी आपणाँ हाराई वेभव में वणाऊँ कणी एक तरिया गाबा ने पेरी राक्या हा। 28ईं वाते यद्याँ परमेसर काकड़ का फुल ने जी आज हे अन ज्याँने काले बाळ दिदा जाई। वाँने अस्यो पेरावो पेरावे हे, तो हो कम विस्वासवाळा मनकाँ, वीं थाँकी देक-रेक काँ ने करी? 29अन थाँ ईं बात की खोज में मती रेवो के, कई खावा अन कई पिवाँ अन नेई ईंका बारा में होचन चन्ता करो। 30काँके दनियाँ की हाराई मनक जी परमेसर ने ने माने हे, वीं अणा हारी चिजाँ की खोज में रेवे हे अन थाँका बापू परमेसर जाणे हे के, थाँने अणा चिजाँ की जरूत हे। 31पण, थाँ परमेसर का राज की खोज में रेवो। तो ईं हारी चिजाँ भी थाँने मल जाई।”
धन-दोलत को भरोसो ने करणो
(मत्ती 6:19–21)
32“ओ नाना गारा, दरपो मती। काँके थाँरा बापू ने यो हव लागो हे के, थाँने राज देवे। 33ईं वाते आपणी धन-दोलत ने बेचन दान कर दो अन आपणाँ वाते अस्या खुल्या वणावो, जी जूना ने वेवे हे। हरग में अस्यो धन भेळो करो, ज्यो ने घटे अन नेई कुई वींको नकसाण कर सके हे अन नेई वटे कुई चोर जा सके हे अन ने वटे किड़ा लागे हे। 34काँके जटे थाँकी धन-दोलत वेई, वटे थाँको मन लाग्यो रेई।
हमेस्यान त्यारी के हाते रेवो
35 #
मत्ती 25:1–13
“ज्यो कई भी काम आवे वींने करबा का वाते त्यार रेवो अन थाँका दिवा बळता रेवे। 36#मर 13:34–36अन थाँ वणा मनकाँ की तरिया बणो, जी आपणाँ मालिक की वाट नाळरिया वे के, वो ब्यावऊँ कदी घरे आई। जद्याँ अईन कँवाड़ वजाई, तो तरत वींका वाते खोल देवाँ। 37धन्न हे वीं दास, जणा ने मालिक जागता तका अन त्यार देके। मूँ थाँकाऊँ हाचेई केवूँ हूँ के, वो भी त्यार वेन वाँने जीमबा का वाते बेवाड़ी अन नके आन वाँकी सेवा-चाकरी करी। 38यद्याँ वी रात में दूजाँ पेर कन तीजा पेर में आन वाँने जागता देके, तो वी दास धन्न हे। 39#मत्ती 24:43,44पण, थाँ यो ज्यान राको के, यद्याँ घर को मालिक जाणतो के, चोर कणी घड़ी आई, तो वो जागता रेवे अन आपणाँ घर में चोरी ने वेवा देतो। 40अन थाँ भी त्यार रेवो, काँके जणी टेम थाँ होचो भी कोयने, वणी टेम मूँ मनक को पूत अई जाऊँ।”
विस्वास के जोगो दास कूण
(मत्ती 24:45–51)
41जद्याँ पतरस ईसुऊँ पूँछ्यो, “ओ परबू, कई या केणी थाँ माँकाऊँ कन सबाऊँ केवो हे?”
