1 शमूएल 2
2
हन्नाह का स्तुति-गान
1हन्नाह ने प्रार्थना की और कहा:
‘मेरा हृदय प्रभु में फूला नहीं समा रहा है।
मेरे परमेश्वर के कारण मेरा सिर#2:1 शब्दश: “सींग” ऊंचा
हुआ है।
अब अपने शत्रुओं के प्रति मेरा मुँह खुल
गया है;
अपने उद्धारकर्ता के कारण मैं आनन्द
मनाती हूँ।#लू 1:46-55; यश 61:10
2‘प्रभु के सदृश कोई पवित्र नहीं है।
निस्सन्देह उसके अतिरिक्त कोई नहीं है।
हमारे परमेश्वर जैसी कोई चट्टान नहीं है।
3अब गर्व के बोल मत बोलो।
तुम्हारे मुँह से धृष्ट वचन न निकलें;
क्योंकि प्रभु सर्वज्ञ परमेश्वर है,
वही कर्मों को तौलता है।
4शक्तिशाली योद्धाओं के धनुष टूट गए,
पर निर्बल शक्ति-सम्पन्न हो गए।
5भर पेट भोजन करने वालों को
अब रोटी के लिए मजदूरी करनी पड़ी;
किन्तु भूखों को लूट के कारण भूख से छुट्टी
मिल गई।
बांझ स्त्री ने सात बार जन्म दिया,
पर अनेक पुत्रों की माता उजड़ गई!#भज 113:9; यश 54:1
6‘प्रभु ही प्राण लेने वाला,
और वही प्राण देने वाला है!
वही अधोलोक में ले जाने वाला,
और वही मृतक को जिलाने वाला है।#व्य 32:39; प्रज्ञ 16:13; तोब 13:2
7प्रभु ही व्यक्ति को निर्धन बनाने वाला,
और वही धनवान बनाने वाला है;
वही गिराने वाला,
और वही उठाने वाला है।
8वह दुर्बलों को धूल से उठाकर खड़ा
करता है,
दरिद्रों को राख के ढेर से निकालकर
उठाता है।
वह उन्हें शासकों के साथ बैठाता है;
वह उन्हें सम्मानित आसन का उत्तराधिकारी
बनाता है;
क्योंकि पृथ्वी के आधार-स्तम्भ प्रभु के ही हैं,
इन पर ही उसने जगत को खड़ा किया है।
9‘अपने भक्तों के कदमों की रक्षा प्रभु करता है;
किन्तु अन्धकार में दुर्जन चुप किए जाएँगे;
क्योंकि मनुष्य केवल अपने बाहु-बल से
प्रबल नहीं होता है।
10प्रभु के विरोधी टुकड़े-टुकड़े कर दिए
जाएँगे;
सर्वोच्च प्रभु आकाश से उन पर गरजेगा।
वह पृथ्वी के सीमांतों तक न्याय करेगा;
वह अपने राजा को शक्ति प्रदान करेगा,
और अपने अभिषिक्त का सिर ऊंचा
उठाएगा।’#भज 89:25
11तत्पश्चात् हन्नाह#2:11 मूल में ‘एलकानाह’। अपने घर रामाह नगर चली गईं। बालक शमूएल पुरोहित एली की उपस्थिति में प्रभु की सेवा करने लगा।
पुरोहित एली के परिवार के विरुद्ध नबूवत
12एली के पुत्र बदमाश और गुण्डे थे। उन्हें प्रभु का अनुभव#2:12 अथवा, ‘नहीं जानते थे’। नहीं था। 13आराधकों के सम्बन्ध में पुरोहित की यह प्रथा थी: जब कोई व्यक्ति पशु की बलि करता तब पुरोहित का सेवक अपने हाथ में त्रिशूल लेकर आ जाता था।#लेव 7:28-36 14जब मांस कड़ाही, देगची, हण्डा अथवा हण्डी में पकने लगता तब सेवक त्रिशूल को उस में चुभोता था। जो मांस त्रिशूल में लग जाता, वह पुरोहित ले लेता था। शिलोह में आने वाले हरएक इस्राएली के साथ ऐसा ही व्यवहार किया जाता था। 