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हुज़ूर ईसा का सबत के दिन शिफ़ा बख़्शना
1फिर से हुज़ूर ईसा यहूदी इबादतगाह में दाख़िल हुए और वहां, एक आदमी था जिस का एक हाथ सूखा हुआ था। 2और फ़रीसी हुज़ूर ईसा पर की ताक में थे इसलिये हुज़ूर को क़रीब से देखने लगे के अगर हुज़ूर सबत के दिन उस आदमी को शिफ़ा बख़्शते हैं तो वो हुज़ूर पर इल्ज़ाम लगा सकें। 3हुज़ूर ईसा ने उस सूखे हाथ वाले आदमी से कहा, “उठो और आकर सब के बीच में खड़े हो जाओ।”
4हुज़ूर ईसा ने उन से फ़रमाया, “सबत के दिन क्या करना रवा है: नेकी करना या बदी करना, जान बचाना या हलाक करना?” लेकिन वह ख़ामोश रहे।
5वह उन की सख़्त-दिली पर निहायत ही ग़मगीन हुए और, उन पर ग़ुस्से से नज़र कर के, हुज़ूर ईसा ने उस आदमी से कहा, “अपना हाथ बढ़ा।” उस ने जैसे ही हाथ आगे बढ़ाया उस का हाथ बिलकुल ठीक हो गया था। 6ये देखकर फ़रीसी फ़ौरन बाहर चले गये और हेरोदियों के साथ हुज़ूर ईसा को हलाक करने की साज़िश करने लगे।
हुजूम का हुज़ूर ईसा के पीछे चलन
7हुज़ूर ईसा अपने शागिर्दों के साथ झील की तरफ़ तशरीफ़ ले गये, और सूबे गलील और यहूदिया से लोगों का एक बड़ा हुजूम भी आप के पीछे चल रहा था। 8और यहूदिया, यरूशलेम, इदूमिया, दरया-ए-यरदन के पार और सूर और सैदा के इलाक़ों के लोग भी आ पहुंचे, क्यूंके उन्हें पता चला था के हुज़ूर ईसा बहुत बड़े-बड़े काम करते हैं। 9हुजूम को देखकर हुज़ूर ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा, मेरे लिये एक छोटी कश्ती तय्यार रखो लोग बहुत ही ज़्यादा हैं, कहीं ऐसा न हो के वह मुझे दबा दें। 10हुज़ूर ईसा ने बहुत से लोगों को शिफ़ा बख़्शी थी, लिहाज़ा जितने लोग बीमार थे आप को छूने की कोशिश में उन पर गिरे पड़ते थे। 11बदरूहें भी हुज़ूर ईसा को देखती थीं, उन के सामने गिरकर चलाने लगती थीं, “आप ख़ुदा के बेटे हैं।” 12हुज़ूर ईसा उन्हें सख़्त ताकीद की के वह दूसरों को उन के बारे में न बतायें।
हुज़ूर ईसा का बारह शागिर्दों का इन्तिख़ाब करना
13फिर हुज़ूर ईसा एक पहाड़ी पर चढ़ गये और वह जिन्हें चाहते थे, उन्हें अपने पास बुलाया और वह हुज़ूर के पास चले आये। 14हुज़ूर ईसा ने बारह को बतौर रसूल मुक़र्रर किया ताके वह उन के साथ रहें और वह उन्हें मुनादी करने के लिये भेजें 15और बदरूहों को निकालने का इख़्तियार हासिल हो।
16चुनांचे हुज़ूर ईसा ने इन बारह को मुक़र्रर किया:
शमऊन (जिसे हुज़ूर ईसा ने पतरस का नाम दिया),
17याक़ूब उस का भाई यूहन्ना जो ज़ब्दी के बेटे थे (हुज़ूर ईसा ने उन का तख़ल्लुस बुआनिरगिस यानी “रअद का बेटा रखा”),
18अन्द्रियास,
फ़िलिप्पुस और
बरतुल्माई,
मत्ती, और
तोमा,
हलफ़ई का बेटा याक़ूब और
तद्दी,
और शमऊन क़नानी#3:18 क़नानी ज़ेलोतेस भी कहते हैं।
19और यहूदाह इस्करियोती जिस ने हुज़ूर ईसा से दग़ाबाज़ी भी की थी।
हुज़ूर ईसा पर उन के अहल-ए-ख़ाना और उलमा का इल्ज़ाम लगाया जाना
20हुज़ूर ईसा एक घर में दाख़िल हुए, और वहां इस क़दर भेड़ लग गई के वह, और उन के शागिर्द खाना भी न खा सके। 21जब उन के अहल-ए-ख़ाना को ख़बर हुई तो वह हुज़ूर ईसा को अपने साथ ले जाने के लिये आये क्यूंके उन का कहना था, “हुज़ूर अलमसीह अपना ज़हनी तवाज़ुन खो बैठे हैं।”
22शरीअत के आलिम जो यरूशलेम से आये थे उन का कहना था, “हुज़ूर ईसा में बालज़बूल है! और ये भी के वह बदरूहों के रहनुमा की मदद से बदरूहों को निकालते हैं।”
23हुज़ूर ईसा उन्हें अपने पास बुलाकर उन से तम्सीलों में कहने लगे: “शैतान को ख़ुद शैतान ही निकाले ये कैसे हो सकता है? 24अगर किसी सल्तनत में फूट पड़ जाये, तो उस का वुजूद क़ाइम नहीं रह सकता। 25अगर किसी घर में फूट पड़ जाये, तो वह क़ाइम नहीं रह सकता। 26अगर शैतान अपने ही ख़िलाफ़ लड़ने लगे और उस के अपने अन्दर फूट पड़ जाये, तो वह भी क़ाइम नहीं रह सकता; बल्के उस का ख़ातिमा हो जायेगा। 27दर-हक़ीक़त, कोई शख़्स किसी ज़ोरआवर के घर में घुस कर उस का सामान नहीं लूट सकता जब तक के वह पहले उस ज़ोरआवर को बांध न ले। तब ही वह उस घर को लूट सकेगा। 28मैं तुम से सच कहता हूं, इन्सानों के सारे गुनाह और जितना कुफ़्र वह बकते हैं मुआफ़ किये जायेंगे, 29लेकिन पाक रूह के ख़िलाफ़ कुफ़्र बकने वाला एक अब्दी गुनाह का मुर्तकिब होता है; इसलिये वह हरगिज़ न बख़्शा जायेगा।”
30हुज़ूर ईसा का इशारा उन ही की तरफ़ था क्यूंके वह कहते थे, “हुज़ूर ईसा में एक बदरूह है।”
31फिर हुज़ूर ईसा की मां और उन के भाई आ गये और उन्होंने हुज़ूर ईसा को बाहर बुलवा भेजा। 32हुज़ूर के आस-पास बैठा था, लोगों ने हुज़ूर को ख़बर दी, “वह देखिये! आप की मां और आप के भाई और बहन बाहर खड़े हैं और आप से मुलाक़ात करना चाहते हैं।”
33“मेरी मां और मेरे भाई कौन हैं?” हुज़ूर ईसा ने जवाब दिया।
34हुज़ूर ईसा ने अपने इर्दगिर्द बैठे हुए लोगों पर नज़र डाली और फ़रमाया, “ये हैं मेरी मां और मेरे भाई और बहन! 35क्यूंके जो कोई ख़ुदा की मर्ज़ी पर चलता है वोही मेरा भाई, मेरी बहन और मेरी मां है।”