42परबू क्यो, “हमजदार अन विस्वास जोगो दास कूण हे? जिंने वींको मालिक वींने नोकर-चाकर का ऊपरे हाकम ठेरावे के, वाँने टेम-टेम पे तनका देवे। 43धन्न हे वी दास, ज्याँने वाँको मालिक आन अस्यानीस करता देके। 44मूँ थाँकाऊँ हाचेई केवूँ हूँ, वो वींने आपणी हारी दोलत का ऊपरे हाकम बणाई। 45पण, यद्याँ वी दास होचबा लाग जावे के, ‘माँके मालिक के आबा में आलतरे टेम हे,’ अन नोकर-चाकर ने मारबा-कुटबा अन खाबा-पिबा अन नसा में धुत वेवा लागे। 46तो वणी दास को मालिक अस्या दन आ जाई के, वो वींकी वाट ने नाळतो वेई अन अस्यी टेम जिंने वो जाणतो भी ने वेई, वीं टेम वो अई जाई। अन मालिक वींने टुका-टुका कर देई अन वींने बना विस्वास करबावाळा का बसमें राक देई।”
47वी दास जी आपणाँ मालिक की मरजी ने जाणे हे अन त्यार ने रिया अन ने वींकी मरजी का जस्यान चाल्या, वी घणी बुरी तरिया मारिया जाई। 48अन जणी दास मार खावा को काम किदो, पण मालिक की मरजीऊँ अणजाण हो तो, वो कम मार खाई। ईं वाते ज्याँने हेलो दिदो ग्यो हे, वाँकाऊँ हेलो माँग्यो जाई अन ज्याँने हेलाऊँ हेलो हूँप्यो ग्यो हे, वाँकाऊँ घणो हेलो लिदो जाई।
फुट को कारण
(मत्ती 10:34–36)
49ईसू क्यो, “मूँ धरती पे वादी लगाबा ने आयो हूँ अन मूँ छावूँ हूँ? बेस, यो के, वादी अबाणूई लाग जावे। 50#मर 10:38मने एक कल्डा बतिस्मा की टेम में वेन जाणो अन जद्याँ तईं ओ पूरो ने वे जावे, तद्याँ तईं मने आराम ने मली। 51कई थाँ यो होचो हो के, मूँ धरती पे मेल-मिलाप करबा आयो हूँ। मूँ थाँकाऊँ केवूँ हूँ, मेल करावा ने पण, फुट नाकबा आयो हूँ। 52अबेऊँ एक घर में पाँच जणा एक-दूजाऊँ विरोद राकी। तीन जणा दो जणाऊँ अन दो जणा तीन जणाऊँ। 53बाप बेटाऊँ अन बेटो बापऊँ विरोद राकी। बई बेटीऊँ अन बेटी बईऊँ अन हवजी लाड़ीऊँ अन लाड़ी हवजीऊँ विरोद राकी।”
बुरा टेम की ओळकाण
(मत्ती 16:2–3)
54ईसू लोग-बागाँ की भीड़ऊँ क्यो, “जद्याँ थाँ वादळा ने आतमणी आड़ीऊँ आता देको, तो थाँ तरत केवो हो के, ‘बरका आई’ अन अस्योईस वेवे हे। 55जद्याँ थाँ लंकव आड़ीऊँ वइरो चाले हे, तो केबा लागो हो के, ‘लूँ वाजी’ अन अस्योईस वेवे हे। 56ओ कपटी मनकाँ, थाँ धरती अन आकास का रूप को अरत को भेद करणो जाणो हो, पण ईं टेम का बारा में भेद करणो काँ ने जाणो हो?”
57ईसू हेंचेत करता रेवे हे के, “थाँ खुदई जाणो लो के, हाँच कई हे? 58जद्याँ थूँ आपणाँ विरोदी का हाते कोरट में जारियो हे। तो थूँ गेला मेंईस वणीऊँ हमजोतो करबा की कोसीस करले। कटे अस्यान ने वेवे के, वी थने कोरट का हाकम का नके जबरदस्ती ले जावे अन हाकम थने सपई ने हूँपे अन सपई थने जेळ में नाक देई। 59मूँ थाँकाऊँ हाचेई कूँ हूँ के, जद्याँ तईं थाँ जुरमाना की पई-पई ने दी देवो, वतरे थाँ वटाऊँ छुट ने सको।”
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लूका 12: एम टी आर
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लूका 12
12
फरीसियाँ के जस्या कपटी मती बणो
(मत्ती 10:26–27)
1 #
