मत्ती 24
24
यीसु मन्दिर के बिनास के आगू कर बात
(मरकुस 13:1-2; लूका 21:5-6)
1बिनती भवन के छांडके यीसु जब उहां लग हुइके जथै, ता ओखर चेला उके मन्दिर के पक्का भवन दिखामै ओखर लिघ्घो आथै। 2यीसु उनखर लग कथै, “तुम हइ भवन के सिध्धा ठाड देखथा, मै तुमही सही कथो, इहां अक्ठी पथरा हे दूसर पथरा टिक नेहको सकथै, अक्ठी-अक्ठी पथरा गिराय दय जही।”
मुसीबत अउ छल
(मरकुस 13:3-13; लूका 21:7-19)
3जब यीसु जैतून डोंगर हे बइठे रथै, ता सुनसान हे चेला ओखर लिघ्घो आयके कथै, “हमके गुठे हइ बात कब होही? जब तै फेर अइहे अउ हइ दुनिया कर आखरी होय के चिन्हा काहिन होही?” 4यीसु उनही जबाब देथै, सचेत रइहा तुमही कउनो झइ बहकामै। 5मै इहैनिता कथो, कि मोर नाम लग बोहत मनसे आयके हइ गुठेके बहकाही, कि मै मसीह हमो अउ बोहत झन के बहकाय दइहिन। 6तुम झगडा के बात सुनिहा अउ झगडा के बारे हे झूठमूठ के बात सुनिहा, पय देखा तुम झइ डेरइहा असना तो होही पय आखरी अबे नेहको होही। 7सगलू अक्ठी रास्ट दूसर देस के बिरोध हे ठाड हुइहीं अउ राज-राज हे चढाई करही अउ जिहां-तिहां अकाल पडही, सब जिघा भुंइडोल होही। 8पय हइ बात तो बलुक पीरा के सुरुवात होही।
9“ऊ टेम मनसे तुमही सजा देय के निता पकरवइही अउ ऊ तुमही मरवा डरही अउ मोर नाम के कारन सगलू देस के मनसे घिनइहिन। 10ऊ टेम बोहत लग मनसे के माया जुडाय जही अउ बिस्वास कम हुइ जही अउ ऊ अक्ठी दूसर साहबन के हाथन हे दइ दइहीं अउ अक्ठी दूसर लग घिनइही। 11बोहत लग झूठे ग्यानी मनसे ठाड हुइहीं अउ मनसेन के ठगही। 12काखे कि अधरम बढ जही, इहैनिता बोहत लग मनसे के माया जुडाय जही। 13पय जउन आखरी तक बने रही, ओखरै मुकति होही। 14स्वरग कर राज हइ संदेस सगलू दुनिया हे परचार करे जही, कि सगलू देस हे गवाह सुनाय जही तब अंत आ जही।
भयंकर मुसीबत
(मरकुस 13:14-23; लूका 21:20-24)
15“इहैनिता जब तुम बोहत नास चीज के, जेखर बारे हे दानिय्यल ग्यानी मनसे दवारा करै गय हबै, मन्दिर के पवितर जिघा हे ठाड हुइके देखा” पढय बाले खुदय जान जथै कि एखर मतलब काहिन हबै। 16ता जउन मनसे यहूदिया परदेस हे हबै उन डोंगर छो भाग जाय के चाही। 17जउन अपन घर के छानी हे होय, ऊ घर के छत लग कुछु चीज ले के निता तरी झइ उतरै। 18अउ जउन बाहिर खेत हे काम करथै, ऊ पाछू लउट के अपन घर छो खुरथा पइजामा ले फेरै झइ आबै। 19“उन डउकिन के निता जउन लादा हे हुइ, या जेखर दूध पियत लरका हुइ, ऊ रोज बोहत पीरा के रोज होही, ओखर निता हाय, हाय।” 20बिनती करा कि तुम मनसेन के पूस के रोज अउ सुस्ताय कर रोज भागय के झइ पडै। 21काखे उन रोज हे असना पीरा आही, जब भगवान हइ दुनिया के बनाय रथै, तब लग आज तक कबहुन नेहको आय हबै अउ न कबहुन होही। 22अगर भगवान ऊ रोज के नेहको घटोतिस, ता कउनो नेहको बच पउतिन पय कुछ चुने हर मनसेन के कारन ऊ रोज के कम कर दय जही।
