दानिएल 10:1-6

दानिएल 10:1-6 HINCLBSI

फारस देश के सम्राट कुस्रू के राज्‍य-काल के तीसरे वर्ष में दानिएल को जो बेलतशस्‍सर भी कहलाते हैं, परमेश्‍वर की ओर से एक वाक्‍य सुनाया गया, और यह वाक्‍य सच था, और वाक्‍य का सम्‍बन्‍ध एक बड़े संघर्ष से था। दानिएल ने वाक्‍य का अर्थ समझ लिया। उनमें दर्शन को समझने की सामर्थ्य थी। “उन दिनों, मैं-दानिएल तीन सप्‍ताह तक आत्‍म-शुद्धि के लिए शोक मना रहा था। पूरे तीन सप्‍ताह तक मैंने राजसी भोजन नहीं किया। न तो मैंने मांस खाया और न मुंह में शराब ही डाली। मैंने तीन सप्‍ताह तक शरीर पर तेल की मालिश भी नहीं की। “पहले महीने के चौबीसवें दिन मैं महानदी दजला के तट पर खड़ा था। सहसा मैंने अपनी आंखें ऊपर उठाई तो मैंने देखा कि एक पुरुष खड़ा है। वह सन का वस्‍त्र पहिने हुए है। उसकी कमर में ऊफाज देश के सोने का पटुका बन्‍धा है। उसका शरीर स्‍वर्णमणि के सदृश चमक रहा है। उसका रूप विद्युत की चमक के समान है। उसकी आंखें ज्‍वाला उगलती हुई मशालों के समान है। उसकी भुजाएँ और पैर चमकते हुए पीतल के सदृश हैं। उसके शब्‍दों की आवाज भीड़ की आवाज के समान भारी है।