15इसके अतिरिक्त पुरोहित का सेवक चर्बी जलाने के पूर्व बलि चढ़ाने वाले व्यक्ति के पास आता, और उससे यह कहता था, ‘भूंजने के लिए पुरोहित का मांस दो। वह तुमसे पका हुआ मांस नहीं, वरन् कच्चा मांस लेंगे।’ 16यदि बलि चढ़ाने वाला व्यक्ति उसको यह उत्तर देता, ‘पहले उन्हें चर्बी जला लेने दो। उसके बाद जितना मांस लेने की इच्छा हो, उतना ले लेना’, तो सेवक उससे कहता था, ‘नहीं! मुझे अभी कच्चा मांस दो। यदि तुम नहीं दोगे तो मैं उसको बल-पूर्वक ले लूँगा।’ 17युवा पुरोहितों का यह पाप प्रभु की दृष्टि में अत्यन्त गंभीर था, क्योंकि वे प्रभु की भेंट का तिरस्कार करते थे।
18बालक शमूएल प्रभु के सम्मुख सेवा करता था। वह कमर में सूती लुंगी#2:18 अथवा, “एपोद” पहनता था। 19उसकी माँ उसके लिए प्रति वर्ष एक छोटा लबादा बनाती थी। जब वह अपने पति के साथ वार्षिक बलि चढ़ाने के लिए शिलोह जाती तब उसको शमूएल के पास ले जाती थी। 20पुरोहित एली एलकानाह और उसकी पत्नी हन्नाह को आशीर्वाद देता, और यह कहता था, ‘जो पुत्र इस स्त्री ने प्रभु को अर्पित किया है, उसके स्थान पर प्रभु तुम्हें इस स्त्री के द्वारा संतति प्रदान करे।’ उसके बाद वे अपने घर चले जाते थे।
21प्रभु ने हन्नाह की सुधि ली। उसका गर्भ खुल गया। उसने तीन पुत्रों और दो पुत्रियों को जन्म दिया। बालक शमूएल प्रभु के पवित्र स्थान में बड़ा हुआ।
22अब एली बहुत वृद्ध हो गया था। वह सुना करता था कि उसके पुत्र इस्राएलियों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं। वे मिलन-शिविर के प्रवेश-द्वार में सेवा करने वाली स्त्रियों से सम्भोग करते हैं। 23अत: उसने अपने पुत्रों से कहा, ‘तुम ये काम क्यों कर रहे हो? मैं तुम्हारे कुकर्मों के विषय में लोगों से सुन रहा हूँ। 24नहीं, मेरे पुत्रो! जिन बातों को प्रभु के लोग सर्वत्र फैला रहे हैं, और जिन्हें मैं सुन रहा हूँ, वे अच्छी नहीं है। 25यदि एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के प्रति अपराध करता है, तो परमेश्वर उसके लिए हस्तक्षेप करता है। परन्तु यदि व्यक्ति स्वयं प्रभु के प्रति पाप करेगा तो कौन उसकी क्षमा के लिए प्रार्थना कर सकता है?’ पुत्रों ने अपने पिता की बातों पर कान नहीं दिया; क्योंकि यह प्रभु की इच्छा थी कि वे मर जाएँ।
26बालक शमूएल बड़ा होता जा रहा था; न केवल कद में, वरन् प्रभु और लोगों की कृपा-दृष्टि में भी।#लू 2:40,52; प्रव 46:13