23ऊ टेम अगर कोनो मनसे तुम्हर लग गुठे हबै, कि देखा मसीह इछो हबै, या उछो हबै ता कोनो के बिस्वास झइ करिहा। 24काखे कि ठगै बाले मनसे अउ ठगरा मसीह अउ ठगरा ग्यानी मनसे, ऊ टेम ठाड हुइके बोहत चकित बाले चिन्हा देखाही अउ इहां तक कि चुने हर मनसेन के बहका देही। 25देखा मै तुमही आगू लग गुठे दय हबो।
26इहैनिता अगर तुम्हर लग गुठेही कि देखबे ऊ पतेरा छो हबै, ता उछो झइ जइहा या देखा ऊ कोठा हे हबै कोठा के भित्तर लुके हबै ता उनखर बिस्वास झइ करिहा। 27काखे जउन मेर बिजली दिन उगती लग निकरके दिन बुडती तक चमकथै, उहै मेर मनसे कर टोरवा आमै के टेम होही।
28जिहां कहुं लहास होही, उहै छो गिधवा जुडहिन।
यीसु के फेरै आमै के टेम
(मरकुस 13:24-27; लूका 21:25-28)
29“उन रोज के पीरा ओखर हरबी बाद बेरा अंधियार हुइ जही, जोंधइया उजेड नेहको दइ, तरइया बादर लग गिर जइहिन अउ बादर के सक्ति के डोलाय जही। 30ऊ टेम मनसे कर टोरवा यीसु के आमै के चिन्हा बादर हे दिखही अउ दुनिया के सगलू मनसे छाती पिटहिन अउ मनसे कर टोरवा के बोहत सक्ति अउ सान के संग बादर हे आउत देखही। 31ऊ अपन स्वरगदूतन के तुरही के बोहत आरो के संग पठोही अउ उनखर चुने हर मनसेन के चारो दिसन लग बादर के अक्ठी छोर लग दूसर छोर तक अक्ठी जिघा करही।”
अंजीर रूख कर सिक्छा
(मरकुस 13:28-31; लूका 21:29-33)
32“अंजीर रूख कर किस्सा लग सिक्छा लेया जब ओखर डगइल कोमर होथै अउ ओखर पत्ता फुटकथै, ता तुम जान जथा, कि जेठ बइसाख के टेम लिघ्घो आय गय हबै। 33ओसनेन जब तुम हइ घटना देखिहा, ता जान लइहा कि ऊ लिघ्घो हबै बलुक दूरा हे हबै। 34मै तुम्हर लग सही कथो, जब तक हइ बात पूर नेहको हुइ जही ता हइ बिरादरी के मनसे नेहको मरही। 35बादर अउ भुंइ टर जइही, पय मोर बात कबहुन नेहको टरही।”
ऊ रोज अउ टेम कउनो नेहको जानथै
(मरकुस 13:32-37; लूका 17:26-30,34,36)
36“ऊ रोज अउ ऊ टेम के बारे हे कोनो कुछु नेहको जानही, न स्वरग हे स्वरगदूत अउ न टोरवा जनहीं केबल भगवान बाफ जानथै। 37जसना नूह के टेम होय रहिस, ओसनेन मनसे कर टोरवा के आमै के टेम होही। 38पानी बाढ के पहिलेन नूह नाव हे चढै के रोज तक, मनसे खात पियत अउ काज बिहाव करत रथै। 39अउ जब तक पानी नेहको आथै अउ सब के बोहा नेहको दइस, तब तक उनही कुछु नेहको पता होथै, उहै मेर मनसे कर टोरवा के आमै के टेम होही। 40उहै टेम खेत हे काम करत टेम, दुइठे मनसेन मसे अक्ठी मनसे उठा लय जही अउ अक्ठी उहै छांड दय जही। 41चकिया दरत दुइठे डउकी मसे, अक्ठी डउकी के उठा लय जही अउ अक्ठी डउकी के उहै छांड दय जही। 42इहैनिता जागत रइहा, काखे तुमही नेहको खबर हबै कि परभु कउन रोज आही। 43हइ निक्खा मेर समझ लेया अगर घर के मालिक के पता होतिस कि चोरटा रात के कउन टेम आही, ता ऊ जागत रहितै अउ अपन घर हे चोरी नेहको होंय देतिस। 44इहैनिता तुम तइयार रहा, काखे जउन टेम तुम सोचतो नेहको हबा उहै टेम मनसे कर टोरवा आय जही।”
