लूका 23
23
राजपाल पिलातस और हेरोदके आघे येशू
(मत्ती २७:११-२६; मर्कू. १५:१-१५; यूह. १८:२८-४०; १९:१-१६)
1सक्कु सभासदनके उठ्लाँ, और हुँकिन्हे राजपाल पिलातसके थेन नन्लाँ। 2ओइने येशूक उप्पर असिक कना आरोप लगाई लग्लाँ, “हमार मनैनहे रोमी सरकारके विरोध करक लग बहकैती हम्रे यी मनैयाहे भेटैली। और यी महाराजाहे कर तिर्नासे हम्रिहिन्हे रोकत, और यी अपनहे अप्निहीँ ‘ख्रीष्ट, रज्वा हुइतुँ।’ कहिके कहत हम्रे सुन्ली।” 3राजपाल पिलातस हुँकिन्हे पुँछल, “का तुँ यहूदिनके राजा हुइतो?” येशू जवाफ देलाँ, “अप्नि फेन असिक कहती।” 4तब् राजपाल पिलातस मुख्य पुजारीनहे और भीड़हे कहल, “मै यी मनैयकमे असिन कौनो दोष नै भेटैनु।” 5पर ओइने आकुर हिर्गर होके कहे कलाँ, “यी यहूदिया प्रदेशके सक्कु मनैनके बिच्चेम अपन शिक्षासे दंगा हुइना कारण बनता। यी गालील प्रदेश थेनसे सुरु करल, और आब यहाँ आगिल बा।” 6पर यी सुनके राजपाल पिलातस पुँछल, “का यी गालील प्रदेशमे रहुइया मनैया हो?” 7और जब येशू हेरोद रज्वक प्रदेशके मनैया हुइताँ कहिके राजपाल पिलातस पता पाइल, ते ऊ हुँकिन्हे हेरोद रज्वक थेन पठादेहल। काकरेकी वहे समयमे हेरोद रज्वा अप्ने फेन यरुशलेम शहरमे रहे।
येशूहे हेरोदके थेन पठैना
8आब येशूहे देख्के हेरोद गजब खुशी होगिल। काकरेकी ऊ हुँकार बारेमे सुन्लक ओहोँरसे बहुत्ते दिनसे हुँकिन्हे हेरना ओकर मन रहिस। और ऊ येशूहे कौनो शक्तिशाली काम कर्लक हेरना आशा करतेहे। 9ऊ हुँकिन्हे बहुत बात पुँछल। पर येशू उहिहे कुछु जवाफ नै देलाँ। 10पर मुख्य पुजारीनके और यहूदी कानुनके गुरुनके ठरह्याके हुँकिन्हे जबरजस्ती दोष लगाई लग्लाँ। 11हेरोद रज्वा अपन सिपाहिनसे मिलके हुँकार अपमान करल। और ओइने हुँकार गिल्ला करलाँ। ओकरपाछे ऊ हुँकिन्हे रज्वनके घल्ना लुग्गा घलाके राजपाल पिलातसके थेन फिर्ता करदेहल। 12उ समयसम हेरोद रज्वा और राजपाल पिलातसके दुश्मनी रहिन। पर वहे दिनसे ओइने दुनु जाने संघरिया बनगिलाँ।
राजपाल पिलातस येशूहे मृत्युदण्ड देहल
13तब राजपाल पिलातस मुख्य पुजारीनहे, शासकहुँक्रिहिन्हे और जनतनहे जमा करल। 14और ओइन्हे कहल, “तुहुरे यी मनैयाहे मोरिक थेन नन्लो, और कलो कि यी मनैया मनैनहे दंगा करक लग बहकाइतेहे। और हेरो, मै तोहाँरे सामने ओकर जाँच कर्नु। पर जोन बातके तुहुरे ओकर उप्पर दोष लगाइतो, उ बातके बारेमे मै ओकरमे कुछु फेन दोष नै भेटैनु। 15और हेरोद फेन ओकरमे दोष नै देखल। काकरेकी ऊ उहिहे हमार थेन फिर्ता करदेहल। और हेरो, यी मनैया मृत्युदण्ड पैना योग्यक कौनो फेन गलत काम नै करल हो। 16तबेकमारे मै यिहिहे कोर्रालेके पिट्वाके छोरदेबुँ।” 