मत्ती 5
5
पहाड़ परक उपदेश
धन्य के अछि?
(लूका 6:20-23)
1लोकक भीड़ केँ देखि कऽ यीशु पहाड़ पर चढ़ि गेलाह। ओ जखन बैसलाह तँ शिष्य सभ हुनका लग अयलथिन। 2यीशु एहि तरहेँ हुनका सभ केँ उपदेश देबऽ लगलथिन—
3“धन्य अछि ओ सभ जे अपना केँ आत्मिक रूप सँ असहाय बुझैत अछि,
किएक तँ स्वर्गक राज्य ओकरे सभक छैक।
4धन्य अछि ओ सभ जे शोक करैत अछि,
किएक तँ ओ सभ सान्त्वना पाओत।
5धन्य अछि ओ सभ जे नम्र अछि,
किएक तँ ओ सभ पृथ्वीक उत्तराधिकारी होयत।
6धन्य अछि ओ सभ जे धार्मिकताक भूखल-पियासल अछि,
किएक तँ ओ सभ तृप्त कयल जायत।
7धन्य अछि ओ सभ जे दयावान अछि,
किएक तँ ओकरा सभ पर दया कयल जयतैक।
8धन्य अछि ओ सभ जकर हृदय शुद्ध छैक,
किएक तँ ओ सभ परमेश्वर केँ देखत।
9धन्य अछि ओ सभ जे मेल-मिलाप करबैत अछि,
किएक तँ ओ सभ परमेश्वरक पुत्र कहाओत।
10धन्य अछि ओ सभ जे धार्मिक रहबाक कारणेँ सताओल जाइत अछि,
किएक तँ स्वर्गक राज्य ओकरे सभक छैक।
11“धन्य छी अहाँ सभ, जखन लोक सभ हमरा कारणेँ अहाँ सभ केँ अपमानित करत, सताओत और झूठ बाजि-बाजि कऽ अहाँ सभक विरोध मे लोक केँ सभ तरहक अधलाह बात कहतैक। 12तखन खुशी होउ और आनन्द मनाउ, किएक तँ अहाँ सभक लेल स्वर्ग मे बड़का इनाम राखल अछि। एही तरहेँ लोक परमेश्वरक ओहि प्रवक्ता सभ केँ सेहो सतौने छलनि, जे सभ अहाँ सभ सँ पहिने प्राचीन समय मे छलाह।
“अहाँ सभ पृथ्वीक नून आ संसारक प्रकाश छी”
13“अहाँ सभ पृथ्वीक नून छी। मुदा जँ नून मे नूनक स्वाद समाप्त भऽ जाइक तँ ओ कोन वस्तु सँ फेर नूनगर बनाओल जा सकत? ओकरा फेकि देल जाय, आ लोक ओकरा पयर सँ धाँगय, से छोड़ि ओ दोसर कोन काजक रहि जायत?
14“अहाँ सभ संसारक प्रकाश छी। पहाड़ परक नगर नुकायल नहि रहि सकैत अछि। 15लोक डिबिया लेसि कऽ पथिया सँ नहि झँपैत अछि, बल्कि लाबनि पर रखैत अछि, और ओ डिबिया घर मे सभक लेल प्रकाश दैत छैक। 16एहि तरहेँ अहूँ सभ अपन प्रकाश लोकक बीच चमकाउ, जाहि सँ लोक अहाँ सभक नीक काज देखि कऽ, अहाँक पिताक, जे स्वर्ग मे छथि, तिनकर स्तुति करनि।
धर्म-नियमक उद्देश्य पूरा होयत
17“ई नहि सोचू जे हम मूसा द्वारा देल धर्म-नियम अथवा परमेश्वरक प्रवक्ता सभक लेख सभ केँ रद्द करबाक लेल आयल छी। हम ओहि सभ केँ रद्द नहि, बल्कि पूरा करबाक लेल आयल छी। 18हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, जाबत तक आकाश आ पृथ्वी समाप्त नहि होयत, ताबत तक धर्म-नियम मे लिखल सभ बात बिनु पूरा भेने ओकर एक मात्रा वा एक बिन्दुओ नहि मेटायत। 19जे केओ एहि आज्ञा मे सँ छोटो सँ छोट आज्ञाक उल्लंघन करत और दोसरो लोक केँ तहिना करऽ लेल सिखाओत, से स्वर्गक राज्य मे सभ सँ छोट कहाओत। मुदा जे केओ एहि आज्ञा सभक पालन करत आ दोसरो लोक केँ तहिना करऽ लेल सिखाओत, से स्वर्गक राज्य मे पैघ कहाओत। 20हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, परमेश्वरक नजरि मे धार्मिक ठहरबाक लेल जे बात आवश्यक अछि, से जँ अहाँ सभ धर्मशिक्षक आ फरिसी सभ सँ बढ़ि कऽ पूरा नहि करब, तँ अहाँ सभ स्वर्गक राज्य मे किन्नहुँ नहि प्रवेश करब।
