मैंने (यहेजकेल) एक धूल भरी आंधी उत्तर से आती देखी। यह एक विशाल बादल था और उसमें से आग चमक रही थी। इसके चारों ओर प्रकाश जगमगा रहा था। यह आग में चमकते तप्त धातु सा दिखता था। बादल के भीतर चार प्राणी थे। वे मनुष्यों की तरह दिखते थे। किन्तु हर एक प्राणी के चार मुख और चार पंख थे। उनके पैर सीधे थे। उनके पैर बछड़े के पैर जैसे दिखते थे और वे झलकाये हुए पीतल की तरह चमकते थे। उनके पंखों के नीचे मानवी हाथ थे। वहाँ चार प्राणी थे और हर एक प्राणी के चार मुख और चार पंख थे। उनके पंख एक दूसरे को छूते थे। जब वे चलते थे, मुड़ते नहीं थे। वे उसी दिशा में चलते थे जिसे देख रहे थे।