17निस्तार-तिहुवारके उपलक्ष्यमे राजपाल पिलातस यहूदिनके लग एकथो कैदीहे छोरदेहे। 18ओइने सक्कु जाने एक्के संग असिक कहिके चिल्लैलाँ, “यिहिहे हटादेऊ, और हमार लग बारब्बाहे छोरदेऊ।” 19बारब्बा भर शहरमे रहल कौनो विद्रोह और हत्यक आरोपमे कारागारमे थुनगिल रहे। 20येशूहे छोरदेना इच्छा करके राजपाल पिलातस फेनदोस्रे ओइन्हे सम्झाइल। 21पर ओइने असिक कती चिल्लैती रलाँ, “क्रूसमे टाँगो, उहिहे क्रूसमे टाँगो।” 22और ऊ तेसरचो ओइन्हे कहल, “काकरे? ऊ का अपराध कर्ले बा? मै ते यिहिहे मृत्युदण्ड देना कौनो कारण नै भेटैनु, तबेकमारे मै यिहिहे सजाई देके छोरदेबुँ।” 23पर ओइने महा जोर-जोरसे चिल्लैती हुँकिन्हे क्रूसमे टाँगेपरी कना माँग करे लग्लाँ। ओइन्के चित्कार सफल होगिलिन। 24और राजपाल पिलातस ओइन्के माँग पूरा करदेना फैसला सुनाइल। 25राजपाल पिलातस उ मनैयाहे छोरदेहल, जे विद्रोह और हत्यक अभियोगमे कारागारमे परल रहे। उहिहे छोरदेऊ कहिके ओइने माँग करतिहिँत। पर येशूहे ऊ ओइन्के इच्छामे सौँपदेहल।
येशूहे क्रूसमे टंग्लक
(मत्ती २७:३२-४४; मर्कू. १५:२१-३२; यूह. १९:१७-२७)
26ओइने येशूहे वहाँसे लैजाई बेर, गाउँमेसे अइति रहल सिमोन नाउँक कुरेन शहरके एकथो निवासीहे पकरलाँ। और क्रूस बोकाके उहिहे हुँकार पाछे-पाछे जाई लगैलाँ। 27और बहुत्ते मनै येशूक पाछे-पाछे जाइतिहिँत। और ओम्ने बहुत्ते जन्नी मनै फेन रहिँत, जेने येशूक लग छाती ठठाठठाके रुइतिहिँत। 28पर ओइन्के ओहोँर घुमके येशू कलाँ, “ए यरुशलेम शहरके छाइन, मोरिक लग ना रोऊ। पर तुहुरे अपन लग और अपन छाइछावनके लग रोऊ। 29काकरेकी उ दुःखके दिन आइतताँ। तबे मनै कहिहीँ, ‘धन्य हुइँत उ जन्नी मनै, जेनके कबु लरका नै रहिन, जेने कबु लरका नै पैलाँ, और जेने कबु ओइन्हे दूध नै पिवैलाँ।’ 30तब् उ समयमे मनै पहाड़हे कहिहीँ, ‘हमार उप्पर गिर और हम्रिहिन्हे टोपदे।’ 31यदि निर्दोष मनैयक संग फेन असिके हुइत कलेसे सोँचो कि उ मनैनके संग का हुइहिन, जेने यी दण्ड भेटैना लायकके बताँ?” 32तब् सिपाहिन दुईथो अपराधीनहे मृत्युदण्ड देहक लग येशूक संग लैगिलाँ, ताकि ओइन्हे फेन ओइने येशूक संग मृत्युदण्ड देहे सेकिँत। 33जब ओइने खप्परे कना ठाउँमे अइलाँ, तब् वहाँ ओइने हुँकिन्हे क्रूसमे टंग्लाँ। और उ अपराधीनमेसे एकथोहे येशूक दाहिन पाँजर और दोसुरहे बाउँ पाँजर क्रूसमे टंग्लाँ। 34और येशू कलाँ, “हे बाबा, यनहे माफ करदे, काकरेकी यने का करतताँ, उ नै जन्थाँ।” और ओइने हुँकार लुग्गा बखरा लगाके चिट्टा दरलाँ। 35मनै ठरह्याके हेरतिहिँत। शासकहुँक्रे हुँकार मजाक कर्ती कलाँ, “यी दोसुर जहनहे बँचाइल, यी परमेश्वरके ख्रीष्ट या हुँकार चुनल जन हो कलेसे यी अपनहे बँचाए।” 36सिपाहिनके फेन आके हुँकिन्हे सिर्का देती असिक कहिके हुँकार गिल्ला करलाँ, 37“यदि तैँ यहूदिनके रज्वा हुइते कलेसे अपनहे बँचा।” 38“यी यहूदिनके रज्वा हो” कहिके लिखल एकथो दोष-पत्र फेन हुँकार उप्पर टाँसल रहिन।