27एक दिन परमेश्वर का एक प्रियजन एली के पास आया। उसने एली से कहा, ‘प्रभु ने यह कहा है: “जब तेरा पितृ-कुल मिस्र देश में फरओ राजाओं का गुलाम था तब मैंने उस पर स्वयं को प्रकट किया था। 28मैंने इस्राएल के सब कुलों में से तेरे पितृ-कुल को चुना था कि वह मेरा पुरोहित बने, मेरी वेदी के निकट आए, सुगंधित धूप-द्रव्य जलाए, और मेरे एपोद को वहन करे।#2:28 अथवा “पहिना करे” । जो अग्नि-बलि इस्राएली मुझे चढ़ाते थे, वह सब मैं तेरे पितृ-कुल को दे देता था।#नि 28:1; लेव 7:35-36 29तब तू क्यों मेरी बलि और भेंटों को, जिनको चढ़ाने की आज्ञा मैंने इस्राएलियों को दी है, लोलुप दृष्टि से देखता है? तू अपने पुत्रों को मुझसे अधिक आदरणीय समझता है जिससे वे मेरे इस्राएली लोगों की प्रत्येक भेंट का सर्वोत्तम अंश खाकर स्वयं को पुष्ट करें?” 30इसलिए इस्राएल के प्रभु परमेश्वर की यह घोषणा है: “यद्यपि मैंने निस्सन्देह यह कहा था कि तेरा पितृ-कुल सदा मेरे सम्मुख रह कर मेरी सेवा करेगा, और मेरा कृपा-पात्र बनेगा, तथापि अब मुझ-प्रभु की यह गंभीर घोषणा है: मेरी यह बात मुझ से दूर हो! मैं अपने आदर करने वालों का आदर करूँगा, और मुझे तुच्छ समझने वालों को तुच्छ समझूँगा। 31देख वे दिन आ रहे हैं, जब मैं तेरी संतति को, तेरे पितृ-कुल के आधार-स्तम्भ को तोड़ दूँगा। फलत: तेरे परिवार में वृद्ध पुरुष नहीं रह जाएगा।#1 शम 4:11 32तब तू अपनी दुर्दशा में इस्राएलियों की समृद्धि जो मैं उन पर बरसाऊंगा ईष्र्या की दृष्टि से देखेगा#2:32 मूल अस्पष्ट। । तेरे परिवार में कोई वृद्ध पुरुष कभी नहीं होगा! 33मैं तुम में से एक पुरुष को अपनी वेदी के सम्मुख से न हटाकर जीवित रखूँगा, जिससे रो-रोकर उसकी आँखें धंस जाएँ, और उसके प्राण मुरझा जाएँ। तेरे परिवार के समस्त सदस्य तलवार से मृत्यु के घाट उतार दिए जाएँगे।#1 शम 22:16-19 34जो घटना तेरे दोनों पुत्रों, होफ्नी और पीनहास, के साथ घटेगी, वह तेरे लिए एक संकेत-चिह्न होगा। घटना यह है कि तेरे दोनों पुत्रों की मृत्यु एक ही दिन होगी। 35मैं अपने लिए एक विश्वसनीय पुरोहित नियुक्त करूँगा, जो मेरे हृदय और प्राण की इच्छा के अनुसार कार्य करेगा। मैं उसके लिए सुदृढ़ घर का निर्माण करूँगा। वह मेरे अभिषिक्त के सम्मुख सदा रहकर उसकी सेवा करेगा, और उसका कृपा-पात्र बनेगा।#1 रा 2:35; इब्र 2:17 36तेरे परिवार के बचे हुए पुरुष उसके पास जाएँगे और चांदी के एक सिक्के के लिए, रोटी के एक टुकड़े के लिए भूमि पर झुककर उसका अभिवादन करेंगे। वे कहेंगे : ‘कृपाकर, हमें पुरोहित के किसी भी सेवा-कार्य के लिए भरती कर लीजिए जिससे हम रोटी का एक टुकड़ा खा सकें।’ ” ’
वर्तमान में चयनित:
1 शमूएल 2: HINCLBSI
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.
