मैं चाहता हूँ कि सब जगह पुरुष, बैर तथा विवाद छोड़कर, श्रद्धापूर्वक हाथ ऊपर उठा कर प्रार्थना करें। मैं यह भी चाहता हूँ कि स्त्रियाँ शिष्ट वेशभूषा में मर्यादा और शालीनता का ध्यान रखें और कृत्रिम केश-विन्यास, स्वर्ण, मोतियों एवं कीमती वस्त्रों से नहीं, बल्कि सत्कर्मों से अपना बनाव-सिंगार करें, जैसा कि उन स्त्रियों को शोभा देता है, जो ईश्वर-भक्त होने का दावा करती हैं।