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हुज़ूर ईसा की आज़माइश
1फिर हुज़ूर ईसा पाक रूह की हिदायत से ब्याबान में गये ताके इब्लीस उन्हें आज़माये।#4:1 आज़माये यूनानी ज़बान में इस लफ़्ज़ के मानी जांच भी होता है। 2चालीस दिन और चालीस रात रोज़े रखने के बाद हुज़ूर ईसा को भूक लगी। 3तब आज़माइश करने वाले ने आप के पास आकर कहा, “अगर आप ख़ुदा का बेटा हो तो इस पत्थरों से कहें के रोटियां बन जायें।”
4हुज़ूर ईसा ने जवाब दिया, “यह लिख्खा है: ‘इन्सान सिर्फ़ रोटी ही से नहीं लेकिन ख़ुदा के मुंह से निकलने वाले हर कलाम से ज़िन्दा रहता है।’#4:4 इस्त 8:3”
5फिर इब्लीस उन्हें मुक़द्दस शहर में ले गया और बैतुलमुक़द्दस के सब से ऊंचे मक़ाम पर खड़ा कर के आप से कहा। 6“अगर आप ख़ुदा का बेटा हो, तो यहां से, अपने को नीचे गिरा दें। क्यूंके लिख्खा है:
“ ‘वह तुम्हारे मुतअल्लिक़ अपने फ़रिश्तों को हुक्म देगा,
और वह आप को अपने हाथों पर उठा लेंगे,
ताके आप के पांव को किसी पत्थर से ठेस न लगने पाये।’#4:6 ज़बूर 91:11, 12”
7लेकिन हुज़ूर ईसा ने जवाब दिया, “ये भी तो लिख्खा है: ‘तुम ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की आज़माइश न करो।’#4:7 इस्त 6:16”
8फिर, इब्लीस उन्हें एक बहुत ऊंचे पहाड़ पर ले गया और दुनिया की तमाम सल्तनतें और उन की शान-ओ-शौकत हुज़ूर को दिखाई और कहा, 9“अगर तुम मुझे झुक कर सज्दा करो तो मैं ये सब कुछ तुम्हें दे दूंगा।”
10हुज़ूर ईसा ने जवाब में उस से कहा, “ऐ शैतान! मुझ से दूर हो जा, क्यूंके लिख्खा है: ‘तू अपने ख़ुदावन्द ख़ुदा ही को सज्दा कर, और सिर्फ़ उसी की ख़िदमत कर।’#4:10 इस्त 6:13”
11फिर इब्लीस उन्हें छोड़कर चला गया और फ़रिश्ते आकर हुज़ूर ईसा की ख़िदमत करने लगे।
सूबे गलील में हुज़ूर ईसा की तब्लीग़ी ख़िदमत का आग़ाज़
12जब हुज़ूर ईसा ने सुना के हज़रत यहया को क़ैद कर लिया गया है तो वह सूबे गलील को रवाना हुए। 13और नासरत को छोड़कर, कफ़रनहूम में जा कर रहने लगे जो झील के किनारे ज़बूलून और नफ़्ताली के इलाक़े में है। 14ताके जो बात हज़रत यसायाह नबी की मारिफ़त से कही गई थी, पूरी हो जाये।
15“ज़बूलून और नफ़्ताली के ज़मीनी इलाक़े,
समुन्दरी शाहराह, यरदन के उस पार,
और ग़ैरयहूदियों की सूबे गलील।
16जो लोग अन्धेरे में ज़िन्दगी गुज़ारते थे
उन्होंने एक बड़ी रोशनी देखी;
और जो लोग मौत के साये के मुल्क में ज़िन्दगी गुज़ार रहे थे
उन पर एक नूर आ चमका।”#4:16 यसा 9:1, 2
17उस वक़्त से हुज़ूर ईसा ने ये मुनादी शुरू कर दी, “तौबा करो क्यूंके आसमान की बादशाही नज़दीक आ गई है।”
पहले चार शागिर्दों का बुलाया जाना
18एक दिन सूबे गलील की झील के किनारे चलते हुए हुज़ूर ईसा ने दो भाईयों को, यानी शमऊन को जो पतरस कहलाते हैं और उन के भाई अन्द्रियास को देखा। यह दोनों उस वक़्त झील में जाल डाल रहे थे, क्यूंके उन का पेशा ही मछली पकड़ना था। 19हुज़ूर ईसा ने उन से फ़रमाया, “मेरे, पीछे चले आओ, तो मैं तुम्हें आदमगीर बनाऊंगा।” 20वह उसी वक़्त अपने जाल छोड़कर आप के हमनवा होकर पीछे हो लिये।
21जब हुज़ूर थोड़ा और आगे बढ़े तो आप ने दो और भाईयों, ज़ब्दी के बेटे याक़ूब और उन के भाई यूहन्ना को देखा, दोनों अपने बाप ज़ब्दी के साथ कश्ती में जालों की मरम्मत कर रहे थे। हुज़ूर ईसा ने उन्हें बुलाया, 22और वह भी एक दम कश्ती और अपने बाप को छोड़कर हुज़ूर के पीछे चल दिये।
हुज़ूर ईसा बीमारों को शिफ़ा बख़्शना
23हुज़ूर ईसा सारे सूबे गलील में जा कर उन के यहूदी इबादतगाहों में तालीम देते और आसमानी बादशाही की ख़ुशख़बरी की मुनादी करते रहे और लोगों के दरमियान हर क़िस्म की बीमारी और कमज़ोरियों को शिफ़ा बख़्शते रहे। 24और हुज़ूर की शौहरत तमाम सीरिया में फैल गई और लोग सब मरीज़ों को जो तरह-तरह की बीमारीयों और तकालीफ़ में मुब्तिला थे, जिन में बदरूहें थीं, और मिर्गी के मरीज़ों को और मफ़्लूजों को हुज़ूर ईसा के पास लाते थे और हुज़ूर सब को शिफ़ा बख़्शते थे। 25और सूबे गलील, दिकपुलिस#4:25 यानी दस शहर यरूशलेम, यहूदिया और दरया-ए-यरदन पार के इलाक़ों से लोगों का एक बड़ा हुजूम हुज़ूर ईसा के पीछे चला जा रहा था।