क्रोध और हत्या
21“अहाँ सभ सुनने छी जे प्राचीन काल मे पुरखा सभ केँ कहल गेल छलनि, ‘हत्या नहि करह,#5:21 प्रस्थान 20:13 और जे केओ हत्या करत तकरा कचहरी मे दण्डक योग्य ठहराओल जयतैक।’ 22मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, जे केओ अपना भाय पर क्रोधो करत तकरा कचहरी मे दण्डक योग्य ठहराओल जयतैक। जे अपन भाय केँ ‘रे मूर्ख’ कहत, तकरा धर्म-महासभा मे ठाढ़ होमऽ पड़तैक, और जे केओ अपना भाय केँ सराप देत, से नरकक आगि मे खसयबा जोगरक अछि।
23“तेँ जँ अहाँ अपन चढ़ौना प्रभुक वेदी पर अर्पण कऽ रहल छी आ ओतहि अहाँ केँ मोन पड़ल जे अहाँक भाय केँ अहाँ सँ कोनो सिकायत छैक, 24तँ अपन चढ़ौना वेदीक कात मे राखि दिअ आ पहिने जा कऽ अपना भाय सँ मेल करू और तकरबाद आबि कऽ अपन चढ़ौना चढ़ाउ।
25“जखन अहाँक विरोधी अहाँ केँ कचहरी मे लऽ जा रहल अछि, तँ रस्ते मे ओकरा संग जल्दी सँ मेल-मिलाप कऽ लिअ। एना नहि होअय जे विरोधी अहाँ केँ न्यायाधीशक जिम्मा मे लगा दय आ न्यायाधीश सिपाहीक जिम्मा मे, और अहाँ केँ जहल मे राखि देल जाय। 26हम अहाँ केँ सत्य कहैत छी जे, जाबत तक अहाँ पाइ-पाइ कऽ सधा नहि देबैक, ताबत तक अहाँ ओतऽ सँ नहि छुटब।
अधलाह इच्छा और परस्त्रीगमन
27“अहाँ सभ सुनने छी जे कहल गेल, ‘परस्त्रीगमन नहि करह।’#5:27 प्रस्थान 20:14 28मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, जे कोनो पुरुष कोनो स्त्री केँ अधलाह इच्छा सँ देखैत अछि, से तखने अपना मोन मे ओकरा संग परस्त्रीगमन कऽ लेलक। 29जँ अहाँक दहिना आँखि अहाँ केँ पाप मे फँसबैत अछि तँ ओकरा निकालि कऽ फेकि दिअ। अहाँक शरीरक एके अंग नष्ट भऽ जाओ, से अहाँक लेल एहि सँ नीक होयत जे सम्पूर्ण शरीर नरक मे फेकि देल जाय। 30जँ अहाँक दहिना हाथ अहाँ केँ पाप मे फँसबैत अछि तँ ओकरा काटि कऽ फेकि दिअ। अहाँक शरीरक एके अंग नष्ट भऽ जाओ, से अहाँक लेल एहि सँ नीक होयत जे सम्पूर्ण शरीर नरक मे फेकि देल जाय।
तलाक
(मत्ती 19:9; मरकुस 10:11-12; लूका 16:18)
31“कहल गेल अछि जे, ‘जे पुरुष अपना स्त्री केँ तलाक दैत अछि, से तलाकनामा लिखि कऽ दैक।’#5:31 व्यव 24:1 32मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, स्त्री केँ दोसराक संग गलत शारीरिक सम्बन्ध रखबाक कारण केँ छोड़ि कऽ जँ कोनो दोसर कारण सँ कोनो पुरुष अपना स्त्री केँ तलाक दैत अछि, तँ ओ अपना स्त्री केँ परपुरुषगमन करऽ वाली बनबाक लेल विवश करैत अछि, और जे केओ ओहि तलाक देल स्त्री सँ विवाह करैत अछि, सेहो परस्त्रीगमन करैत अछि।
सपत