क्रूसमे पश्चाताप करुइया पापी
39क्रूसमे टाँगल अपराधीनमेसे एकथो अपराधी हुँकार बदनाम कर्ती कहल, “का तैँ ख्रीष्ट नै हुइते? तैँ अपनेहे और हम्रिहिन्हे बँचा।” 40पर दोसुर अपराधी उहिहे हप्काके कहल, “का तोरिकमे परमेश्वरके थोरचुन फेन डर नै हो? तैँ फेन ते वहे दण्ड भेटाइते। 41हमार लग यी दण्ड ठिके बा। काकरेकी हम्रिहिन्हे वहे मिलता, जोन हमार खराब कामके लग ठिक बा। पर यी मनैया ते कुछु फेन खराब काम नै करल हुइँत।” 42तब् ऊ कहल, “हे येशू, जब अप्नि अपन राजमे एकथो रज्वक रुपमे अइबी ते महिन्हे सम्झबी।” 43येशू उहिहे कलाँ, “जात्तिके मै तुहिहे कहतुँ, आझी तैँ मोरिक संग स्वर्गमे रबे।”
येशूक मृत्यु
(मत्ती २७:४५-५६; मर्कू. १५:३३-४१; यूह. १९:२८-३०)
44लगभग: दुपहरके बाह्र बजल रहे, तब तीन बजेसम सारा देशहे अंधार छोपदेहल। 45दिनके ओजरार कम होगिल और मन्दिरके पर्दा बिच्चेमसे फाटके दुई खण्डा होगिल। 46महा जोरसे चिल्लाके येशू कलाँ, “हे बाबा, मै मोरिक आत्मा तोरिक हाँथेम सौँपतु।” अतरा कहिके येशू अपन प्राण छोरदेलाँ। 47यी सक्कु घटना देख्के कप्तान असिक कती परमेश्वरके महिमा करल, “जात्तिके, यी धार्मिक मनैया रहे।” 48यी दृश्य हेरक लग जमा हुइल सक्कु मनै यी घटनाहे देख्के ओइने अपन-अपन छाती ठठैती अपन घरे घुमगिलाँ, यी देखाइक लग कि ओइने महा दुखि बताँ। 49पर हुँकार सक्कु संघरियन और गालील प्रदेशमेसे अइलक जन्नी मनै दूर ठरह्याके यी घटनाहे हेरतिहिँत।
येशूक दफनके काम
(मत्ती २७:५७-६१; मर्कू. १५:४२-४७; यूह. १९:३८-४२)
50योसेफ नाउँ रहल एकथो मजा और धार्मिक मनैया रहे। ऊ महासभक सदस्य फेन रहे। 51ऊ ओइन्के सल्लाहामे और काममे सहमति नै देहल रहे। ऊ यहूदिनके अरिमाथिया शहरके मनैया रहे। ऊ परमेश्वरके राजके डगर हेरतेहे। 52वहे राजपाल पिलातसके थेन जाके येशूक लाहाश माँगल। 53हुँकार लाहाशहे तरे नानके ओइने मलमलके लुग्गामे लपेट्लाँ। और चट्टानमे खोपके बनाइल एकथो चिहानमे धरलाँ, जहाँ कबु किहुहे नै धारल रहे। 54उ तयारीक दिन रहे, और बिँसैना दिन सुरु हुई लागल रहे। 55गालील प्रदेशमेसे हुँकार संग अउइया जन्नीन पाछे-पाछे गैलाँ। और उ चिहान हेरके हुँकार लाहाश कसिके धारगिल बतिन कहिके ओइने देख्लाँ। 56तब अपन घरे घुमके येशूक शरीरमे लगाइक लग ओइने सुगन्धित द्रव्य और बहुमूल्य महँकना तेल तयार करलाँ। और मोशक नियम कानुनके आज्ञा अनुसार बिँसैना दिनमे ओइने बिँसैला।
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राजपाल पिलातस और हेरोदके आघे येशू
