क्या मसीह खण्ड-खण्ड हो गये हैं? क्या पौलुस आप लोगों के लिए क्रूस पर मारे गये थे? क्या आप लोगों को पौलुस के नाम पर बपतिस्मा मिला है? परमेश्वर को धन्यवाद कि मैंने क्रिस्पुस और गायुस को छोड़ कर आप लोगों में से किसी को बपतिस्मा नहीं दिया! इसलिए कोई यह नहीं कह सकता कि आप को पौलुस के नाम पर बपतिस्मा मिला है। हाँ! मैंने स्तिफनास के परिवार को भी बपतिस्मा दिया। जहाँ तक मुझे स्मरण है, मैंने इनके अतिरिक्त किसी को बपतिस्मा नहीं दिया; क्योंकि मसीह ने मुझे बपतिस्मा देने नहीं, बल्कि शुभ समाचार का प्रचार करने भेजा है। मैंने इस कार्य के लिए सांसारिक ज्ञान से परिपूर्ण भाषा का उपयोग नहीं किया, जिससे मसीह के क्रूस के सन्देश का प्रभाव फीका न पड़े। जो विनाश के मार्ग पर चलते हैं, वे क्रूस की शिक्षा को ‘मूर्खता’ समझते हैं। किन्तु हम लोगों के लिए, जो मुक्ति के मार्ग पर चलते हैं, वह परमेश्वर का सामर्थ्य है; क्योंकि धर्मग्रन्थ में लिखा है, “मैं ज्ञानियों का ज्ञान नष्ट करूंगा और समझदारों की समझ व्यर्थ कर दूँगा।” हम में इस संसार के ज्ञानी, शास्त्री और दार्शनिक कहाँ है? क्या परमेश्वर ने इस संसार के ज्ञान को मूर्खतापूर्ण नहीं प्रमाणित किया है? परमेश्वर की प्रज्ञ का विधान ऐसा था कि संसार अपने ज्ञान द्वारा परमेश्वर को नहीं पहचान सका। इसलिए परमेश्वर ने शुभ समाचार के प्रचार की ‘मूर्खता’ द्वारा विश्वासियों को बचाना चाहा। यहूदी चमत्कार माँगते और यूनानी ज्ञान चाहते हैं, किन्तु हम क्रूसित मसीह का ही प्रचार करते हैं। यह यहूदियों के विश्वास में बाधा है और गैर-यहूदियों के लिए ‘मूर्खता’। किन्तु परमेश्वर के चुने हुए लोगों के लिए, चाहे वे यहूदी हों या यूनानी, यही मसीह परमेश्वर का सामर्थ्य और परमेश्वर की प्रज्ञ है; क्योंकि परमेश्वर की ‘मूर्खता’ मनुष्यों के ज्ञान से अधिक विवेकपूर्ण और परमेश्वर की ‘दुर्बलता’ मनुष्यों की शक्ति से अधिक शक्तिशाली है। भाइयो और बहिनो! इस बात पर विचार कीजिए कि बुलाये जाते समय संसार की दृष्टि में आप लोगों में से बहुत कम लोग ज्ञानी, शक्तिशाली अथवा कुलीन थे। ज्ञानियों को लज्जित करने के लिए परमेश्वर ने उन लोगों को चुना है, जो संसार की दृष्टि में मूर्ख हैं। शक्तिशालियों को लज्जित करने के लिए उसने उन लोगों को चुना है, जो संसार की दृष्टि में दुर्बल हैं। गण्य-माण्य लोगों का घमण्ड चूर करने के लिए उसने उन लोगों को चुना है, जो संसार की दृष्टि में तुच्छ, नीच और नगण्य हैं, जिससे कोई भी निरा मनुष्य परमेश्वर के सामने गर्व न करे। उसी परमेश्वर के वरदान से आप लोग येशु मसीह के अंग बन गये हैं। परमेश्वर ने मसीह को हमारा ज्ञान, धार्मिकता, पवित्रता और पापमुक्ति बना दिया है। इसलिए, जैसा कि धर्मग्रन्थ में लिखा है, “यदि कोई गर्व करना चाहे, तो वह प्रभु पर गर्व करे।”
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