1 शमूएल 2
2
हन्नाह का स्तुति-गान
1हन्नाह ने प्रार्थना की और कहा:
‘मेरा हृदय प्रभु में फूला नहीं समा रहा है।
मेरे परमेश्वर के कारण मेरा सिर#2:1 शब्दश: “सींग” ऊंचा
हुआ है।
अब अपने शत्रुओं के प्रति मेरा मुँह खुल
गया है;
अपने उद्धारकर्ता के कारण मैं आनन्द
मनाती हूँ।#लू 1:46-55; यश 61:10
2‘प्रभु के सदृश कोई पवित्र नहीं है।
निस्सन्देह उसके अतिरिक्त कोई नहीं है।
हमारे परमेश्वर जैसी कोई चट्टान नहीं है।
3अब गर्व के बोल मत बोलो।
तुम्हारे मुँह से धृष्ट वचन न निकलें;
क्योंकि प्रभु सर्वज्ञ परमेश्वर है,
वही कर्मों को तौलता है।
4शक्तिशाली योद्धाओं के धनुष टूट गए,
पर निर्बल शक्ति-सम्पन्न हो गए।
5भर पेट भोजन करने वालों को
अब रोटी के लिए मजदूरी करनी पड़ी;
किन्तु भूखों को लूट के कारण भूख से छुट्टी
मिल गई।
बांझ स्त्री ने सात बार जन्म दिया,
पर अनेक पुत्रों की माता उजड़ गई!#भज 113:9; यश 54:1
6‘प्रभु ही प्राण लेने वाला,
और वही प्राण देने वाला है!
वही अधोलोक में ले जाने वाला,
और वही मृतक को जिलाने वाला है।#व्य 32:39; प्रज्ञ 16:13; तोब 13:2
7प्रभु ही व्यक्ति को निर्धन बनाने वाला,
और वही धनवान बनाने वाला है;
वही गिराने वाला,
और वही उठाने वाला है।
8वह दुर्बलों को धूल से उठाकर खड़ा
करता है,
दरिद्रों को राख के ढेर से निकालकर
उठाता है।
वह उन्हें शासकों के साथ बैठाता है;
वह उन्हें सम्मानित आसन का उत्तराधिकारी
बनाता है;
क्योंकि पृथ्वी के आधार-स्तम्भ प्रभु के ही हैं,
इन पर ही उसने जगत को खड़ा किया है।
9‘अपने भक्तों के कदमों की रक्षा प्रभु करता है;
किन्तु अन्धकार में दुर्जन चुप किए जाएँगे;
क्योंकि मनुष्य केवल अपने बाहु-बल से
प्रबल नहीं होता है।
10प्रभु के विरोधी टुकड़े-टुकड़े कर दिए
जाएँगे;
सर्वोच्च प्रभु आकाश से उन पर गरजेगा।
वह पृथ्वी के सीमांतों तक न्याय करेगा;
वह अपने राजा को शक्ति प्रदान करेगा,
और अपने अभिषिक्त का सिर ऊंचा
उठाएगा।’#भज 89:25
11तत्पश्चात् हन्नाह#2:11 मूल में ‘एलकानाह’। अपने घर रामाह नगर चली गईं। बालक शमूएल पुरोहित एली की उपस्थिति में प्रभु की सेवा करने लगा।
पुरोहित एली के परिवार के विरुद्ध नबूवत
12एली के पुत्र बदमाश और गुण्डे थे। उन्हें प्रभु का अनुभव#2:12 अथवा, ‘नहीं जानते थे’। नहीं था। 13आराधकों के सम्बन्ध में पुरोहित की यह प्रथा थी: जब कोई व्यक्ति पशु की बलि करता तब पुरोहित का सेवक अपने हाथ में त्रिशूल लेकर आ जाता था।#लेव 7:28-36 14जब मांस कड़ाही, देगची, हण्डा अथवा हण्डी में पकने लगता तब सेवक त्रिशूल को उस में चुभोता था। जो मांस त्रिशूल में लग जाता, वह पुरोहित ले लेता था। शिलोह में आने वाले हरएक इस्राएली के साथ ऐसा ही व्यवहार किया जाता था। 