बिस्वासी अउ अबिस्वासी हरवाह
(लूका 12:41-48)
45“तुम सोचिहा कि इमानदार अउ समझदार हरवाह कउन हबै, जेही ओखर मालिक अपन घर के देखरेख करे बाले जबाबदारी सउप दे कि सही टेम हे खाना देय? 46धन्य हबै ऊ हरवाह, जेखर मालिक लउटत हे उके ओसनेन करत पाय। 47मै तुमही सही कथो, कि ऊ उके अपन सगलू धन डेरा के हकदार बनाही। 48पय ऊ हरवाह बेकार होय अउ मन हे हइ सोच बिचार आमै लगे, कि मालिक के लउटै हे तो बोहत देरी होत हबै। 49इहैनिता ऊ अपन संगी हरवाहन लग झगडा करै लग जथै अउ दरुहन के संग खाय पिय के सुरू कर देही। 50ता ऊ हरवाह के मालिक असना रोज आही, जउन रोज ऊ ओखर आमै के टेम नेहको सोचथै उके खबर तक नेहको चलही। 51तब मालिक उके बोहत सजा देही, हइ मेर ओखर हीसा के आखरी हुइ जही जउन मेर ढोंगहन के होथै, उछो सबदिना रोना अउ दांत चबाउत रइहीं।
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The New Testament in Bhumiya Language The Word for the World International and © 2023 Bhilali Bhasha Samiti, Madhya Pradesh
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1बिनती भवन के छांडके यीसु जब उहां लग हुइके जथै, ता ओखर चेला उके मन्दिर के पक्का भवन दिखामै ओखर लिघ्घो आथै। 2यीसु उनखर लग कथै, “तुम हइ भवन के सिध्धा ठाड देखथा, मै तुमही सही कथो, इहां अक्ठी पथरा हे दूसर पथरा टिक नेहको सकथै, अक्ठी-अक्ठी पथरा गिराय दय जही।”
मुसीबत अउ छल
(मरकुस 13:3-13; लूका 21:7-19)
3जब यीसु जैतून डोंगर हे बइठे रथै, ता सुनसान हे चेला ओखर लिघ्घो आयके कथै, “हमके गुठे हइ बात कब होही? जब तै फेर अइहे अउ हइ दुनिया कर आखरी होय के चिन्हा काहिन होही?” 4यीसु उनही जबाब देथै, सचेत रइहा तुमही कउनो झइ बहकामै। 5मै इहैनिता कथो, कि मोर नाम लग बोहत मनसे आयके हइ गुठेके बहकाही, कि मै मसीह हमो अउ बोहत झन के बहकाय दइहिन। 6तुम झगडा के बात सुनिहा अउ झगडा के बारे हे झूठमूठ के बात सुनिहा, पय देखा तुम झइ डेरइहा असना तो होही पय आखरी अबे नेहको होही। 7सगलू अक्ठी रास्ट दूसर देस के बिरोध हे ठाड हुइहीं अउ राज-राज हे चढाई करही अउ जिहां-तिहां अकाल पडही, सब जिघा भुंइडोल होही। 8पय हइ बात तो बलुक पीरा के सुरुवात होही।
