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मिस्र के विरोध में भविष्यवाणी
1मिस्र के विरोध में भविष्यवाणी:
देखो, याहवेह उड़नेवाले बादलों पर सवार होकर
मिस्र आ रहे हैं.
उनके आने से मूर्तियां हिलने लगेंगी,
और मिस्र के लोग कांपने लगेंगे.
2“मैं मिस्रियों को एक दूसरे के विरुद्ध भड़काऊंगा—
वे आपस में झगड़ा करेंगे, भाई अपने भाई से,
पड़ोसी अपने पड़ोसी से,
नगर दूसरे नगर के विरुद्ध,
और राज्य दूसरे राज्य के विरुद्ध हो जायेंगे.
3तब मिस्रियों की हिम्मत टूट जाएगी,
और मैं उनकी सब योजनाओं को विफल कर दूंगा;
तब वे मूर्तियां, ओझों, तांत्रों
तथा टोन्हों की शरण में जाएंगे.
4मैं मिस्रियों को एक
निर्दयी स्वामी के अधीन कर दूंगा,
और एक भयंकर राजा उन पर शासन करेगा,”
सर्वशक्तिमान याहवेह की यह वाणी है.
5समुद्र का जल सूख जाएगा,
और नदियां भी सूख कर खाली हो जाएंगी.
6नदियों से बदबू आएगी;
और मिस्र की नहरें सूख कर खाली हो जाएंगी.
सरकंडे और सिवार मुरझा जाएंगे,
7नदी तट के मुहाने के सरकंडे,
और नदी के किनारे में लगाए गए पौधे सूख जाएंगे, वहां कुछ नहीं बचेगा.
8मछुवे रोएंगे,
जो नील नदी में मछली पकड़ने लिए जाल डालते हैं;
वे दुःखी होंगे.
9सूत बुनने वाले निराश होंगे. बुनकरों की उम्मीद कम हो जाएगी!
10मिस्र के अमीर लोग निराश होंगे,
और भाड़े के मज़दूर उदास हो जाएंगे.
11ज़ोअन के शासक सब मूर्ख हैं;
फ़रोह के सब मंत्री मूर्ख हैं.
तुम फ़रोह से कैसे कह सकते हो,
“मैं बुद्धिमान राजा का पुत्र हूं.”
12तो, कहां है तुम्हारी बुद्धि?
जो बता सके कि
मिस्र के विरुद्ध सर्वशक्तिमान याहवेह ने
क्या योजना बनाई है.
13ज़ोअन के शासक मूर्ख हैं,
और नोफ के उच्च अधिकारियों को धोखा मिला;
जो उसके कुल के मुखिया थे
वे मिस्र को विनाश की ओर ले गए हैं.
14याहवेह ने मुखियाओं को
मूर्खता की आत्मा दी है,
मिस्र को उसके
सब कामों में धोखा दे रहे थे.
वे मतवाले की नाई डगमगाते थे.
15मिस्र की न तो सिर और न ही पूंछ न ही ऊपर खजूर की डाली
और न नीचे सरकंडा किसी प्रकार से सहायक हो सकेगा.
16उस समय मिस्री स्त्रियों के समान होगें. जब याहवेह उन पर अपना हाथ बढ़ायेंगे तब वे डरकर कांपने लगेंगे. 17यहूदाह मिस्र के लोगों के लिए डर का कारण हो जाएगा; जो कोई इनकी बात सुनेगा वह कांप जाएगा, त्सबाओथ के याहवेह ने उनके विरुद्ध ऐसा ही किया है.
18उस समय मिस्र देश में पांच नगर होंगे जो कनानी भाषा बोलेंगे और वे सर्वशक्तिमान याहवेह के प्रति आदर रखने की शपथ खाएंगे. उन पांच नगरों में से एक नगर का नाम नाश नगर#19:18 नाश नगर कुछ पाण्डुलिपियों में सूर्य नगर रखा जाएगा.
19उस समय वे मिस्र देश में याहवेह के लिए एक वेदी और गढ़ बनाएंगे, और मिस्र की सीमाओं में याहवेह के लिये एक खंभा खड़ा होगा. 20मिस्र देश में यह सर्वशक्तिमान याहवेह का एक चिन्ह और साक्षी होगा. जब वे दुःख देने वालों के कारण याहवेह को पुकारेंगे, तब याहवेह उनके पास एक उद्धारकर्ता और रक्षक भेजकर उनको छुड़ाएंगे. 21याहवेह स्वयं अपने आपको मिस्रियों पर प्रकट करेंगे, और उस दिन मिस्री याहवेह को पहचानेंगे और बलि और भेंट के साथ याहवेह की आराधना करेंगे. वे याहवेह की शपथ खाएंगे और उन्हें पूरा भी करेंगे. 22याहवेह मिस्रियों को मारेंगे; याहवेह मारेंगे और चंगा भी करेंगे. तब वे याहवेह की ओर लौट आएंगे, याहवेह उन्हें उत्तर देंगे और चंगा करेंगे.
23उस समय मिस्र से अश्शूर तक एक राजमार्ग होगा. अश्शूरी मिस्र देश में आएंगे और मिस्री अश्शूर देश में और दोनों मिलकर आराधना करेंगे. 24उस समय मिस्र, अश्शूर तथा इस्राएल तीनों पृथ्वी पर आशीष पायेंगे. 25जिनके विषय में याहवेह ने कहा है, “मेरी प्रजा मिस्र पर आशीष पाए और अश्शूर, जो मेरे हाथों की रचना है, तथा इस्राएल भी जो मेरी मीरास है.”