15इसके अतिरिक्त पुरोहित का सेवक चर्बी जलाने के पूर्व बलि चढ़ाने वाले व्यक्ति के पास आता, और उससे यह कहता था, ‘भूंजने के लिए पुरोहित का मांस दो। वह तुमसे पका हुआ मांस नहीं, वरन् कच्चा मांस लेंगे।’ 16यदि बलि चढ़ाने वाला व्यक्ति उसको यह उत्तर देता, ‘पहले उन्हें चर्बी जला लेने दो। उसके बाद जितना मांस लेने की इच्छा हो, उतना ले लेना’, तो सेवक उससे कहता था, ‘नहीं! मुझे अभी कच्चा मांस दो। यदि तुम नहीं दोगे तो मैं उसको बल-पूर्वक ले लूँगा।’ 17युवा पुरोहितों का यह पाप प्रभु की दृष्टि में अत्यन्त गंभीर था, क्योंकि वे प्रभु की भेंट का तिरस्कार करते थे।
18बालक शमूएल प्रभु के सम्मुख सेवा करता था। वह कमर में सूती लुंगी#2:18 अथवा, “एपोद” पहनता था। 19उसकी माँ उसके लिए प्रति वर्ष एक छोटा लबादा बनाती थी। जब वह अपने पति के साथ वार्षिक बलि चढ़ाने के लिए शिलोह जाती तब उसको शमूएल के पास ले जाती थी। 20पुरोहित एली एलकानाह और उसकी पत्नी हन्नाह को आशीर्वाद देता, और यह कहता था, ‘जो पुत्र इस स्त्री ने प्रभु को अर्पित किया है, उसके स्थान पर प्रभु तुम्हें इस स्त्री के द्वारा संतति प्रदान करे।’ उसके बाद वे अपने घर चले जाते थे।
21प्रभु ने हन्नाह की सुधि ली। उसका गर्भ खुल गया। उसने तीन पुत्रों और दो पुत्रियों को जन्म दिया। बालक शमूएल प्रभु के पवित्र स्थान में बड़ा हुआ।
22अब एली बहुत वृद्ध हो गया था। वह सुना करता था कि उसके पुत्र इस्राएलियों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं। वे मिलन-शिविर के प्रवेश-द्वार में सेवा करने वाली स्त्रियों से सम्भोग करते हैं। 23अत: उसने अपने पुत्रों से कहा, ‘तुम ये काम क्यों कर रहे हो? मैं तुम्हारे कुकर्मों के विषय में लोगों से सुन रहा हूँ। 24नहीं, मेरे पुत्रो! जिन बातों को प्रभु के लोग सर्वत्र फैला रहे हैं, और जिन्हें मैं सुन रहा हूँ, वे अच्छी नहीं है। 25यदि एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के प्रति अपराध करता है, तो परमेश्वर उसके लिए हस्तक्षेप करता है। परन्तु यदि व्यक्ति स्वयं प्रभु के प्रति पाप करेगा तो कौन उसकी क्षमा के लिए प्रार्थना कर सकता है?’ पुत्रों ने अपने पिता की बातों पर कान नहीं दिया; क्योंकि यह प्रभु की इच्छा थी कि वे मर जाएँ।
26बालक शमूएल बड़ा होता जा रहा था; न केवल कद में, वरन् प्रभु और लोगों की कृपा-दृष्टि में भी।#लू 2:40,52; प्रव 46:13
