“इना शास्त्री का रहै चतैन, ज़ुंणी ईंयां लोगा रहैऊंणा लै लाम्मै च़ोल़ै हआ बान्हैं दै। कि तिंयां किहै महान आसा। ईंयां च़ाहा कि लोगै लोल़ी तिन्नां सेटा हाथ ज़ोल़ै। आराधना कोठी दी लोल़ी इना खास-खास ज़ैगा बेशणा लै, धामा दी च़ाहा तिंयां ज़ुदै ज़िहै खास ज़ैगा बेशणअ। ईंयां लुटा च़लाकी करै बिधबा बेटल़ीए घर। होरी का रहैऊंणा लै फिरा ईंयां खास्सी घल़ी प्राथणां करदै। इना लै भेटणीं सोभी का खास्सी सज़ा।”