33“अहाँ सभ इहो सुनने छी जे प्राचीन समयक पुरखा सभ केँ कहल गेल छलनि जे, ‘सपत खा कऽ जे वचन देलह तकरा नहि तोड़िहह, बल्कि प्रभु सँ खायल अपन सपत केँ पूरा करिहह।’ 34मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे सपत खयबे नहि करू—ने स्वर्गक नाम लऽ कऽ, कारण ओ परमेश्वरक सिंहासन छनि, 35ने पृथ्वीक नाम लऽ कऽ, कारण ओ परमेश्वरक पयर तरक चौकी छनि, ने यरूशलेमक, कारण ओ महान् राजाक नगर छनि, 36और ने अपन माथक, कारण अहाँ अपन एकोटा केश केँ ने तँ उज्जर आ ने कारी कऽ सकैत छी। 37अहाँ सभ जखन ‘हँ’ कहऽ चाहैत छी, तँ बस, ‘हँ’ए कहू, जखन ‘नहि’ कहऽ चाहैत छी, तँ ‘नहि’ए कहू। एहि सँ बेसी जे किछु बजैत छी से शैतान सँ प्रेरित बात अछि।
बदला लेनाइ
(लूका 6:29-30)
38“अहाँ सभ सुनने छी जे एना कहल गेल छल, ‘केओ जँ ककरो आँखि फोड़य तँ ओकरो आँखि फोड़ल जाय, आ केओ जँ ककरो दाँत तोड़य तँ ओकरो दाँत तोड़ल जाय।’#5:38 प्रस्थान 21:24; लेवी 24:20; व्यव 19:21 39मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, जँ कोनो दुष्ट लोक अहाँ केँ किछु करओ, तँ ओकर विरोध नहि करू। केओ जँ अहाँक दहिना गाल पर थप्पड़ मारय तँ ओकरा सामने दोसरो गाल कऽ दिऔक। 40केओ जँ अहाँ पर मोकदमा कऽ अहाँक कुर्ता लेबऽ चाहय तँ ओकरा ओढ़नो लेबऽ दिऔक। 41जँ केओ अहाँ सँ कोनो वस्तु जबरदस्ती एक कोस उघबाबय तँ अहाँ दू कोस उघि दिऔक। 42जे केओ अहाँ सँ किछु मँगैत अछि तकरा दिऔक, आ जे केओ अहाँ सँ पैंच लेबऽ चाहैत अछि तकरा सँ मुँह नहि घुमाउ।
शत्रु सँ प्रेम
(लूका 6:27-28, 32-36)
43“अहाँ सभ सुनने छी जे एना कहल गेल छल, ‘अपना पड़ोसी सँ प्रेम करह#5:43 लेवी 19:18 आ अपन शत्रु सँ दुश्मनी राखह।’ 44मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, अपना शत्रु सभ सँ प्रेम करू आ अहाँ केँ जे सभ सतबैत अछि तकरा सभक लेल प्रभु सँ प्रार्थना करू। 45तखने अहाँ स्वर्ग मे रहऽ वला अपन पिताक सन्तान बनब। कारण, ओ दुष्ट आ सज्जन दूनू पर अपन सूर्यक प्रकाश दैत छथि, आ धर्मी और अधर्मी दूनू पर वर्षा करबैत छथि।
46“जँ अहाँ मात्र ओकरे सभ सँ प्रेम करी जे अहाँ सँ प्रेम करैत अछि तँ अहाँ केँ परमेश्वर सँ की इनाम भेटत? की कर असूल कयनिहार ठकहारो सभ एहिना नहि करैत अछि? 47आ जँ अहाँ मात्र अपने लोक सभक कुशल-मङलक पुछारी करैत छी तँ अहाँ कोन बड़का काज करैत छी? की परमेश्वर केँ नहि चिन्हऽ वला जातिक लोक सभ सेहो एहिना नहि करैत अछि? 48तेँ अहाँ सभ सिद्ध बनू जेना स्वर्ग मे रहऽ वला अहाँ सभक पिता परमेश्वर सिद्ध छथि।
Επιλέχθηκαν προς το παρόν:
मत्ती 5: mai
Επισημάνσεις
Κοινοποίηση
Αντιγραφή
Θέλετε να αποθηκεύονται οι επισημάνσεις σας σε όλες τις συσκευές σας; Εγγραφείτε ή συνδεθείτε
©2010 The Bible Society of India and © Wycliffe Bible Translators, Inc.
