मैंने, तुम्हारे प्रभु परमेश्वर ने तुम्हारे हाथों से किए गए सब कार्यों पर आशिष दी है। मैं इस विशाल निर्जन प्रदेश में यात्रा के समय तुम्हारी देख-भाल करता आया हूं। मैं तुम्हारा प्रभु-परमेश्वर, इन चालीस वर्षों की अवधि में तुम्हारे साथ रहा हूं, और तुम्हें किसी वस्तु का अभाव नहीं हुआ।”