क्योंकि जब-जब मैं जोर से बोलता हूं,
तब-तब मेरे ओठों से बड़े जोर-शोर से
‘हिंसा और विनाश’ की नबूवत ही निकलती है।
प्रभु तेरा वचन मेरे लिए
निन्दा और अपमान का कारण बन गया,
और मैं यह दिन-भर सहता हूं।
यदि मैं यह कहूं,
कि मैं तेरी चर्चा न करूंगा,
तेरे नाम से नहीं बोलूंगा,
तो मेरे हृदय में मानो अग्नि धधक उठती है,
और वह हड्डियों में समा जाती है।
मैं उस आग को बाहर निकलने से
रोक नहीं पाता हूं;
सचमुच मैं उसको रोक सकने में
असमर्थ हो जाता हूं।