मत्ती 16:6; मर 8:15 पसे जद्याँ हजारो मनक भेळा वेग्या हा अन अटा तईं के, मनक एक-दूँजा के ऊपरे पड़रिया हा, तद्याँ ईसू आपणाँ चेलाऊँ क्यो के, “फरीसियाँ का कपट रूपी हाज्याऊँ बंचन रेवो। 2#मर 4:22; लूका 8:17कई भी छाने ने हे ज्यो परगट ने किदो जाई अन ने कई ढाक्यो तको हे ज्यो चोड़े ने किदो जाई। 3अणी वाते ज्यो कई थाँ अन्दारा में क्यो हे। वो उजिता में हुण्यो जाई। अन ज्यो थाँ ओवरा में छाने-छाने किंका कान्दड़ा में क्यो हो, वींने मेड़्या पूँ हाराई का हामे घोसित किदो जाई।”
खाली परमेसरऊँ दरपो
(मत्ती 10:28–31)
4“पण, हो मारा हण्डाळ्याँ, मूँ थाँकाऊँ कूँ हूँ के, वाँकाऊँ मती दरपो, जी खाली थाँकी देह को नास कर सके हे। पण, वींका केड़े वीं कई ने कर सके हे, वाँकाऊँ दरपो मती। 5मूँ थाँने बताऊँ हूँ के, थाँने बेस परमेसरऊँ दरपणो छावे। ज्यो मारन नरक में नाकबा की तागत राके हे। 6कई दो प्यईसा की पाँच सरकल्या ने वके हे? पछे भी परमेसर वाकामूँ एक ने भी ने भूले हे। 7अन देको, थाँका माता का एक-एक बाल तक गण्या तका हे। अणी वाते दरपो मती। थाँ तो नरी सरकल्याऊँ घणा किमती हो।”
ईसू का नामऊँ हरमावो मती
(मत्ती 10:32–33; 12:32; 10:19–20)
8“मूँ थाँकाऊँ केवूँ हूँ, ज्यो कुई मनकाँ का हामे मने मान लेई वाँने मूँ मनक को पूत परमेसर का हरग-दुताँ का हामे मान लेऊँ। 9पण, ज्यो मनकाँ का हामे मने ने माने हे, वाँने भी परमेसर का हरग-दुताँ का हामे ने मान्यो जाई। 10#मत्ती 12:32; मर 3:29ज्यो कुई मूँ मनक का पूत का विरोद में कई गलती करी, वींकी गलती माप किदी जाई, पण ज्यो कुई पुवितर आत्मा का विरोद में कई गलती करी, तो वींने कदी माप ने किदो जाई।
11 #
मत्ती 10:19,20; मर 13:11; लूका 21:14,15 “जद्याँ मनक थाँने यहूदी पंचात में, हाकम का हामे अन अदिकारियाँ का हामे लेजाई, तो चन्ता मती करज्यो के, थाँ आपणो बचाव कस्यान करो कन थाँने कई केणो पड़ी। 12काँके पुवितर आत्मा थाँने हिकाई के, वणी टेम थाँने कई केणो हे।”
हवारती का वाते चेतावणी
13पसे लोग-बागाँ की भीड़ मेंऊँ एक जणे ईसुऊँ क्यो, “ओ गरुजी, थाँ मारा भईऊँ केवो के, मारा बाप की धन-दोलत को बटवारो कर दे।”
14ईसू वींने क्यो, “अरे भला मनक, मने थाँको न्याव कन बटवारो करबावाळो कणी बणायो हे?” 15अन वणा ओरी भी क्यो, “हेंचेत रेवो अन हारी तरियाँ का लोब-लाळचऊँ आपणाँ खुद ने बचान राको, काँके कणी को जीवन वींकी धन-दोलतऊँ बड़न ने वेवे हे।”
16पसे ईसू वाँकाऊँ एक केणी की के, “कणी धनवान के हव हाक पेदा वी। 17जद्याँ वो आपणाँ मन में बच्यार करबा लागो के, ‘मूँ कई करूँ। काँके मारा अटे जगाँ ने हे। जटे मारी हाक ने मेलू।’ 18पसे वणी मनक क्यो, ‘मूँ ओ करूँ हूँ के, मारी बकारियाँ ने तोड़न मोटी वणाऊँ, अन पसे वाँमें हारी हाक अन दूजी हारी चिजाँ मेलू। 19अन आपणी आत्माऊँ केवूँ के, “आत्मा, थाँरा पा घणा वरा का वाते धन-दोलत हे। आणन्द का हाते खा अन पीं अन राजी-खुसी रे।” ’ 20पण, परमेसर वणीऊँ क्यो, ‘ए वेण्डा मनक, अणी रातेईस थूँ मर जाई। जो कई भी थें भेळो किदो हे। वो किंको रेई?’ 21अणीस तरियाँ अस्याईस वीं मनक भी हे, जी आपणाँ वाते धन-दोलत भेळी करे हे, पण परमेसर की देकणी में वो धनवान ने हे।”