(मत्ती २७:११-२६; मर्कू. १५:१-१५; यूह. १८:२८-४०; १९:१-१६)
1सक्कु सभासदनके उठ्लाँ, और हुँकिन्हे राजपाल पिलातसके थेन नन्लाँ। 2ओइने येशूक उप्पर असिक कना आरोप लगाई लग्लाँ, “हमार मनैनहे रोमी सरकारके विरोध करक लग बहकैती हम्रे यी मनैयाहे भेटैली। और यी महाराजाहे कर तिर्नासे हम्रिहिन्हे रोकत, और यी अपनहे अप्निहीँ ‘ख्रीष्ट, रज्वा हुइतुँ।’ कहिके कहत हम्रे सुन्ली।” 3राजपाल पिलातस हुँकिन्हे पुँछल, “का तुँ यहूदिनके राजा हुइतो?” येशू जवाफ देलाँ, “अप्नि फेन असिक कहती।” 4तब् राजपाल पिलातस मुख्य पुजारीनहे और भीड़हे कहल, “मै यी मनैयकमे असिन कौनो दोष नै भेटैनु।” 5पर ओइने आकुर हिर्गर होके कहे कलाँ, “यी यहूदिया प्रदेशके सक्कु मनैनके बिच्चेम अपन शिक्षासे दंगा हुइना कारण बनता। यी गालील प्रदेश थेनसे सुरु करल, और आब यहाँ आगिल बा।” 6पर यी सुनके राजपाल पिलातस पुँछल, “का यी गालील प्रदेशमे रहुइया मनैया हो?” 7और जब येशू हेरोद रज्वक प्रदेशके मनैया हुइताँ कहिके राजपाल पिलातस पता पाइल, ते ऊ हुँकिन्हे हेरोद रज्वक थेन पठादेहल। काकरेकी वहे समयमे हेरोद रज्वा अप्ने फेन यरुशलेम शहरमे रहे।
येशूहे हेरोदके थेन पठैना
8आब येशूहे देख्के हेरोद गजब खुशी होगिल। काकरेकी ऊ हुँकार बारेमे सुन्लक ओहोँरसे बहुत्ते दिनसे हुँकिन्हे हेरना ओकर मन रहिस। और ऊ येशूहे कौनो शक्तिशाली काम कर्लक हेरना आशा करतेहे। 9ऊ हुँकिन्हे बहुत बात पुँछल। पर येशू उहिहे कुछु जवाफ नै देलाँ। 10पर मुख्य पुजारीनके और यहूदी कानुनके गुरुनके ठरह्याके हुँकिन्हे जबरजस्ती दोष लगाई लग्लाँ। 11हेरोद रज्वा अपन सिपाहिनसे मिलके हुँकार अपमान करल। और ओइने हुँकार गिल्ला करलाँ। ओकरपाछे ऊ हुँकिन्हे रज्वनके घल्ना लुग्गा घलाके राजपाल पिलातसके थेन फिर्ता करदेहल। 12उ समयसम हेरोद रज्वा और राजपाल पिलातसके दुश्मनी रहिन। पर वहे दिनसे ओइने दुनु जाने संघरिया बनगिलाँ।
राजपाल पिलातस येशूहे मृत्युदण्ड देहल
13तब राजपाल पिलातस मुख्य पुजारीनहे, शासकहुँक्रिहिन्हे और जनतनहे जमा करल। 14और ओइन्हे कहल, “तुहुरे यी मनैयाहे मोरिक थेन नन्लो, और कलो कि यी मनैया मनैनहे दंगा करक लग बहकाइतेहे। और हेरो, मै तोहाँरे सामने ओकर जाँच कर्नु। पर जोन बातके तुहुरे ओकर उप्पर दोष लगाइतो, उ बातके बारेमे मै ओकरमे कुछु फेन दोष नै भेटैनु। 15और हेरोद फेन ओकरमे दोष नै देखल। काकरेकी ऊ उहिहे हमार थेन फिर्ता करदेहल। और हेरो, यी मनैया मृत्युदण्ड पैना योग्यक कौनो फेन गलत काम नै करल हो। 16तबेकमारे मै यिहिहे कोर्रालेके पिट्वाके छोरदेबुँ।” 17निस्तार-तिहुवारके उपलक्ष्यमे राजपाल पिलातस यहूदिनके लग एकथो कैदीहे छोरदेहे। 