प्रेरितों 8:26-35

प्रेरितों 8:26-35 HINCLBSI

प्रभु के दूत ने फ़िलिप से कहा, “उठिए, यरूशलेम से गाज़ा जाने वाले मार्ग पर दक्षिण की ओर जाइए। यह मार्ग निर्जन है।” वह उठ कर चल पड़ा। उस समय इथियोपिया देश का एक ख़ोजा इथियोपियाई महारानी कन्‍दाके का उच्‍चाधिकारी तथा कोषाध्‍यक्ष था। वह आराधना के लिए यरूशलेम आया था, और अब लौट रहा था। वह अपने रथ पर बैठा हुआ नबी यशायाह का ग्रन्‍थ पढ़ रहा था। आत्‍मा ने फ़िलिप से कहा, “आगे बढ़िए और रथ के साथ चलिए।” फ़िलिप दौड़ कर ख़ोजे के पास पहुंचा और उसे नबी यशायाह का ग्रन्‍थ पढ़ते सुन कर पूछा, “आप जो पढ़ रहे हैं, क्‍या उसे समझते हैं?” उसने उत्तर दिया, “जब तक कोई मेरा मार्गदर्शन न करे, तब तक मैं कैसे समझ सकता हूँ?” उसने फिलिप से निवेदन किया कि वह रथ पर चढ़ कर उसके साथ बैठ जाये। वह धर्मग्रन्‍थ का यह प्रसंग पढ़ रहा था : ‘जैसे भेड़ को वध के लिए ले जाया जाता है, और मेमना ऊन कतरने वाले के सामने नि:शब्‍द रहता है, वैसे ही उसने अपना मुँह नहीं खोला। उसकी दशा दयनीय थी, उसके साथ न्‍याय नहीं किया गया। उसकी वंशावली की चर्चा कौन कर सकेगा? क्‍योंकि उसका जीवन पृथ्‍वी पर समाप्‍त किया जा रहा है।’ ख़ोजे ने फ़िलिप से पूछा, “आप कृपया मुझे बताइए, नबी किसके विषय में यह कह रहे हैं? अपने विषय में या किसी दूसरे के विषय में?” तब फ़िलिप ने कहना आरंभ किया और धर्मग्रन्‍थ के इस प्रसंग को आधार बना कर उसे येशु का शुभ समाचार सुनाया।