27एक दिन परमेश्वर का एक प्रियजन एली के पास आया। उसने एली से कहा, ‘प्रभु ने यह कहा है: “जब तेरा पितृ-कुल मिस्र देश में फरओ राजाओं का गुलाम था तब मैंने उस पर स्वयं को प्रकट किया था। 28मैंने इस्राएल के सब कुलों में से तेरे पितृ-कुल को चुना था कि वह मेरा पुरोहित बने, मेरी वेदी के निकट आए, सुगंधित धूप-द्रव्य जलाए, और मेरे एपोद को वहन करे।#2:28 अथवा “पहिना करे” । जो अग्नि-बलि इस्राएली मुझे चढ़ाते थे, वह सब मैं तेरे पितृ-कुल को दे देता था।#नि 28:1; लेव 7:35-36 29तब तू क्यों मेरी बलि और भेंटों को, जिनको चढ़ाने की आज्ञा मैंने इस्राएलियों को दी है, लोलुप दृष्टि से देखता है? तू अपने पुत्रों को मुझसे अधिक आदरणीय समझता है जिससे वे मेरे इस्राएली लोगों की प्रत्येक भेंट का सर्वोत्तम अंश खाकर स्वयं को पुष्ट करें?” 30इसलिए इस्राएल के प्रभु परमेश्वर की यह घोषणा है: “यद्यपि मैंने निस्सन्देह यह कहा था कि तेरा पितृ-कुल सदा मेरे सम्मुख रह कर मेरी सेवा करेगा, और मेरा कृपा-पात्र बनेगा, तथापि अब मुझ-प्रभु की यह गंभीर घोषणा है: मेरी यह बात मुझ से दूर हो! मैं अपने आदर करने वालों का आदर करूँगा, और मुझे तुच्छ समझने वालों को तुच्छ समझूँगा। 31देख वे दिन आ रहे हैं, जब मैं तेरी संतति को, तेरे पितृ-कुल के आधार-स्तम्भ को तोड़ दूँगा। फलत: तेरे परिवार में वृद्ध पुरुष नहीं रह जाएगा।#1 शम 4:11 32तब तू अपनी दुर्दशा में इस्राएलियों की समृद्धि जो मैं उन पर बरसाऊंगा ईष्र्या की दृष्टि से देखेगा#2:32 मूल अस्पष्ट। । तेरे परिवार में कोई वृद्ध पुरुष कभी नहीं होगा! 33मैं तुम में से एक पुरुष को अपनी वेदी के सम्मुख से न हटाकर जीवित रखूँगा, जिससे रो-रोकर उसकी आँखें धंस जाएँ, और उसके प्राण मुरझा जाएँ। तेरे परिवार के समस्त सदस्य तलवार से मृत्यु के घाट उतार दिए जाएँगे।#1 शम 22:16-19 34जो घटना तेरे दोनों पुत्रों, होफ्नी और पीनहास, के साथ घटेगी, वह तेरे लिए एक संकेत-चिह्न होगा। घटना यह है कि तेरे दोनों पुत्रों की मृत्यु एक ही दिन होगी। 35मैं अपने लिए एक विश्वसनीय पुरोहित नियुक्त करूँगा, जो मेरे हृदय और प्राण की इच्छा के अनुसार कार्य करेगा। मैं उसके लिए सुदृढ़ घर का निर्माण करूँगा। वह मेरे अभिषिक्त के सम्मुख सदा रहकर उसकी सेवा करेगा, और उसका कृपा-पात्र बनेगा।#1 रा 2:35; इब्र 2:17 36तेरे परिवार के बचे हुए पुरुष उसके पास जाएँगे और चांदी के एक सिक्के के लिए, रोटी के एक टुकड़े के लिए भूमि पर झुककर उसका अभिवादन करेंगे। वे कहेंगे : ‘कृपाकर, हमें पुरोहित के किसी भी सेवा-कार्य के लिए भरती कर लीजिए जिससे हम रोटी का एक टुकड़ा खा सकें।’ ” ’
वर्तमान में चयनित:
:
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.