यही कारण है कि परमेश्वर ने उन्हें उनकी घृणित वासनाओं का शिकार होने दिया। उनकी स्त्रियाँ प्राकृतिक संसर्ग छोड़ कर अप्राकृतिक संसर्ग करने लगीं। इसी प्रकार उनके पुरुष भी स्त्रियों का प्राकृतिक संसर्ग छोड़ कर एक-दूसरे के लिए वासना से जलने लगे। पुरुष पुरुषों के साथ कुकर्म करते हैं और इस प्रकार वे अपने भ्रष्ट आचरण का उचित फल स्वयं भोग रहे हैं।
उन्होंने परमेश्वर का सच्चा ज्ञान प्राप्त करना उचित नहीं समझा, इसलिए परमेश्वर ने उन्हें उनकी भ्रष्ट बुद्धि पर छोड़ दिया, जिससे वे अनुचित आचरण करने लगे।