9“ऊ टेम मनसे तुमही सजा देय के निता पकरवइही अउ ऊ तुमही मरवा डरही अउ मोर नाम के कारन सगलू देस के मनसे घिनइहिन। 10ऊ टेम बोहत लग मनसे के माया जुडाय जही अउ बिस्वास कम हुइ जही अउ ऊ अक्ठी दूसर साहबन के हाथन हे दइ दइहीं अउ अक्ठी दूसर लग घिनइही। 11बोहत लग झूठे ग्यानी मनसे ठाड हुइहीं अउ मनसेन के ठगही। 12काखे कि अधरम बढ जही, इहैनिता बोहत लग मनसे के माया जुडाय जही। 13पय जउन आखरी तक बने रही, ओखरै मुकति होही। 14स्वरग कर राज हइ संदेस सगलू दुनिया हे परचार करे जही, कि सगलू देस हे गवाह सुनाय जही तब अंत आ जही।
भयंकर मुसीबत
(मरकुस 13:14-23; लूका 21:20-24)
15“इहैनिता जब तुम बोहत नास चीज के, जेखर बारे हे दानिय्यल ग्यानी मनसे दवारा करै गय हबै, मन्दिर के पवितर जिघा हे ठाड हुइके देखा” पढय बाले खुदय जान जथै कि एखर मतलब काहिन हबै। 16ता जउन मनसे यहूदिया परदेस हे हबै उन डोंगर छो भाग जाय के चाही। 17जउन अपन घर के छानी हे होय, ऊ घर के छत लग कुछु चीज ले के निता तरी झइ उतरै। 18अउ जउन बाहिर खेत हे काम करथै, ऊ पाछू लउट के अपन घर छो खुरथा पइजामा ले फेरै झइ आबै। 19“उन डउकिन के निता जउन लादा हे हुइ, या जेखर दूध पियत लरका हुइ, ऊ रोज बोहत पीरा के रोज होही, ओखर निता हाय, हाय।” 20बिनती करा कि तुम मनसेन के पूस के रोज अउ सुस्ताय कर रोज भागय के झइ पडै। 21काखे उन रोज हे असना पीरा आही, जब भगवान हइ दुनिया के बनाय रथै, तब लग आज तक कबहुन नेहको आय हबै अउ न कबहुन होही। 22अगर भगवान ऊ रोज के नेहको घटोतिस, ता कउनो नेहको बच पउतिन पय कुछ चुने हर मनसेन के कारन ऊ रोज के कम कर दय जही।
23ऊ टेम अगर कोनो मनसे तुम्हर लग गुठे हबै, कि देखा मसीह इछो हबै, या उछो हबै ता कोनो के बिस्वास झइ करिहा। 24काखे कि ठगै बाले मनसे अउ ठगरा मसीह अउ ठगरा ग्यानी मनसे, ऊ टेम ठाड हुइके बोहत चकित बाले चिन्हा देखाही अउ इहां तक कि चुने हर मनसेन के बहका देही। 25देखा मै तुमही आगू लग गुठे दय हबो।
26इहैनिता अगर तुम्हर लग गुठेही कि देखबे ऊ पतेरा छो हबै, ता उछो झइ जइहा या देखा ऊ कोठा हे हबै कोठा के भित्तर लुके हबै ता उनखर बिस्वास झइ करिहा। 27काखे जउन मेर बिजली दिन उगती लग निकरके दिन बुडती तक चमकथै, उहै मेर मनसे कर टोरवा आमै के टेम होही।
28जिहां कहुं लहास होही, उहै छो गिधवा जुडहिन।
यीसु के फेरै आमै के टेम
(मरकुस 13:24-27; लूका 21:25-28)
29“उन रोज के पीरा ओखर हरबी बाद बेरा अंधियार हुइ जही, जोंधइया उजेड नेहको दइ, तरइया बादर लग गिर जइहिन अउ बादर के सक्ति के डोलाय जही। 30ऊ टेम मनसे कर टोरवा यीसु के आमै के चिन्हा बादर हे दिखही अउ दुनिया के सगलू मनसे छाती पिटहिन अउ मनसे कर टोरवा के बोहत सक्ति अउ सान के संग बादर हे आउत देखही। 31ऊ अपन स्वरगदूतन के तुरही के बोहत आरो के संग पठोही अउ उनखर चुने हर मनसेन के चारो दिसन लग बादर के अक्ठी छोर लग दूसर छोर तक अक्ठी जिघा करही।”