18ओइने सक्कु जाने एक्के संग असिक कहिके चिल्लैलाँ, “यिहिहे हटादेऊ, और हमार लग बारब्बाहे छोरदेऊ।” 19बारब्बा भर शहरमे रहल कौनो विद्रोह और हत्यक आरोपमे कारागारमे थुनगिल रहे। 20येशूहे छोरदेना इच्छा करके राजपाल पिलातस फेनदोस्रे ओइन्हे सम्झाइल। 21पर ओइने असिक कती चिल्लैती रलाँ, “क्रूसमे टाँगो, उहिहे क्रूसमे टाँगो।” 22और ऊ तेसरचो ओइन्हे कहल, “काकरे? ऊ का अपराध कर्ले बा? मै ते यिहिहे मृत्युदण्ड देना कौनो कारण नै भेटैनु, तबेकमारे मै यिहिहे सजाई देके छोरदेबुँ।” 23पर ओइने महा जोर-जोरसे चिल्लैती हुँकिन्हे क्रूसमे टाँगेपरी कना माँग करे लग्लाँ। ओइन्के चित्कार सफल होगिलिन। 24और राजपाल पिलातस ओइन्के माँग पूरा करदेना फैसला सुनाइल। 25राजपाल पिलातस उ मनैयाहे छोरदेहल, जे विद्रोह और हत्यक अभियोगमे कारागारमे परल रहे। उहिहे छोरदेऊ कहिके ओइने माँग करतिहिँत। पर येशूहे ऊ ओइन्के इच्छामे सौँपदेहल।
येशूहे क्रूसमे टंग्लक
(मत्ती २७:३२-४४; मर्कू. १५:२१-३२; यूह. १९:१७-२७)
26ओइने येशूहे वहाँसे लैजाई बेर, गाउँमेसे अइति रहल सिमोन नाउँक कुरेन शहरके एकथो निवासीहे पकरलाँ। और क्रूस बोकाके उहिहे हुँकार पाछे-पाछे जाई लगैलाँ। 27और बहुत्ते मनै येशूक पाछे-पाछे जाइतिहिँत। और ओम्ने बहुत्ते जन्नी मनै फेन रहिँत, जेने येशूक लग छाती ठठाठठाके रुइतिहिँत। 28पर ओइन्के ओहोँर घुमके येशू कलाँ, “ए यरुशलेम शहरके छाइन, मोरिक लग ना रोऊ। पर तुहुरे अपन लग और अपन छाइछावनके लग रोऊ। 29काकरेकी उ दुःखके दिन आइतताँ। तबे मनै कहिहीँ, ‘धन्य हुइँत उ जन्नी मनै, जेनके कबु लरका नै रहिन, जेने कबु लरका नै पैलाँ, और जेने कबु ओइन्हे दूध नै पिवैलाँ।’ 30तब् उ समयमे मनै पहाड़हे कहिहीँ, ‘हमार उप्पर गिर और हम्रिहिन्हे टोपदे।’ 31यदि निर्दोष मनैयक संग फेन असिके हुइत कलेसे सोँचो कि उ मनैनके संग का हुइहिन, जेने यी दण्ड भेटैना लायकके बताँ?” 32तब् सिपाहिन दुईथो अपराधीनहे मृत्युदण्ड देहक लग येशूक संग लैगिलाँ, ताकि ओइन्हे फेन ओइने येशूक संग मृत्युदण्ड देहे सेकिँत। 33जब ओइने खप्परे कना ठाउँमे अइलाँ, तब् वहाँ ओइने हुँकिन्हे क्रूसमे टंग्लाँ। और उ अपराधीनमेसे एकथोहे येशूक दाहिन पाँजर और दोसुरहे बाउँ पाँजर क्रूसमे टंग्लाँ। 34और येशू कलाँ, “हे बाबा, यनहे माफ करदे, काकरेकी यने का करतताँ, उ नै जन्थाँ।” और ओइने हुँकार लुग्गा बखरा लगाके चिट्टा दरलाँ। 35मनै ठरह्याके हेरतिहिँत। शासकहुँक्रे हुँकार मजाक कर्ती कलाँ, “यी दोसुर जहनहे बँचाइल, यी परमेश्वरके ख्रीष्ट या हुँकार चुनल जन हो कलेसे यी अपनहे बँचाए।” 36सिपाहिनके फेन आके हुँकिन्हे सिर्का देती असिक कहिके हुँकार गिल्ला करलाँ, 37“यदि तैँ यहूदिनके रज्वा हुइते कलेसे अपनहे बँचा।” 38“यी यहूदिनके रज्वा हो” कहिके लिखल एकथो दोष-पत्र फेन हुँकार उप्पर टाँसल रहिन।