परमेसरऊँ मोटो कुई भी ने हे
(मत्ती 6:25–34)
22पसे ईसू आपणाँ चेलाऊँ क्यो, ईं वाते मूँ थाँकाऊँ केवूँ हूँ के, आपणाँ जीव की चन्ता-फिकर मती करज्यो के, “आपाँ कई खावा? आपाँ कई पेरो? 23काँके खाणाऊँ जीव अन कपड़ाऊँ सरीर घणो खास हे। 24कागला पे ज्यान दो के, वी ने तो कई बावे हे, अन ने काटे हे अन ने वाँका नके बकारिया वेवे हे, तुई परमेसर वाँने पाळे हे। पण थाँको मोल तो जीव-जनावराऊँ घणो हेलो हे। 25थाकामूँ कूण अस्यो हे? ज्यो चन्ता करन आपणी उमर में एक घड़ी भी बढा सके हे। 26अणी वाते यद्याँ थाँ हाराऊँ फोरा काम ने भी ने कर सको हो, तो दूजी बाताँ का वाते, कई लेबा चन्ता-फिकर करो हे? 27काकड़ का फुल पे ज्यान दो के, वी कस्यान मोटा वेवे हे? वी ने तो काम करे हे। अन नेई काते हे। तद्याँ भी मूँ थाँकाऊँ केवूँ हूँ के, सुलेमान भी आपणाँ हाराई वेभव में वणाऊँ कणी एक तरिया गाबा ने पेरी राक्या हा। 28ईं वाते यद्याँ परमेसर काकड़ का फुल ने जी आज हे अन ज्याँने काले बाळ दिदा जाई। वाँने अस्यो पेरावो पेरावे हे, तो हो कम विस्वासवाळा मनकाँ, वीं थाँकी देक-रेक काँ ने करी? 29अन थाँ ईं बात की खोज में मती रेवो के, कई खावा अन कई पिवाँ अन नेई ईंका बारा में होचन चन्ता करो। 30काँके दनियाँ की हाराई मनक जी परमेसर ने ने माने हे, वीं अणा हारी चिजाँ की खोज में रेवे हे अन थाँका बापू परमेसर जाणे हे के, थाँने अणा चिजाँ की जरूत हे। 31पण, थाँ परमेसर का राज की खोज में रेवो। तो ईं हारी चिजाँ भी थाँने मल जाई।”
धन-दोलत को भरोसो ने करणो
(मत्ती 6:19–21)
32“ओ नाना गारा, दरपो मती। काँके थाँरा बापू ने यो हव लागो हे के, थाँने राज देवे। 33ईं वाते आपणी धन-दोलत ने बेचन दान कर दो अन आपणाँ वाते अस्या खुल्या वणावो, जी जूना ने वेवे हे। हरग में अस्यो धन भेळो करो, ज्यो ने घटे अन नेई कुई वींको नकसाण कर सके हे अन नेई वटे कुई चोर जा सके हे अन ने वटे किड़ा लागे हे। 34काँके जटे थाँकी धन-दोलत वेई, वटे थाँको मन लाग्यो रेई।
हमेस्यान त्यारी के हाते रेवो
35 #
मत्ती 25:1–13
“ज्यो कई भी काम आवे वींने करबा का वाते त्यार रेवो अन थाँका दिवा बळता रेवे। 36#मर 13:34–36अन थाँ वणा मनकाँ की तरिया बणो, जी आपणाँ मालिक की वाट नाळरिया वे के, वो ब्यावऊँ कदी घरे आई। जद्याँ अईन कँवाड़ वजाई, तो तरत वींका वाते खोल देवाँ। 37धन्न हे वीं दास, जणा ने मालिक जागता तका अन त्यार देके। मूँ थाँकाऊँ हाचेई केवूँ हूँ के, वो भी त्यार वेन वाँने जीमबा का वाते बेवाड़ी अन नके आन वाँकी सेवा-चाकरी करी। 38यद्याँ वी रात में दूजाँ पेर कन तीजा पेर में आन वाँने जागता देके, तो वी दास धन्न हे। 39#मत्ती 24:43,44पण, थाँ यो ज्यान राको के, यद्याँ घर को मालिक जाणतो के, चोर कणी घड़ी आई, तो वो जागता रेवे अन आपणाँ घर में चोरी ने वेवा देतो। 40अन थाँ भी त्यार रेवो, काँके जणी टेम थाँ होचो भी कोयने, वणी टेम मूँ मनक को पूत अई जाऊँ।”
विस्वास के जोगो दास कूण
(मत्ती 24:45–51)
41जद्याँ पतरस ईसुऊँ पूँछ्यो, “ओ परबू, कई या केणी थाँ माँकाऊँ कन सबाऊँ केवो हे?”