मत्ती 5
5
पहाड़ परक उपदेश
धन्य के अछि?
(लूका 6:20-23)
1लोकक भीड़ केँ देखि कऽ यीशु पहाड़ पर चढ़ि गेलाह। ओ जखन बैसलाह तँ शिष्य सभ हुनका लग अयलथिन। 2यीशु एहि तरहेँ हुनका सभ केँ उपदेश देबऽ लगलथिन—
3“धन्य अछि ओ सभ जे अपना केँ आत्मिक रूप सँ असहाय बुझैत अछि,
किएक तँ स्वर्गक राज्य ओकरे सभक छैक।
4धन्य अछि ओ सभ जे शोक करैत अछि,
किएक तँ ओ सभ सान्त्वना पाओत।
5धन्य अछि ओ सभ जे नम्र अछि,
किएक तँ ओ सभ पृथ्वीक उत्तराधिकारी होयत।
6धन्य अछि ओ सभ जे धार्मिकताक भूखल-पियासल अछि,
किएक तँ ओ सभ तृप्त कयल जायत।
7धन्य अछि ओ सभ जे दयावान अछि,
किएक तँ ओकरा सभ पर दया कयल जयतैक।
8धन्य अछि ओ सभ जकर हृदय शुद्ध छैक,
किएक तँ ओ सभ परमेश्वर केँ देखत।
9धन्य अछि ओ सभ जे मेल-मिलाप करबैत अछि,
किएक तँ ओ सभ परमेश्वरक पुत्र कहाओत।
10धन्य अछि ओ सभ जे धार्मिक रहबाक कारणेँ सताओल जाइत अछि,
किएक तँ स्वर्गक राज्य ओकरे सभक छैक।
11“धन्य छी अहाँ सभ, जखन लोक सभ हमरा कारणेँ अहाँ सभ केँ अपमानित करत, सताओत और झूठ बाजि-बाजि कऽ अहाँ सभक विरोध मे लोक केँ सभ तरहक अधलाह बात कहतैक। 12तखन खुशी होउ और आनन्द मनाउ, किएक तँ अहाँ सभक लेल स्वर्ग मे बड़का इनाम राखल अछि। एही तरहेँ लोक परमेश्वरक ओहि प्रवक्ता सभ केँ सेहो सतौने छलनि, जे सभ अहाँ सभ सँ पहिने प्राचीन समय मे छलाह।
“अहाँ सभ पृथ्वीक नून आ संसारक प्रकाश छी”
13“अहाँ सभ पृथ्वीक नून छी। मुदा जँ नून मे नूनक स्वाद समाप्त भऽ जाइक तँ ओ कोन वस्तु सँ फेर नूनगर बनाओल जा सकत? ओकरा फेकि देल जाय, आ लोक ओकरा पयर सँ धाँगय, से छोड़ि ओ दोसर कोन काजक रहि जायत?
14“अहाँ सभ संसारक प्रकाश छी। पहाड़ परक नगर नुकायल नहि रहि सकैत अछि। 15लोक डिबिया लेसि कऽ पथिया सँ नहि झँपैत अछि, बल्कि लाबनि पर रखैत अछि, और ओ डिबिया घर मे सभक लेल प्रकाश दैत छैक। 16एहि तरहेँ अहूँ सभ अपन प्रकाश लोकक बीच चमकाउ, जाहि सँ लोक अहाँ सभक नीक काज देखि कऽ, अहाँक पिताक, जे स्वर्ग मे छथि, तिनकर स्तुति करनि।
धर्म-नियमक उद्देश्य पूरा होयत
17“ई नहि सोचू जे हम मूसा द्वारा देल धर्म-नियम अथवा परमेश्वरक प्रवक्ता सभक लेख सभ केँ रद्द करबाक लेल आयल छी। हम ओहि सभ केँ रद्द नहि, बल्कि पूरा करबाक लेल आयल छी। 18हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, जाबत तक आकाश आ पृथ्वी समाप्त नहि होयत, ताबत तक धर्म-नियम मे लिखल सभ बात बिनु पूरा भेने ओकर एक मात्रा वा एक बिन्दुओ नहि मेटायत। 19जे केओ एहि आज्ञा मे सँ छोटो सँ छोट आज्ञाक उल्लंघन करत और दोसरो लोक केँ तहिना करऽ लेल सिखाओत, से स्वर्गक राज्य मे सभ सँ छोट कहाओत। मुदा जे केओ एहि आज्ञा सभक पालन करत आ दोसरो लोक केँ तहिना करऽ लेल सिखाओत, से स्वर्गक राज्य मे पैघ कहाओत। 20हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, परमेश्वरक नजरि मे धार्मिक ठहरबाक लेल जे बात आवश्यक अछि, से जँ अहाँ सभ धर्मशिक्षक आ फरिसी सभ सँ बढ़ि कऽ पूरा नहि करब, तँ अहाँ सभ स्वर्गक राज्य मे किन्नहुँ नहि प्रवेश करब।