क्रूसमे पश्चाताप करुइया पापी
39क्रूसमे टाँगल अपराधीनमेसे एकथो अपराधी हुँकार बदनाम कर्ती कहल, “का तैँ ख्रीष्ट नै हुइते? तैँ अपनेहे और हम्रिहिन्हे बँचा।” 40पर दोसुर अपराधी उहिहे हप्काके कहल, “का तोरिकमे परमेश्वरके थोरचुन फेन डर नै हो? तैँ फेन ते वहे दण्ड भेटाइते। 41हमार लग यी दण्ड ठिके बा। काकरेकी हम्रिहिन्हे वहे मिलता, जोन हमार खराब कामके लग ठिक बा। पर यी मनैया ते कुछु फेन खराब काम नै करल हुइँत।” 42तब् ऊ कहल, “हे येशू, जब अप्नि अपन राजमे एकथो रज्वक रुपमे अइबी ते महिन्हे सम्झबी।” 43येशू उहिहे कलाँ, “जात्तिके मै तुहिहे कहतुँ, आझी तैँ मोरिक संग स्वर्गमे रबे।”
येशूक मृत्यु
(मत्ती २७:४५-५६; मर्कू. १५:३३-४१; यूह. १९:२८-३०)
44लगभग: दुपहरके बाह्र बजल रहे, तब तीन बजेसम सारा देशहे अंधार छोपदेहल। 45दिनके ओजरार कम होगिल और मन्दिरके पर्दा बिच्चेमसे फाटके दुई खण्डा होगिल। 46महा जोरसे चिल्लाके येशू कलाँ, “हे बाबा, मै मोरिक आत्मा तोरिक हाँथेम सौँपतु।” अतरा कहिके येशू अपन प्राण छोरदेलाँ। 47यी सक्कु घटना देख्के कप्तान असिक कती परमेश्वरके महिमा करल, “जात्तिके, यी धार्मिक मनैया रहे।” 48यी दृश्य हेरक लग जमा हुइल सक्कु मनै यी घटनाहे देख्के ओइने अपन-अपन छाती ठठैती अपन घरे घुमगिलाँ, यी देखाइक लग कि ओइने महा दुखि बताँ। 49पर हुँकार सक्कु संघरियन और गालील प्रदेशमेसे अइलक जन्नी मनै दूर ठरह्याके यी घटनाहे हेरतिहिँत।
येशूक दफनके काम
(मत्ती २७:५७-६१; मर्कू. १५:४२-४७; यूह. १९:३८-४२)
50योसेफ नाउँ रहल एकथो मजा और धार्मिक मनैया रहे। ऊ महासभक सदस्य फेन रहे। 51ऊ ओइन्के सल्लाहामे और काममे सहमति नै देहल रहे। ऊ यहूदिनके अरिमाथिया शहरके मनैया रहे। ऊ परमेश्वरके राजके डगर हेरतेहे। 52वहे राजपाल पिलातसके थेन जाके येशूक लाहाश माँगल। 53हुँकार लाहाशहे तरे नानके ओइने मलमलके लुग्गामे लपेट्लाँ। और चट्टानमे खोपके बनाइल एकथो चिहानमे धरलाँ, जहाँ कबु किहुहे नै धारल रहे। 54उ तयारीक दिन रहे, और बिँसैना दिन सुरु हुई लागल रहे। 55गालील प्रदेशमेसे हुँकार संग अउइया जन्नीन पाछे-पाछे गैलाँ। और उ चिहान हेरके हुँकार लाहाश कसिके धारगिल बतिन कहिके ओइने देख्लाँ। 56तब अपन घरे घुमके येशूक शरीरमे लगाइक लग ओइने सुगन्धित द्रव्य और बहुमूल्य महँकना तेल तयार करलाँ। और मोशक नियम कानुनके आज्ञा अनुसार बिँसैना दिनमे ओइने बिँसैला।
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