मती 7:3-4
मती 7:3-4 RWR
“थूं क्यूं अपणै भाई री आंख रै तिणके नै देखे है, अर अपणी आंख री लकड़ी थनै कोनीं दिखे? जद थारी ही आंख मे लकड़ी है, तो थूं अपणै भाई ऊं कीकर कैह सकै है, ‘ला म्हैं थारी आंख ऊं तिणको निकाळ दूं’?
“थूं क्यूं अपणै भाई री आंख रै तिणके नै देखे है, अर अपणी आंख री लकड़ी थनै कोनीं दिखे? जद थारी ही आंख मे लकड़ी है, तो थूं अपणै भाई ऊं कीकर कैह सकै है, ‘ला म्हैं थारी आंख ऊं तिणको निकाळ दूं’?