सर्वोच्च और महान परमेश्वर,
जिसका नाम पवित्र है,
जो अनन्तकाल तक जीवित है,
यह कहता है :
‘मैं उच्च और पवित्र स्थान में
निवास करता हूं,
पर मैं उसके साथ भी विद्यमान रहता हूं
जिसकी आत्मा विदीर्ण और विनम्र है।
मैं उस विनम्र व्यक्ति की आत्मा को
संजीव करता हूं,
और उसके विदीर्ण हृदय को पुनर्जीवित।
‘मैं इस्राएल पर सदा अभियोग नहीं लगाता
रहूंगा,
और न सदा क्रुद्ध रहूंगा;
क्योंकि मुझसे आत्मा निसृत होता है,
मैंने ही जीवन का श्वास सृजा है।