इफिसियों 3

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शुभ समाचार के सेवक सन्‍त पौलुस
1इसलिए मैं पौलुस, जो आप गैर-यहूदियों की भलाई के लिए येशु मसीह के कारण कैदी#3:1 अथवा, “येशु मसीह का बंदी”। हूं, आप से एक प्रार्थना करना चाहता हूं।#फिल 1:7,13; कुल 1:24 2आप लोगों ने अवश्‍य सुना होगा कि परमेश्‍वर ने आप लोगों की भलाई के लिए मुझे अपने कृपामय प्रबन्‍ध के अनुसार सेवा-कार्य सौंपा है।#कुल 1:25 3यह रहस्‍य मुझ पर ईश्‍वरीय प्रकशन द्वारा प्रकट हुआ है। इसका संिक्षप्‍त विवरण मैं ऊपर दे चुका हूँ।#इफ 1:9-10; कुल 1:26 4उसे पढ़ कर आप लोग जान सकते हैं कि मैं मसीह का रहस्‍य कहाँ तक समझता हूँ। 5वह रहस्‍य पिछली पीढ़ियों में मनुष्‍य को नहीं बताया गया था और अब आत्‍मा के द्वारा उसके पवित्र प्रेरितों और नबियों पर प्रकट किया गया है। 6वह रहस्‍य यह है कि शुभसमाचार के द्वारा यहूदियों के साथ गैर-यहूदी एक ही विरासत के उत्तराधिकारी हैं, एक ही देह के अंग हैं और येशु मसीह-विषयक प्रतिज्ञा के सहभागी हैं।#इफ 2:13,18-19
7परमेश्‍वर ने अपने सामर्थ्य के प्रभाव से मुझे यह कृपा प्रदान की कि मैं उस शुभसमाचार का सेवक बनूँ।#कुल 1:25,29 8मुझे, जो सन्‍तों में सब से छोटा हूँ, यह अनुग्रह मिला है कि मैं गैर-यहूदियों को मसीह की अपार कृपानिधि का शुभसमाचार सुनाऊं#1 कुर 15:9-10; इफ 1:7; गल 1:16 9और सब मनुष्‍यों पर वह रहस्‍यमय प्रबन्‍ध प्रकट करूँ, जो युगों से समस्‍त विश्‍व के सृष्‍टिकर्ता परमेश्‍वर में गुप्‍त रहा है।#रोम 16:25; कुल 1:26-27 10इस तरह, अब कलीसिया के माध्‍यम से स्‍वर्गिक क्षेत्र के अधिपतियों एवं अधिकारियों पर भी परमेश्‍वर की बहुविध प्रज्ञ का ज्ञान प्रकट होगा।#1 पत 1:12; रोम 11:33; कुल 1:26 11परमेश्‍वर ने अनन्‍त काल से जो उद्देश्‍य अपने मन में रखा था, उसने उसे हमारे प्रभु येशु मसीह द्वारा पूरा किया।#इफ 1:11 12हम मसीह में विश्‍वास करते हैं, और इस कारण हम पूरे भरोसे के साथ निर्भय हो कर परमेश्‍वर के पास जाते हैं।#यो 14:6; इब्र 4:16; रोम 5:2 13इसलिए आप लोगों से मेरी प्रार्थना है कि आप लोगों के लिए मैं जो कष्‍ट सह रहा हूँ, उसके कारण आप हिम्‍मत न हारें, क्‍योंकि इसी में आप लोगों का गौरव है।#लू 1:24
मसीह के प्रेम का ज्ञान प्राप्‍त करने की प्रार्थना
14-15मैं उस पिता के सामने, जो स्‍वर्ग में और पृथ्‍वी पर प्रत्‍येक परिवार का मूल आधार है#3:14-15 शब्‍दश:, “जिससे प्रत्‍येक ‘पितृतत्‍व’ का नामकरण होता है” , घुटने टेक कर यह प्रार्थना करता हूँ 16कि वह अपने आत्‍मा के द्वारा आप लोगों को अपनी महिमामयी निधि में से आन्‍तरिक शक्‍ति और सामर्थ्य#3:16 शब्‍दश:, “जिससे आप शक्‍ति पाकर उसके आत्‍मा के द्वारा भीतरी मनुष्‍यत्‍व में सामर्थ्यवान बनें” प्रदान करे,#इफ 1:7; 6:10; कुल 1:11 17जिससे विश्‍वास द्वारा मसीह आपके हृदय में निवास करें, प्रेम में आपकी जड़ें गहरी हों और नींव सुदृढ़ हो।#यो 14:23; कुल 1:23; 2:7 18इस तरह, आप लोग अन्‍य सभी सन्‍तों के साथ मसीह के प्रेम की चौड़ाई, लम्‍बाई, ऊंचाई और गहराई समझ सकेंगे।#कुल 2:2; प्रव 1:3 19आप लोगों को उनके प्रेम का ज्ञान प्राप्‍त होगा, यद्यपि वह ज्ञान से परे है। इस प्रकार आप लोग, परमेश्‍वर की समस्‍त पूर्णता तक पहुँच कर, स्‍वयं परिपूर्ण हो जायेंगे।#कुल 2:3
20जिसका सामर्थ्य हम में क्रियाशील है और जो वे सब कार्य सम्‍पन्न कर सकता है, जो हमारी प्रार्थना और कल्‍पना से अत्‍यधिक परे हैं,#कुल 1:29 21उसी की महिमा कलीसिया में और येशु मसीह में पीढ़ी-दर-पीढ़ी, युग-युगों तक होती रहे! आमेन!

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