दानिएल 3:4-23

दानिएल 3:4-23 HINCLBSI

तब घोषणा करनेवाले उद्घोषक ने उच्‍च स्‍वर में कहा, “ओ विश्‍व की भिन्न-भिन्न कौमों, राष्‍ट्रों और भाषाओं के लोगो! तुम्‍हें यह आदेश दिया जाता है कि जिस क्षण तुम नरसिंगे, बांसुरी, वीणा, सारंगी, सितार, शहनाई तथा अन्‍य सब प्रकार के वाद्य-यंत्रों का स्‍वर सुनो, तब तुम उसी क्षण राजा नबूकदनेस्‍सर द्वारा स्‍थापित स्‍वर्ण-मूर्ति के सम्‍मुख गिरकर उसका सम्‍मान करना। जो व्यक्‍ति मूर्ति के सम्‍मुख गिर कर उसका सम्‍मान नहीं करेगा, वह उसी क्षण धधकती हुई अग्‍नि की भट्ठी में फेंक दिया जाएगा।’ अत: विश्‍व की भिन्न-भिन्न कौमों, राष्‍ट्रों और भाषाओं के लोगों ने ऐसा ही किया। उन्‍होंने जिस क्षण नरसिंगे, बांसुरी, वीणा, सारंगी, सितार, शहनाई तथा अन्‍य सब प्रकार के वाद्ययंत्रों का स्‍वर सुना, वे तत्‍काल राजा नबूकदनेस्‍सर द्वारा स्‍थापित स्‍वर्ण-मूर्ति के सम्‍मुख गिरे, और यों उन्‍होंने मूर्ति के प्रति सम्‍मान प्रकट किया। पर उसी समय कुछ कसदी पंडित राजा नबूकदनेस्‍सर के पास गए, और उन्‍होंने यहूदियों के प्रति द्वेष के कारण राजा से उनकी चुगली खाई। उन्‍होंने उससे कहा, ‘महाराज लाखों वर्ष जीएं! महाराज, आपने राजाज्ञा दी थी कि प्रत्‍येक व्यक्‍ति नरसिंगे, बांसुरी, वीणा, सारंगी, सितार, शहनाई तथा अन्‍य सब प्रकार के वाद्ययन्‍त्रों का स्‍वर सुनते ही स्‍वर्ण-मूर्ति के सम्‍मुख गिर कर उसके प्रति सम्‍मान प्रकट करेगा; और जो व्यक्‍ति मूर्ति के सम्‍मुख गिरकर उसका सम्‍मान नहीं करेगा, वह धधकती हुई अग्‍नि की भट्ठी में फेंक दिया जाएगा। महाराज, आपने जिन यहूदियों को बेबीलोन देश के राजकीय कार्यों की व्‍यवस्‍था करने के लिए नियुक्‍त किया है, वे आपके आदेशों का पालन नहीं करते हैं। उनके नाम हैं : शद्रक, मेशक और अबेदनगो। वे आपकी उपेक्षा करते हैं। महाराज, वे न तो आपके देवताओं की सेवा-आराधना करते हैं, और न आपके द्वारा स्‍थापित स्‍वर्ण-मूर्ति के प्रति सम्‍मान प्रकट करते हैं।’ यह सुनते ही नबूकदनेस्‍सर का क्रोध भड़क उठा। उसने रोष में आकर आदेश दिया कि शद्रक, मेशक और अबेदनगो को पेश किया जाए। सैनिकों ने तीनों व्यक्‍तियों को राजा के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया। नबूकदनेस्‍सर ने उनसे पूछा, ‘शद्रक, मेशक और अबेदनगो, क्‍या यह सच है कि तुम न तो मेरे देवताओं की सेवा-आराधना करते हो, और न मेरे द्वारा स्‍थापित स्‍वर्ण-मूर्ति के प्रति सम्‍मान प्रकट करते हो? अब यदि तुम नरसिंगे, बांसुरी, वीणा, सारंगी, सितार, शहनाई और अन्‍य सब प्रकार के वाद्यों का स्‍वर सुनकर मेरे द्वारा स्‍थापित मूर्ति के सम्‍मुख गिरकर उसका सम्‍मान करने को तैयार हो, तो ठीक है; तुम्‍हारा अनिष्‍ट न होगा। पर यदि तुम मूर्ति के प्रति सम्‍मान प्रकट नहीं करोगे, तो तुम अविलम्‍ब धधकती हुई अग्‍नि की भट्ठी में फेंक दिए जाओगे। तब मैं देखूंगा कि कौन-सा ईश्‍वर तुम्‍हें मेरे हाथ से बचाएगा?’ शद्रक, मेशक और अबेदनगो ने राजा को उत्तर दिया, “महाराज, इस सम्‍बन्‍ध में हम उत्तर देना आवश्‍यक नहीं समझते। यदि हमारे साथ ऐसा व्‍यवहार किया जाएगा, तो हम जिस परमेश्‍वर की सेवा-आराधना करते हैं, वह हमें धधकती हुइ अग्‍नि की भट्ठी में से भी छुड़ा लेगा। महाराज, वह हमें आपके हाथ से भी छुड़ा सकता है। महाराज, यदि आप हमें धधकती हुई अग्‍नि की भट्ठी में नहीं डालेंगे, तो भी हम आपके देवताओं की सेवा-आराधना नहीं करेंगे, और न आपके द्वारा स्‍थापित स्‍वर्ण-मूर्ति के सम्‍मुख झुककर उसके प्रति सम्‍मान प्रकट करेंगे।’ नबूकदनेस्‍सर क्रोध से भर गया। उसके चेहरे का रंग बदल गया। उसका क्रोध शद्रक, मेशक और अबेदनगो के प्रति भड़क उठा। उसने आदेश दिया कि भट्ठी की अग्‍नि सात गुना अधिक तेज की जाए। तत्‍पश्‍चात् उसने अपनी सेना के कुछ बलिष्‍ठ योद्धाओं को आदेश दिया कि वे शद्रक, मेशक और अबेदनगो को बाँधकर धधकती हुई अग्‍नि की भट्ठी में फेंक दें। बलिष्‍ठ योद्धाओं ने ऐसा ही किया। उन्‍होंने इन तीनों व्यक्‍तियों को उनके पायजामों, अंगरखों, पगड़ियों तथा अन्‍य वस्‍त्रों सहित बाँध दिया और उनको धधकती हुई अग्‍नि की भट्ठी में फेंक दिया। राजा नबूकदनेस्‍सर की कठोर आज्ञा के कारण भट्ठी की आंच और तेज कर दी गई। भट्ठी अत्‍यन्‍त धधक रही थी। उसमें से लपटें निकल रही थीं। अत: जिन लोगों ने शद्रक, मेशक और अबेदनगो को भट्ठी में फेंकने के लिए उठाया, उनको भट्ठी की लपटों ने भस्‍म कर दिया, और ये तीनों व्यक्‍ति−शद्रक, मेशक और अबेदनगो बन्‍धे-बंधाए उस धधकती हुई अग्‍नि की भट्ठी में गिर पड़े।

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