उन राजाओं के राज्य-काल में स्वर्ग में विराजमान परमेश्वर एक ऐसा राज्य उदय करेगा जो अनंतकाल तक न नष्ट होगा और न उसकी राज्य-सत्ता किसी दूसरी कौम के हाथ में सौंपी जाएगी। यह राज्य सब राज्यों का अंत कर देगा, उनको मिटा डालेगा; पर वह स्वयं सदा-सर्वदा सुदृढ़ बना रहेगा। महाराज, आपने देखा कि एक पत्थर को किसी अज्ञात हाथ ने (मनुष्य के हाथ ने नहीं) पहाड़ से खोदा और उस पत्थर ने लोहा, पीतल, मिट्टी, चांदी और सोने को चूर-चूर कर डाला। महान परमेश्वर ने महाराज पर यह बात प्रकट की है कि भविष्य में क्या होनेवाला है। महाराज, आपका स्वप्न सच्चा और उसका अर्थ भी निश्चित है।’ यह सुनकर राजा नबूकदनेस्सर ने मुंह के बल गिर कर दानिएल के प्रति सम्मान प्रकट किया और उसने आदेश दिया कि दानिएल को भेंट चढ़ाओ और उसके सम्मुख सुगंधित धूप चढ़ाई जाए। राजा ने दानिएल से कहा, ‘निस्सन्देह तुम्हारा परमेश्वर ही सब देवताओं का ईश्वर और राजाओं का स्वामी है, वही सब रहस्यों का भेद खोलनेवाला है। केवल तुम ही मेरे रहस्य पर से परदा उठा सके।’ राजा नबूकदनेस्सर ने दानिएल को अपने दरबार में उच्च पद पर नियुक्त किया और उसे अनेक बहुमूल्य उपहार दिए। उसने दानिएल को बेबीलोन देश के समस्त क्षेत्र पर शासक नियुक्त कर दिया और उसे बेबीलोन की दरबारी विद्वान-मंडली का अध्यक्ष बना दिया। दानिएल के निवेदन पर राजा नबूकदनेस्सर ने शद्रक, मेशक और अबेदनगो को बेबीलोन देश के शासन-कार्यों की व्यवस्था करने के लिए नियुक्त किया। पर स्वयं दानिएल राजदरबार में ही रहता था।
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