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विलापगीत 1:1
सरल हिन्दी बाइबल
कैसी अकेली रह गई है, यह नगरी जिसमें कभी मनुष्यों का बाहुल्य हुआ करता था! कैसा विधवा के सदृश स्वरूप हो गया है इसका, जो राष्ट्रों में सर्वोत्कृष्ट हुआ करती थी! जो कभी प्रदेशों के मध्य राजकुमारी थी आज बंदी बन चुकी है.
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विलापगीत 1:2
रात्रि में बिलख-बिलखकर रोती रहती है, अश्रु उसके गालों पर सूखते ही नहीं. उसके अनेक-अनेक प्रेमियों में अब उसे सांत्वना देने के लिए कोई भी शेष न रहा. उसके सभी मित्रों ने उससे छल किया है; वस्तुतः वे तो अब उसके शत्रु बन बैठे हैं.
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विलापगीत 1:20
“याहवेह, मेरी ओर दृष्टि कीजिए! क्योंकि मैं पीड़ा में डूबी हुई हूं, अत्यंत प्रचंड है मेरी आत्मा की वेदना, अपने इस विकट विद्रोह के कारण मेरे अंतर में मेरा हृदय अत्यंत व्यग्र है. बाहर तो तलवार संहार में सक्रिय है; यहां आवास में मानो मृत्यु व्याप्त है.
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