‘स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है: यदि तू मेरे मार्ग पर चलेगा, जो दायित्व मैंने तुझे सौंपा है, उसको पूरा करेगा, तब तू मेरे मन्दिर का व्यवस्थापक होगा, मेरे मन्दिर के आंगनों का दायित्व संभालेगा। तब मैं तुझे इन सेवकों के मध्य, जो यहाँ खड़े हैं, आने-जाने का अधिकार दूंगा।