42परबू क्यो, “हमजदार अन विस्वास जोगो दास कूण हे? जिंने वींको मालिक वींने नोकर-चाकर का ऊपरे हाकम ठेरावे के, वाँने टेम-टेम पे तनका देवे। 43धन्न हे वी दास, ज्याँने वाँको मालिक आन अस्यानीस करता देके। 44मूँ थाँकाऊँ हाचेई केवूँ हूँ, वो वींने आपणी हारी दोलत का ऊपरे हाकम बणाई। 45पण, यद्याँ वी दास होचबा लाग जावे के, ‘माँके मालिक के आबा में आलतरे टेम हे,’ अन नोकर-चाकर ने मारबा-कुटबा अन खाबा-पिबा अन नसा में धुत वेवा लागे। 46तो वणी दास को मालिक अस्या दन आ जाई के, वो वींकी वाट ने नाळतो वेई अन अस्यी टेम जिंने वो जाणतो भी ने वेई, वीं टेम वो अई जाई। अन मालिक वींने टुका-टुका कर देई अन वींने बना विस्वास करबावाळा का बसमें राक देई।”
47वी दास जी आपणाँ मालिक की मरजी ने जाणे हे अन त्यार ने रिया अन ने वींकी मरजी का जस्यान चाल्या, वी घणी बुरी तरिया मारिया जाई। 48अन जणी दास मार खावा को काम किदो, पण मालिक की मरजीऊँ अणजाण हो तो, वो कम मार खाई। ईं वाते ज्याँने हेलो दिदो ग्यो हे, वाँकाऊँ हेलो माँग्यो जाई अन ज्याँने हेलाऊँ हेलो हूँप्यो ग्यो हे, वाँकाऊँ घणो हेलो लिदो जाई।
फुट को कारण
(मत्ती 10:34–36)
49ईसू क्यो, “मूँ धरती पे वादी लगाबा ने आयो हूँ अन मूँ छावूँ हूँ? बेस, यो के, वादी अबाणूई लाग जावे। 50#मर 10:38मने एक कल्डा बतिस्मा की टेम में वेन जाणो अन जद्याँ तईं ओ पूरो ने वे जावे, तद्याँ तईं मने आराम ने मली। 51कई थाँ यो होचो हो के, मूँ धरती पे मेल-मिलाप करबा आयो हूँ। मूँ थाँकाऊँ केवूँ हूँ, मेल करावा ने पण, फुट नाकबा आयो हूँ। 52अबेऊँ एक घर में पाँच जणा एक-दूजाऊँ विरोद राकी। तीन जणा दो जणाऊँ अन दो जणा तीन जणाऊँ। 53बाप बेटाऊँ अन बेटो बापऊँ विरोद राकी। बई बेटीऊँ अन बेटी बईऊँ अन हवजी लाड़ीऊँ अन लाड़ी हवजीऊँ विरोद राकी।”
बुरा टेम की ओळकाण
(मत्ती 16:2–3)
54ईसू लोग-बागाँ की भीड़ऊँ क्यो, “जद्याँ थाँ वादळा ने आतमणी आड़ीऊँ आता देको, तो थाँ तरत केवो हो के, ‘बरका आई’ अन अस्योईस वेवे हे। 55जद्याँ थाँ लंकव आड़ीऊँ वइरो चाले हे, तो केबा लागो हो के, ‘लूँ वाजी’ अन अस्योईस वेवे हे। 56ओ कपटी मनकाँ, थाँ धरती अन आकास का रूप को अरत को भेद करणो जाणो हो, पण ईं टेम का बारा में भेद करणो काँ ने जाणो हो?”
57ईसू हेंचेत करता रेवे हे के, “थाँ खुदई जाणो लो के, हाँच कई हे? 58जद्याँ थूँ आपणाँ विरोदी का हाते कोरट में जारियो हे। तो थूँ गेला मेंईस वणीऊँ हमजोतो करबा की कोसीस करले। कटे अस्यान ने वेवे के, वी थने कोरट का हाकम का नके जबरदस्ती ले जावे अन हाकम थने सपई ने हूँपे अन सपई थने जेळ में नाक देई। 59मूँ थाँकाऊँ हाचेई कूँ हूँ के, जद्याँ तईं थाँ जुरमाना की पई-पई ने दी देवो, वतरे थाँ वटाऊँ छुट ने सको।”
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