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1किसने हमारी बातों पर विश्वास किया
और याहवेह के हाथ किस पर प्रकट हुए हैं?
2क्योंकि वह जो उनके सामने अंकुर के समान
और ऐसे उगा जैसे सूखी भूमि से निकला हो.
उसका रूप न तो सुंदर था न प्रभावशाली कि हमें अच्छा लगे,
न ही ऐसा रूप कि हम उसकी ओर देखते.
3वह तो मनुष्यों द्वारा तुच्छ जाना जाता तथा त्यागा हुआ था,
वह दुःखी पुरुष था, रोगों से परिचित था.
उसे देखकर लोग अपना मुंह छिपा लेते हैं
वह तुच्छ जाना गया, और हमने उसके महत्व को न जाना.
4उसने हमारे रोगों को सह लिया और उठा लिया
उसने हमारे ही दुखों को अपने ऊपर ले लिया,
स्वयं हमने उसे परमेश्वर द्वारा मारा कूटा
और दुर्दशा में पड़ा हुआ समझा.
5हमारे पापों के कारण ही उसे रौंदा गया,
हमारे अधर्म के कामों के कारण वह कुचला गया;
उसके कोड़े खाने से,
हम चंगे हुए.
6हम सभी भेड़ों के समान भटक गए थे,
हममें से हर एक ने अपना मनचाहा मार्ग अपना लिया;
किंतु याहवेह ने हम सभी के अधर्म का
बोझ उसी पर लाद दिया.
7वह सताया गया और,
फिर भी कुछ न कहा;
वध के लिए ले जाए जा रहे मेमने के समान उसको ले जाया गया,
तथा जैसे ऊन कतरनेवाले के सामने मेमना शांत रहता है,
वैसे ही उसने भी अपना मुख न खोला.
8अत्याचार करके और दोष लगाकर
उसे दंड दिया गया.
वह जीवितों के बीच में से उठा लिया गया;
मेरे ही लोगों के पापों के कारण उसे मार पड़ी.
9उसकी कब्र दुष्ट व्यक्तियों के साथ रखी गई,
फिर भी अपनी मृत्यु में वह एक धनी व्यक्ति के साथ था,
क्योंकि न तो उससे कोई हिंसा हुई थी,
और न उसके मुंह से कोई छल की बात निकली.
10तो भी याहवेह को यही अच्छा लगा की उसे कुचले; उसी ने उसको रोगी कर दिया,
ताकि वह अपने आपको पाप बलिदान के रूप में अर्पित करें,
तब वह अपने वंश को देख पायेंगे और वह बहुत दिन जीवित रहेंगे,
तथा इससे याहवेह की इच्छा पूरी होगी.
11और अपने प्राणों का दुःख उठाकर
उसे देखेंगे और संतोष पायेंगे;
अपने ज्ञान के द्वारा वह जो धर्मी व्यक्ति है मेरा सेवक अनेकों को धर्मी बनाएगा,
क्योंकि वही उनके पाप का बोझ उठाएगा.
12अतः मैं उसे महान लोगों के साथ एक भाग दूंगा,
वह लूटी हुई चीज़ों को सामर्थ्यी व्यक्तियों में बांट देगा,
उसने अपने प्राणों को मृत्यु में ढाल दिया,
उसकी गिनती अपराधियों में की गई.
फिर भी उसने अनेकों के पाप का बोझ उठाया,
और अपराधियों के लिए मध्यस्थता की!