“बेर, जोन अऊ तरईया मन में, चिन्हा दिखही अऊ धरती में जाति-जाति कर मईनसे मन में संकट आही, काबरकि ओमन समूंदर कर गरज अऊ लहर कर अवाज ले, ढेरेच अकबकाए जाही। ढेरेच डर कर मारे अऊ दुनिया में अवईया संकट ला देख के, मईनसे मन कर जीव में जीव नई रही, काबरकि अगास कर सक्ति मन हिलाल जाहीं। तेकर ओमन मईनसे कर बेटा ला सक्ति, अऊ बड़खा महिमा कर संगे, बदरी में आवत देखहीं।