‘पर प्रभु, मैं कौन हूँ और मेरी जनता क्या है कि हम यों स्वेच्छा से तुझे भेंट चढ़ाने में समर्थ हो सकें? क्योंकि सब वस्तुओं का स्रोत तू ही है। हमने तुझे तेरी ही वस्तु अर्पित की है।
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