मैंने सुना तथा सुनकर इस पर ध्यान दिया है,
उनका वचन ठीक नहीं है.
एक भी व्यक्ति ने बुराई का परित्याग कर प्रायश्चित नहीं किया है,
उनका तर्क है, “मैंने किया ही क्या है?”
हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया है
जैसे घोड़ा रणभूमि में द्रुत गति से दौड़ता हुआ जा उतरता है.