अंजीर रूख कर सिक्छा
(मरकुस 13:28-31; लूका 21:29-33)
32“अंजीर रूख कर किस्सा लग सिक्छा लेया जब ओखर डगइल कोमर होथै अउ ओखर पत्ता फुटकथै, ता तुम जान जथा, कि जेठ बइसाख के टेम लिघ्घो आय गय हबै। 33ओसनेन जब तुम हइ घटना देखिहा, ता जान लइहा कि ऊ लिघ्घो हबै बलुक दूरा हे हबै। 34मै तुम्हर लग सही कथो, जब तक हइ बात पूर नेहको हुइ जही ता हइ बिरादरी के मनसे नेहको मरही। 35बादर अउ भुंइ टर जइही, पय मोर बात कबहुन नेहको टरही।”
ऊ रोज अउ टेम कउनो नेहको जानथै
(मरकुस 13:32-37; लूका 17:26-30,34,36)
36“ऊ रोज अउ ऊ टेम के बारे हे कोनो कुछु नेहको जानही, न स्वरग हे स्वरगदूत अउ न टोरवा जनहीं केबल भगवान बाफ जानथै। 37जसना नूह के टेम होय रहिस, ओसनेन मनसे कर टोरवा के आमै के टेम होही। 38पानी बाढ के पहिलेन नूह नाव हे चढै के रोज तक, मनसे खात पियत अउ काज बिहाव करत रथै। 39अउ जब तक पानी नेहको आथै अउ सब के बोहा नेहको दइस, तब तक उनही कुछु नेहको पता होथै, उहै मेर मनसे कर टोरवा के आमै के टेम होही। 40उहै टेम खेत हे काम करत टेम, दुइठे मनसेन मसे अक्ठी मनसे उठा लय जही अउ अक्ठी उहै छांड दय जही। 41चकिया दरत दुइठे डउकी मसे, अक्ठी डउकी के उठा लय जही अउ अक्ठी डउकी के उहै छांड दय जही। 42इहैनिता जागत रइहा, काखे तुमही नेहको खबर हबै कि परभु कउन रोज आही। 43हइ निक्खा मेर समझ लेया अगर घर के मालिक के पता होतिस कि चोरटा रात के कउन टेम आही, ता ऊ जागत रहितै अउ अपन घर हे चोरी नेहको होंय देतिस। 44इहैनिता तुम तइयार रहा, काखे जउन टेम तुम सोचतो नेहको हबा उहै टेम मनसे कर टोरवा आय जही।”
बिस्वासी अउ अबिस्वासी हरवाह
(लूका 12:41-48)
45“तुम सोचिहा कि इमानदार अउ समझदार हरवाह कउन हबै, जेही ओखर मालिक अपन घर के देखरेख करे बाले जबाबदारी सउप दे कि सही टेम हे खाना देय? 46धन्य हबै ऊ हरवाह, जेखर मालिक लउटत हे उके ओसनेन करत पाय। 47मै तुमही सही कथो, कि ऊ उके अपन सगलू धन डेरा के हकदार बनाही। 48पय ऊ हरवाह बेकार होय अउ मन हे हइ सोच बिचार आमै लगे, कि मालिक के लउटै हे तो बोहत देरी होत हबै। 49इहैनिता ऊ अपन संगी हरवाहन लग झगडा करै लग जथै अउ दरुहन के संग खाय पिय के सुरू कर देही। 50ता ऊ हरवाह के मालिक असना रोज आही, जउन रोज ऊ ओखर आमै के टेम नेहको सोचथै उके खबर तक नेहको चलही। 51तब मालिक उके बोहत सजा देही, हइ मेर ओखर हीसा के आखरी हुइ जही जउन मेर ढोंगहन के होथै, उछो सबदिना रोना अउ दांत चबाउत रइहीं।
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