पत्नी, अपने पति के अधीन उसी प्रकार रहे, जैसे प्रभु के. क्योंकि पति उसी प्रकार अपनी पत्नी का सिर है, जिस प्रकार मसीह अपनी देह कलीसिया के सिर हैं, जिसके वह उद्धारकर्ता भी हैं. जिस प्रकार कलीसिया मसीह के अधीन है, उसी प्रकार पत्नी हर एक विषय में पति के अधीन रहे. पति, अपनी पत्नी से, उसी प्रकार प्रेम करे जिस प्रकार मसीह ने कलीसिया से प्रेम किया और स्वयं को उसके लिए बलिदान कर दिया कि वह उसे वचन के स्नान के द्वारा पाप से शुद्ध कर अपने लिए अलग करे, कि उसे अपने लिए ऐसी तेजस्वी कलीसिया बनाकर पेश करें जिसमें न कोई कलंक, न कोई झुर्री, न ही इनके जैसा कोई दोष हो परंतु वह पवित्र व निष्कलंक हो. इसी प्रकार, पति के लिए उचित है कि वह अपनी पत्नी से वैसे ही प्रेम करे जैसे अपने शरीर से करता है. वह, जो अपनी पत्नी से प्रेम करता है, स्वयं से प्रेम करता. है क्योंकि कोई भी अपने शरीर से घृणा नहीं करता परंतु स्नेहपूर्वक उसका पोषण करता है, जिस प्रकार मसीह कलीसिया का करते हैं, “क्योंकि हम उनके शरीर के अंग हैं. इस कारण पुरुष अपने माता-पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा तथा वे दोनों एक देह होंगे” यह एक गहरा भेद है और मैं यह मसीह और कलीसिया के संदर्भ में उपयोग कर रहा हूं. फिर भी, तुममें से हर एक अपनी पत्नी से अपने समान प्रेम करें और पत्नी अपने पति का सम्मान करे.
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