तब चौथा राज्य उदित होगा जो लोहे की तरह मजबूत होगा। जैसे लोहा सब वस्तुओं को टुकड़े-टुकड़े कर डालता, उनको चूर-चूर कर देता है, वैसे ही यह राज्य इन सबको चूर-चूर और टुकड़े-टुकड़े कर देगा। ‘महाराज, जैसा कि आपने मूर्ति के पांवों और उंगलियों को देखा है कि वे कुछ कुम्हार की मिट्टी की और कुछ लोहे की बनी थीं, उसी प्रकार यह चौथा राज्य अलग-अलग बंटा हुआ होगा। जैसा आपने देखा कि लोहे में लसदार मिट्टी मिली हुई थी, वैसे ही उसमें भी लोहे की तरह मजबूती होगी। जिस तरह पांवों की उंगलियां कुछ लोहे की और कुछ मिट्टी की थीं, वैसे ही वह राज्य कुछ मजबूत और कुछ कमजोर होगा। महाराज, जैसा कि आपने देखा कि लोहा लसदार मिट्टी के साथ मिला हुआ था, वैसा ही इस राज्य के लोग आपस में वैवाहिक सम्बन्धों के द्वारा परस्पर मिलेंगे-जुड़ेंगे; किन्तु जिस तरह लोहा और मिट्टी में एकमेल नहीं हो पाता, वैसे ही इस राज्य के लोग आपस में मिल-घुल नहीं पाएंगे।
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