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मत्‍ती 5:11-12

मत्‍ती 5:11-12 BRAJ

“धन्य हो तुम, जब मेरी बजैह ते लोग तुमारौ अपमान करतैं और तुमें सताबतें और झूंठ बोल बोलकें सब तरैह ते बुरी बुरी बात करतैं। तब तुम आनन्द मगन होईओं, चौंकि सुरग में तुमारे काजै भौत बड़ौ फल रखौए। जाई बजैह ते बिन्‍नें उन परमेस्‍वर की ओर ते बात बताबे बारेन कूं जो तुमते पैहले हते बिनकूं जाई रीति ते सतायौ हतो।