अत: सीरियाई राजा ने वहां घोड़ों और रथों के अतिरिक्त एक विशाल सेना भी भेजी। वे रात के समय आए, और उन्होंने दोतान नगर को घेर लिया। परमेश्वर के जन एलीशा प्रात:काल सोकर उठे। वह बाहर निकले। उन्होंने देखा कि घोड़ों, और रथों के साथ सेना ने नगर को चारों ओर से घेर लिया है। एलीशा के सेवक ने उनसे कहा, ‘हाय! गुरुजी, अब हम क्या करें?’ एलीशा ने कहा, ‘तू मत डर! जो हमारे साथ हैं, वे उनसे अधिक हैं जो शत्रु-सेना के साथ हैं।’ तब एलीशा ने यह प्रार्थना की, ‘हे प्रभु, इस युवक की आंखों को खोल दे, और यह देखने लगे।’ अत: प्रभु ने एलीशा के सेवक की आंखें खोल दीं और उसने देखा कि एलीशा के चारों ओर अग्निमय अश्व और रथ हैं जिनसे पहाड़ भर गया है। सीरियाई सेना एलीशा के पास पहुंची। एलीशा ने प्रभु से यह प्रार्थना की, ‘प्रभु सीरियाई राष्ट्र के इन सैनिकों पर प्रहार कर, और इन्हें अन्धा कर दे।’ अत: प्रभु ने एलीशा की प्रार्थना के अनुसार उन पर प्रहार किया, और उन्हें अन्धा कर दिया।
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