क्रोध और हत्या
21“अहाँ सभ सुनने छी जे प्राचीन काल मे पुरखा सभ केँ कहल गेल छलनि, ‘हत्या नहि करह,#5:21 प्रस्थान 20:13 और जे केओ हत्या करत तकरा कचहरी मे दण्डक योग्य ठहराओल जयतैक।’ 22मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, जे केओ अपना भाय पर क्रोधो करत तकरा कचहरी मे दण्डक योग्य ठहराओल जयतैक। जे अपन भाय केँ ‘रे मूर्ख’ कहत, तकरा धर्म-महासभा मे ठाढ़ होमऽ पड़तैक, और जे केओ अपना भाय केँ सराप देत, से नरकक आगि मे खसयबा जोगरक अछि।
23“तेँ जँ अहाँ अपन चढ़ौना प्रभुक वेदी पर अर्पण कऽ रहल छी आ ओतहि अहाँ केँ मोन पड़ल जे अहाँक भाय केँ अहाँ सँ कोनो सिकायत छैक, 24तँ अपन चढ़ौना वेदीक कात मे राखि दिअ आ पहिने जा कऽ अपना भाय सँ मेल करू और तकरबाद आबि कऽ अपन चढ़ौना चढ़ाउ।
25“जखन अहाँक विरोधी अहाँ केँ कचहरी मे लऽ जा रहल अछि, तँ रस्ते मे ओकरा संग जल्दी सँ मेल-मिलाप कऽ लिअ। एना नहि होअय जे विरोधी अहाँ केँ न्यायाधीशक जिम्मा मे लगा दय आ न्यायाधीश सिपाहीक जिम्मा मे, और अहाँ केँ जहल मे राखि देल जाय। 26हम अहाँ केँ सत्य कहैत छी जे, जाबत तक अहाँ पाइ-पाइ कऽ सधा नहि देबैक, ताबत तक अहाँ ओतऽ सँ नहि छुटब।
अधलाह इच्छा और परस्त्रीगमन
27“अहाँ सभ सुनने छी जे कहल गेल, ‘परस्त्रीगमन नहि करह।’#5:27 प्रस्थान 20:14 28मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, जे कोनो पुरुष कोनो स्त्री केँ अधलाह इच्छा सँ देखैत अछि, से तखने अपना मोन मे ओकरा संग परस्त्रीगमन कऽ लेलक। 29जँ अहाँक दहिना आँखि अहाँ केँ पाप मे फँसबैत अछि तँ ओकरा निकालि कऽ फेकि दिअ। अहाँक शरीरक एके अंग नष्ट भऽ जाओ, से अहाँक लेल एहि सँ नीक होयत जे सम्पूर्ण शरीर नरक मे फेकि देल जाय। 30जँ अहाँक दहिना हाथ अहाँ केँ पाप मे फँसबैत अछि तँ ओकरा काटि कऽ फेकि दिअ। अहाँक शरीरक एके अंग नष्ट भऽ जाओ, से अहाँक लेल एहि सँ नीक होयत जे सम्पूर्ण शरीर नरक मे फेकि देल जाय।
तलाक
(मत्ती 19:9; मरकुस 10:11-12; लूका 16:18)
31“कहल गेल अछि जे, ‘जे पुरुष अपना स्त्री केँ तलाक दैत अछि, से तलाकनामा लिखि कऽ दैक।’#5:31 व्यव 24:1 32मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, स्त्री केँ दोसराक संग गलत शारीरिक सम्बन्ध रखबाक कारण केँ छोड़ि कऽ जँ कोनो दोसर कारण सँ कोनो पुरुष अपना स्त्री केँ तलाक दैत अछि, तँ ओ अपना स्त्री केँ परपुरुषगमन करऽ वाली बनबाक लेल विवश करैत अछि, और जे केओ ओहि तलाक देल स्त्री सँ विवाह करैत अछि, सेहो परस्त्रीगमन करैत अछि।
सपत
