इसलिए हम इस शरीर में कराहते रहते और उसके ऊपर अपना स्वर्गिक निवास धारण करने की तीव्र अभिलाषा करते हैं, बशर्ते हम नग्न नहीं, बल्कि वस्त्र पहने पाये जायें। हम इस तम्बू में रहते समय भार से दबते हुए कराहते रहते हैं; क्योंकि बिना पुराना वस्त्र उतारे हम उसके ऊपर नया धारण करना चाहते हैं; जिससे जो मरणशील है, वह अमर जीवन में विलीन हो जाये परमेश्वर ने स्वयं इस उद्देश्य के लिए हमें गढ़ा है और अग्रिम राशि के रूप में हमें पवित्र आत्मा प्रदान किया है। इसलिए हम सदा ही परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं। हम यह जानते हैं कि हम जब तक इस शरीर में हैं, तब तक हम प्रभु से दूर, परदेश में निवास करते हैं; क्योंकि हम आंखों-देखी बातों पर नहीं, बल्कि विश्वास पर चलते हैं। हमें तो परमेश्वर पर पूरा भरोसा है। हम शरीर का घर छोड़ कर प्रभु के यहां बस जाना अधिक पसन्द करते हैं। इसलिए हम चाहे घर में हों चाहे परदेश में, हमारी एकमात्र अभिलाषा यह है कि हम प्रभु को अच्छे लगें, क्योंकि हम-सब को मसीह के न्यायासन के सामने प्रस्तुत किया जायेगा। प्रत्येक व्यक्ति ने शरीर में रहते समय जो कुछ किया है, चाहे वह भलाई हो या बुराई, उसे उसका प्रतिफल मिलेगा।
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