शद्रक, मेशक और अबेदनगो ने राजा को उत्तर दिया, “महाराज, इस सम्बन्ध में हम उत्तर देना आवश्यक नहीं समझते। यदि हमारे साथ ऐसा व्यवहार किया जाएगा, तो हम जिस परमेश्वर की सेवा-आराधना करते हैं, वह हमें धधकती हुइ अग्नि की भट्ठी में से भी छुड़ा लेगा। महाराज, वह हमें आपके हाथ से भी छुड़ा सकता है। महाराज, यदि आप हमें धधकती हुई अग्नि की भट्ठी में नहीं डालेंगे, तो भी हम आपके देवताओं की सेवा-आराधना नहीं करेंगे, और न आपके द्वारा स्थापित स्वर्ण-मूर्ति के सम्मुख झुककर उसके प्रति सम्मान प्रकट करेंगे।’