33“अहाँ सभ इहो सुनने छी जे प्राचीन समयक पुरखा सभ केँ कहल गेल छलनि जे, ‘सपत खा कऽ जे वचन देलह तकरा नहि तोड़िहह, बल्कि प्रभु सँ खायल अपन सपत केँ पूरा करिहह।’ 34मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे सपत खयबे नहि करू—ने स्वर्गक नाम लऽ कऽ, कारण ओ परमेश्वरक सिंहासन छनि, 35ने पृथ्वीक नाम लऽ कऽ, कारण ओ परमेश्वरक पयर तरक चौकी छनि, ने यरूशलेमक, कारण ओ महान् राजाक नगर छनि, 36और ने अपन माथक, कारण अहाँ अपन एकोटा केश केँ ने तँ उज्जर आ ने कारी कऽ सकैत छी। 37अहाँ सभ जखन ‘हँ’ कहऽ चाहैत छी, तँ बस, ‘हँ’ए कहू, जखन ‘नहि’ कहऽ चाहैत छी, तँ ‘नहि’ए कहू। एहि सँ बेसी जे किछु बजैत छी से शैतान सँ प्रेरित बात अछि।
बदला लेनाइ
(लूका 6:29-30)
38“अहाँ सभ सुनने छी जे एना कहल गेल छल, ‘केओ जँ ककरो आँखि फोड़य तँ ओकरो आँखि फोड़ल जाय, आ केओ जँ ककरो दाँत तोड़य तँ ओकरो दाँत तोड़ल जाय।’#5:38 प्रस्थान 21:24; लेवी 24:20; व्यव 19:21 39मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, जँ कोनो दुष्ट लोक अहाँ केँ किछु करओ, तँ ओकर विरोध नहि करू। केओ जँ अहाँक दहिना गाल पर थप्पड़ मारय तँ ओकरा सामने दोसरो गाल कऽ दिऔक। 40केओ जँ अहाँ पर मोकदमा कऽ अहाँक कुर्ता लेबऽ चाहय तँ ओकरा ओढ़नो लेबऽ दिऔक। 41जँ केओ अहाँ सँ कोनो वस्तु जबरदस्ती एक कोस उघबाबय तँ अहाँ दू कोस उघि दिऔक। 42जे केओ अहाँ सँ किछु मँगैत अछि तकरा दिऔक, आ जे केओ अहाँ सँ पैंच लेबऽ चाहैत अछि तकरा सँ मुँह नहि घुमाउ।
शत्रु सँ प्रेम
(लूका 6:27-28, 32-36)
43“अहाँ सभ सुनने छी जे एना कहल गेल छल, ‘अपना पड़ोसी सँ प्रेम करह#5:43 लेवी 19:18 आ अपन शत्रु सँ दुश्मनी राखह।’ 44मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, अपना शत्रु सभ सँ प्रेम करू आ अहाँ केँ जे सभ सतबैत अछि तकरा सभक लेल प्रभु सँ प्रार्थना करू। 45तखने अहाँ स्वर्ग मे रहऽ वला अपन पिताक सन्तान बनब। कारण, ओ दुष्ट आ सज्जन दूनू पर अपन सूर्यक प्रकाश दैत छथि, आ धर्मी और अधर्मी दूनू पर वर्षा करबैत छथि।
46“जँ अहाँ मात्र ओकरे सभ सँ प्रेम करी जे अहाँ सँ प्रेम करैत अछि तँ अहाँ केँ परमेश्वर सँ की इनाम भेटत? की कर असूल कयनिहार ठकहारो सभ एहिना नहि करैत अछि? 47आ जँ अहाँ मात्र अपने लोक सभक कुशल-मङलक पुछारी करैत छी तँ अहाँ कोन बड़का काज करैत छी? की परमेश्वर केँ नहि चिन्हऽ वला जातिक लोक सभ सेहो एहिना नहि करैत अछि? 48तेँ अहाँ सभ सिद्ध बनू जेना स्वर्ग मे रहऽ वला अहाँ सभक पिता परमेश्वर सिद्ध छथि।
Επιλέχθηκαν προς το παρόν:
:
Επισημάνσεις
Κοινοποίηση
Αντιγραφή
Θέλετε να αποθηκεύονται οι επισημάνσεις σας σε όλες τις συσκευές σας; Εγγραφείτε ή συνδεθείτε
©2010 The Bible Society of India and © Wycliffe Bible Translators, Inc.